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नमस्कार मित्रों ,
आज के इस लेख में हम जानेंगे कि मुस्लिम में निकाह के कितने प्रकार होते है। मुस्लिम विधि निकाह को तीन भागों में विभाजित किया गया है।
मुस्लिम विधि के अनुसार निकाह के प्रकार।
- विधिमान्य निकाह - सही ।
- अनियमित निकाह - वातील ।
- शून्य निकाह -फासिद ।
इन तीनो निकाह के प्राकर को अच्छे से समझेंगे।
1. विधिमान्य निकाह - सही निकाह
मुस्लिम विधि के अनुसार निकाह की संविदा के लिए जिन शर्तों को निर्धारित किया गया है की उन शर्तों की अनिवार्ताओं को पूर्ण होने पर ऐसा निकाह प्रत्येक दृष्टि में विधिमान्य निकाह - सही निकाह कहलाता है। सही निकाह के लिए यह अति आवश्यक है कि निकाह के पक्षकार सभी प्रकार के प्रतिबंधों से मुक्त होने चाहिए। सही निकाह के आवश्यक तत्व है :-
- निकाह के लिए क्षमता।
- सहमति।
- निकाह में संरक्षता।
- यौवनागम का विकल्प।
- पक्षकार की विधिक अनर्हता से ग्रसित न होना।
- नातेदारी के आधार पर विधिक निर्योग्यतायों से ग्रसित न हो।
यदि प्रतिषेध स्थायी प्रकृति का है तो ऐसा निकाह शून्य होगा और यदि अस्थाई प्रकृति का है तो ऐसा निकाह शून्य न होकर अनियमित होगा।
2. शून्य निकाह - बातिल
मुस्लिम विधि के अनुसार विधिमान्य निकाह के लिए शर्तों का उल्लेख किया गया है , यदि कोई भी पक्षकार उन शर्तों का पालन नहीं करता है तो ऐसा निकाह शून्य ( बातिल ) निकाह कहा जाएगा। बातिल निकाह का कोई वैध परिणाम नहीं होता है और न ही वह कानून की नजर में निकाह ही होता है।
शून्य निकाह -
- रक्त सम्बन्ध ,
- विवाह सम्बन्ध ,
- पाल्य सम्बन्ध ऐसे उपरोक्त संबंधों में निकाह को शून्य निकाह कहा गया है। ऐसे संबंधों में निकाह होने पर पैदा होने वाली संतान अधर्मज संतान होती है।
- दूसरे की पत्नी के साथ निकाह करना या ऐसी स्त्री से निकाह करना जिसका निकाह तलाक देकर समाप्त हुआ है और इद्दत काल समाप्त नहीं हुआ है , तो ऐसा निकाह शून्य होगा।
3. अनियमित निकाह - फ़ासिद निकाह
मुस्लिम विधि के अनुसार विधिमान्य निकाह के शर्तों का उल्लेख किया गया है जिसमे कुछ प्रतिषेध है। कुछ स्थाई प्रतिषेध है और कुछ अस्थाई प्रतिषेध। यदि अस्थाई प्रतिषेध के होते हुए पक्षकारों में निकाह होता है तो ऐसा निकाह अनियमित निकाह होगा। निकाह के नियमतिकरण प्रतिषेध के समाप्त होने जाने पर हो जाते है
वह अस्थाई प्रतिषेध जिनके कारण निकाह को अनियमित निकाह कहा गया है :- ( सुन्नी विधि के अनुसार )
- निकाह गवाहों के बिना किया गया है।
- चार पत्नी के जीवित रहते हुए भी पांचवा निकाह करना।
- इद्दत काल का पालनकर रही स्त्री से निकाह।
- कितयाबिया या गैर मुस्लिम स्त्री जो मूर्ति पूजन और अग्निपूजन से निकाह।
- पागल या अवयस्क से अनधिकृत संरक्षक की सहमति से निकाह।
शिया समुदायों मुस्लिम विधि की शाखा के अंतर्गत केवल दो प्रकार के निकाह ही शामिल किये गए है :-
- विधिमान्य निकाह।
- शून्य निकाह।
फ़ासिद निकाह जैसा निकाह होता ही नहीं है।
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