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प्रथम सूचना रिपोर्ट क्या है और दर्ज होने की प्रक्रिया क्या है ? अत्यंत महत्वपूर्व धारा 173 संज्ञेय मामलों में इत्तिला bnss act 2023

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नमस्कार मित्रों ,

आज इस लेख में हम भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की अत्यंत महत्वपूर्व धारा 173 के बारे में जानेंगे। जो की संज्ञेय मामलों में इत्तिला यानी सूचना देने के सम्बन्ध में प्रावधान करता है यानी प्रथम सूचना रिपोर्ट। एक सवाल से कई सवाल बनते है जैसे कि ?

  1.  संज्ञेय अपराध क्या होता है ?
  2. संज्ञेय अपराध की सूचना कैसे दी जा सकती है ?
  3. प्रथम सूचना रिपोर्ट क्या है और दर्ज होने की प्रक्रिया क्या है ?
इन सभी सवालों के जवाब आपको विस्तार से मिलेंगे। 

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1. संज्ञेय अपराध क्या होता है ?

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 2 (छ) में संज्ञेय अपराध  परिभाषित किया गया है। जिसके अनुसार संज्ञेय अपराध से ऐसा अपराध अभिप्रेत है जिसमे कोई पुलिस अधिकारी प्रथम अनुसूची के या उस समय लागु किसी अन्य विधि के अनुसार वारंट के बिना गिरफ़्तारी कर सकता है। 

2. संज्ञेय अपराध की सुचना कैसे दी जा सकती है ? 

नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 173 संज्ञेय मामलों में सूचना दिए जाने की प्रक्रिया का प्रावधान किया गया है , जिसमे यह साफ साफ उल्लेख किया गया है कि संज्ञेय अपराध के किये जाने से सम्बंधित हर एक सूचना मौखिक रूप से या इलेक्ट्रॉनिक संसूचना द्वारा पुलिस ठाणे के भारसाधक अधिकारी को दी जा सकेगी। 

3. प्रथम सूचना रिपोर्ट क्या है कैसे दर्ज कराई जाती है ?

प्रथम सूचना रिपोर्ट एक ऐसी रिपोर्ट है जो कि किसी संज्ञेय अपराध के घटित होने की पहली सूचना जो कि किसी व्यक्ति द्वारा मौखिक या लिखिक रूप से थाने के भारसाधक अधिकारी को दी जाती है। 

नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 173 में संज्ञेय मामलों में सूचना के सम्बन्ध में प्रक्रिया का प्रावधान करती है। संज्ञेय अपराध के किये जाने से सम्बंधित प्रत्येक सूचना उस क्षेत्र पर विचार किये बिना जहाँ अपराध किया गया है मौखिक रूप से या इलेक्ट्रॉनिक संसूचना द्वारा पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी को दी जा सकेगी। 

मौखिक रूप से सूचना देने पर :-

जहाँ संज्ञेय अपराध की सूचना मौखिक रूप से दी गयी है , तो उसके द्वारा या उसके निदेश के अधीन लेखबद्ध की जाएगी और सूचना देने वाले को पढ़कर सुनाई जाएगी और प्रत्येक ऐसी सूचना पर चाहे लिखित रूप में दी गयी हो या मौखिक रूप में लेखबद्ध  की गयी हो उस व्यक्ति द्वारा हस्ताक्षर किये जायेंगे। 

इलेक्ट्रॉनिक रूप से सूचना देने पर :-

यदि संज्ञेय अपराध की सूचना इलेट्रॉनिक संसूचना के द्वारा दी गयी है तो उसे देने वाले व्यक्ति द्वारा तीन दिनों के भीतर हस्ताक्षरित किये जाने पर सके द्वारा अभिलेख पर ली जाएगी। 

मौखिक रूप से या इलेट्रॉनिक संसूचना द्वारा दी गयी सूचना का सार ऐसी पुस्तक में जो उस अधिकारी द्वारा ऐसे रूप में रखी जाएगी जइसे राज्य सरकार इस निमित नियमों द्वारा विहित करे प्रविष्ट किया जियेगा। 

महिला द्वारा अपराध की सूचना देने पर :-
 
यदि किसी महिला के द्वारा जिसके विरुद्ध भारतीय न्याय संहिता , 2023 की 
  1. धारा 64  बलात्संग के लिए दण्ड । 
  2. धारा 65 कपितय मामलों में बलात्संग के लिए दण्ड। 
  3. धारा 66  पीड़िता की मृत्यु या सतत विकृतशील दशा कारित करने के लिए दण्ड। 
  4. धारा 67 पृथककरण के दौरान पति द्वारा अपनी पति से मैथुन। 
  5. धारा 68 प्राधिकार में किसी व्यक्ति द्वारा मैथुन। 
  6. धारा 69 प्रवञ्चनपूर्ण साधनों आदि का प्रयोग करके मैथुन। 
  7. धारा 70 सामूहिक बलात्संग। 
  8. धारा 71 पुनरावृति अपराधों के लिए दण्ड। 
  9. धारा 74  महिला की लजा भंग करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग। 
  10. धारा 75 लैंगिक उत्पीड़न। 
  11. धारा 76 विवस्त्र करने के आशय से महिला पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग। 
  12. धारा 77 दृश्यकारिता। 
  13. धारा 78 पीछा करना। 
  14. धारा 79 शब्द , अंगविक्षेप या कार्य जो किसी महिला की लज्जा का अनादर करने लिए आशयित है। 
  15. धारा 124 अम्ल आदि का प्रयोग करके स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना। 
के अधीन किसी अपराध किये जाने या किये जाने का प्रयत्न कियेजाने का अभिकथन किया गया है , कोई सूचना दी जाती है तो ऐसे सूचना किसी महिला पुलिस अधिकारी या किसी महिला अधिकारी द्वारा अभिलिखित की जाएगी।  

पीड़ित व्यक्ति अस्थायी या स्थाई रूप से मानसिक या शरीरिक रूप से दिगयांग है :- 

यदि वह व्यक्ति जिसके विरुद्ध भारतीय न्याय संहिता 2023 की 
  1. धारा 64 बलात्संग के लिए दण्ड। 
  2. धारा 65 कपितय मामलों में बलात्संग के लिए दण्ड। 
  3. धारा 66 पीड़िता की मृत्यु या सतत विकृतशील दशा कारित करने के लिए दण्ड। 
  4. धारा 67 पृथक्क़रण के दौरान पति द्वारा अपनी पत्नी के साथ मैथुन। 
  5. धारा 68 प्राधिकार में किसी व्यक्ति द्वारा मैथुन। 
  6. धारा 69  प्रवंचनापूर्ण साधनों आदि का प्रयोग करके मैथुन। 
  7. धारा 70 सामूहिक बलात्संग। 
  8. धारा 71 पुनरावृति अपराधियों के। 
  9. धारा 74  महिला की लज्जा भंग करने के आशय से उस पर हमला आपराधिक बल का प्रयोग। 
  10. धारा 75 लैंगिक उत्पीड़न। 
  11. धारा 76 विवस्त्र करने के आशय से महिला पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग। 
  12. धारा 77 दृश्यकारिता। 
  13. धारा 78 पीछा करना। 
  14. धारा 79 शब्द ,अंगविक्षेप या कार्य जो किसी महिला की लजा का अनादर करने के लिए आशयित है। 
  15. धारा 124 अम्ल आदि का प्रयोग क्ररके स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना। 
उपरोक्त धाराओं के अधीन अपराध के किये जाने या किये जाने का प्रयत्न किये जाने का अभिकथन किया गया है , पीड़ित व्यक्ति अस्थायी या स्थायी रूप से मानसिक या शारीरिक रूप से दिव्यांग है तो ऐसी सूचना किसी पुलिस अधिकारी द्वारा उस व्यक्ति के जो ऐसे अपराध की रिपोर्ट करने की वांछा करता है , उसके निवास स्थान पर या उसके विकल्प के किसी सुगम स्थान पर यथास्थिति किसी द्विभाषिए या किसी विशेष शिक्षक की उपस्थिति में अभिलेख की जाएगी 
  1. ऐसी सूचना के अभिलेख की वीडियो फिल्म तैयार की जाएगी ,
  2. पुलिस अधिकारी धारा  183 की उपधारा 6 खंड क के अधीन किसी मजिस्ट्रेट द्वारा उस व्यक्ति का कथन यथासम्भवशीघ्र अभिलिखित कराएगा। 
धारा 173 उपधारा 1 के अधीन संज्ञेय अपराध की सूचना पुलिस अधिकारी को द्वारा अभिलिखित किये जाने पर अभिलिखित सूचना की प्रतिलिपि , सूचना देने वाले को तत्काल निःशुल्क दी जाएगी। 

 थांने का भारसाधक पुलिस अधिकारी प्रथम सूचना रिपोर्ट लिखने से इंकार करे तो क्या करे ?

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 173 को उपधारा 4 में इस प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है कि कोई व्यक्ति जो किसी पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी संज्ञेय मामलों की इत्तिला देने पर पुलिस अधिकारी द्वारा सूचना को अभिलिखित करने से इंकार कर दिया जाता है जिसके कारण वह व्यथित है , तब व्यथित व्यक्ति उस संज्ञेय मामले की सूचना का सार लिखित रूप में और डाक द्वारा सम्बद्ध पुलिस अधिकारी को भेज सकता है। 

यदि पुलिस अधिकारी का यह समाधान हो जाता है कि  ऐसी सूचनासे किसी संज्ञेय अपराध का किया जाना प्रकट होता है या तो स्वयं मामले का अन्वेषण करेगा या अपने अधीनस्थ किसी अधिकारी द्वारा इस संहिता द्वारा उपबंधित रीति में अनवधान किये जाने का निदेश देगा और उस अधिकारी को उस अपराध के सम्बन्ध में पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी की सभी शक्तियां होंगी जिसके न हो सकने पर ऐसा व्यथित व्यक्ति मजिस्ट्रेट को आवेदन कर सकेगा।  


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