क्या है भारतीय न्याय संहिता 2023 ? भारतीय न्याय संहिता में कितनी धाराएँ और अध्याय है ? संक्षिप्त विवरण
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नमस्कार मित्रों,
आज के इस लेख में हम " भारतीय न्याय संहिता 2023 " के बारें में संक्षिप्त विवरण जानेंगे। इस भारतीय न्याय संहिता 2023 के बारें में निम्न जानकारी जैसे कि :-
- क्या है भारतीय न्याय संहिता 2023 ?
- भारतीय न्याय संहिता में कितनी धाराएँ और अध्याय है ?
- भारतीय न्याय संहिता की मुख्य विशेषताएँ क्या है ?
इन सभी सवालों के जवाब विस्तार से जानेंगे क्योंकि सवालों के जवाब अधिवक्ताओं के साथ साथ न्यायिक परीक्षा की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। IAS, PCSJ, UPSC, UPPSC अन्य प्रतियोगिताओं के लिए लाभदायक है।
1. क्या है भारतीय न्याय संहिता 2023 ?
भारतीय न्याय (दूसरी) संहिता 2023 जिसका मुख्य उद्देश्य यह है कि भारतीय दंड संहिता 1860 जिसे 6 अक्टूबर 1860 को गवर्नर जनरल लोड केनिंग द्वारा अनुमति प्रदान की गयी थी जो कि 31 जून 2024 तक प्रभावी थी , इसको प्रस्थापित करना, अपराधों से सम्बंधित प्रावधानों को ामकित करना एवं संशोधित करना और उससे जुड़े या प्रासंगिक मामलों के लिए संशोधन करना है। भारतीय दंड संहिता 1860 में 511 धाराएँ एवं 23 अध्याय थे अब भारतीय न्याय ( दूसरी ) संहिता 2023 में 358 धाराएँ एवं 20 अध्याय है।
2. भारतीय न्याय संहिता 2023 की मुख्य विशेषताएँ क्या है ?
1. ट्रांसजेंडर - भारतीय दंड संहिता 2023 की धारा 2 परिभषाएं दी गयी है। धारा 2 उपधारा 10 लिंग की परिभाषा में उभयलिंगी यानी ट्रांसजेंडर को भी जोड़ा गया है। " उभयलिंगी " का वही अर्थ होगा जो कि उभयलिंगी व्यक्ति ( अधिकारों का संरक्षण ) अधिनियम 2019 की धारा 2 के खंड ट में परिभाषित है।
2. सामुदायिक सेवा - भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 4 दण्डों के विषय में प्रावधान करता है। जो की 6 प्रकार है :-
- मृत्यु दंड।
- आजीवन कारावास।
- कारावास - कठिन कारावास श्रम के साथ या सादा कारावास।
- संपत्ति की जब्ती।
- जुर्माना।
- सामुदायिक सेवा।
धारा 4 खंड एफ सामुदायिक सेवा का दंड का प्रावधान करती है। सामुदायिक सेवा का दण्ड छोटे - मोटे अपराधों पर दिए जाने का प्रावधान क्या गया है।
जैसे की :-
- धारा 209 उद्धोषणा के जवाब में उपस्थित न होना।
- धारा 226 किसी लोक सेवक को उसके आधिकारिक कर्तव्य का निर्वहन करने के लिए मजबूर करने या रोकने के इरादे से आत्महत्या का प्रयास।
- धारा 355 चोरी के पैसे लौटने पर छोटी मोटी चोरी , शराबी व्यक्ति द्वारा सार्वजानिक रूप से दुर्व्यवहार
- धारा 356 मानहानि आदि।
3. धारा 48 के अंतर्गत भारत के बाहर किसी व्यक्ति द्वारा उकसाने को अपराध बनाया गया है , ताकि विदेश में स्थित व्यक्ति पर मुकदमा चलाया जा सके।
4. धारा 95 के अंतर्गत अपराध को कारित करने के लिए बालक को भाड़े पर लेना , नियोजित करना या नियुक्त करना अपराध होगा।
भारतीय न्याय संहिता में एक प्रावधान जोड़ा गया जो की ऐसे व्यक्ति पर मुकदमा चलाया जा सके जो कि अपराध करने के उद्देश्य से किसी बालक को नियोजित करते है या संलग्न करते है। यौन शोषण या पोर्नोग्राफी अपराध सहित अपराध करने के लिए किसी बच्चे को काम पर रखना , नियोजित करना , संलग्न करना या उपयोग करना जैसे कि उस वयक्ति ने स्वयं अपराध किया ह ो।
5.भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 103 हत्या का अपराध।
धारा 103 हत्या के अपराध में धारा 103 (2 ) के तहत जब पांच व अधिक व्यक्तियों का एक समूह मिलकर नस्ल , जाति या समुदाय ,लिंग , जन्म स्थान ,भाषा के आधार अपर हत्या करता है। व्यक्तिगत विश्वास अन्य आधार अपर ऐसे समूह के प्रत्येक सदस्य को मौत की सजा या आजीवन कारावास की सजा और जुर्माने से दण्डित किये जायेंगे।
6. हिट एंड रन।
भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 106 उपधारा 2 के अंतर्गत जो कोई मोटर यान के उतावलेपन या उपेक्षापूर्ण से किसी व्यक्ति की मृत्यु कारित करेगा जो कि आपराधिक मानव वध की कोटि में नहीं आता है और घटना के तुरंत बाद , घटना के बारें में पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट को रिपोर्ट किये बिना निकलकर भागेगा , उसे 10 वर्ष कारावास और जुर्माने से दण्डित किया जायेगा।
7. देश के खिलाफ संगठित अपराध और विध्वंसक गतिविधियों की घटनाओं को रोकना।
भारतीय दण्ड संहिता 2023 की धारा 111 के अंतर्गत किसी संगठित अपराध सिंडिकेट के सदस्य के रप्प में या ऐसे सिंडिकेट की और से एकल रूप से या संयुक्त रूप से सामान्य मति से कार्य करने वाले किसी व्यक्ति या व्यष्टियों के समूहों द्वारा कोई सतत विधिविरुद्ध क्रियाकलाप , जिसमे व्यपहरण , डकैती , यान चोरी, उद्दापन , भूमि हथियाना , संविदा पर हत्या करना, आर्थिक अपराध , साइबर अपराध ,व्यक्तियों , औषधियों ,हथियारों , अवैध मॉल या सेवाओं का दुर्व्यापार , वैश्यावृति या फिरौती के मानव दुर्व्यापार शामिल है प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से तात्विक फायदा , जिसके अंतर्गत वित्तीय फायदा प्राप्त करने के लिए हिंसा , हिंसा की धमकी , अभित्रास , उत्पीड़न या अन्य विधिविरुद्ध साधनों द्वारा संगठित अपराध का गठन करेगा।
8. आतंकवादी कृत्यों के सम्बन्ध में दंड।
भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 113 के तहत जो कोई भारत की एकता , अखंडता , सम्प्रभुता , सुरक्षा या आर्थिक सुरक्षा या प्रभुता को संकटमे डालने या संकट में डालने की सम्भावना के आशय से या भारत में या किस विदेश में जनता अथवा जनता के किसी वर्ग में आतंक फ़ैलाने या आतंक फैलाने की सम्भावना के आशय से बमों , डायनामाइट या ने विस्फोटक पदार्थ या अग्नयायुधों प्राणहर आयुधों या विषों या अपायकर गैसों या ने रसायनों या परिसंकटमय प्रकृति के किन्ही पदार्थों का ( चाहे वे जैविक रदिओधर्मी , न्यूकलियर हो या अन्यथा ० या किसी भी प्रकृति के किन्ही अन्य साधनों का उपयोग करके ऐसा कार्य करेगा उसे अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार दण्डित किया जायेगा।
9. भारत की सम्प्रभुता , एकता और अखंडता को खतरे में डालने के कृत्य से सम्बंधित।
भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 152 के तहत भारत की सम्प्रभुता , एकता और अखंडता को खतरे में डालने के कृत्य से सम्बंधित कोई कार्य करेगा उसे आजीवन कारावास या 7 वर्ष तक कारावास और जुर्माने से दण्डित किया जियेगा।
3. भारतीय न्याय संहिता 2023 में कितनी धाराएं और अध्याय है ?
भारतीय न्याय संहिता 2023 में कुल 358 धाराएं और 20 अध्याय है। इन सभी को संक्षिप्त में जाने :-
अधयाय 1
धारा 1 से 3 प्रारम्भिक।
अध्याय 2
धारा 4 से 13 दण्डों के विषय में प्रावधान।
अध्याय 3
धारा 14 से 44 तक साधारण अपवाद / प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार के विषय में प्रावधान।
अध्याय 4
धारा 45 से 62 तक दुष्प्रेरण , आपराधिक षड्यंत्र और प्रयास के विषय में प्रावधान।
अध्याय 5
- धारा 63 से 99 तक महिला और बालक के विरुद्ध अपराधों के विषय में पर्वधन
- लैंगिक अपराधों के विषय में,
- महिला के विरुद्ध आपराधिक बल और हमलों के विषय में ,
- विवाह से सम्बंधित अपराधों के विषय में,
- गर्भपात आदि कारित करने के विषय में,
- बालक के अपराधों के विषय में।
अधयाय 6
- धारा 100 से 146 तक मानव शरीर पर प्रभाव डालने वाले अपराधों के बिषय में प्रावधान।
- जीवन के लिए संकटकारी अपराधों के विषय में,
- उपहित के विषय में ,
- सदोष अवरोध और सदोष परिरोध के विषय में ,
- आपराधिक बल और हमले के विषय में ,
- व्यपहरण म अपहरण , दासत्व और बलात्श्रम के विषय में ,
अध्याय 7
धारा 147 से 158 तक राज्य के विरुद्ध अपराध के विषय में प्रावधान।
अधयाय 8
धारा 159 से 168 तक सेना , नौसेना और वायुसेना से सम्बंधित अपराधों के विषय में प्रावधान।
अध्याय 9
धारा 169 से 177 तक निर्वाचन सम्बन्धी अपराधों के विषय में प्रावधान।
अध्याय 10
धारा 178 से 188 तक सिक्कों , करेंसी नोटों , बैंक नोटों और सरकारी स्टाम्पों से सम्बंधित अपराधों के विषय में प्रावधान।
अध्याय 11
धारा 189 से 197 से तज लोक प्रशांति के विरुद्ध अपराधों के विषय में प्रावधान।
अधयाय 12
धारा 198 से 205 तक लोक सेवकों द्वारा या उनसे सम्बंधित अपराधों के विषय में प्रावधान।
अध्याय 13
धारा 206 से 26 तक लोक सेवकों के विधिपूर्ण प्राधिकार के अवमान के विषय में प्रावधान।
अध्याय 14
धारा 227 से 269 तक मिथ्या साक्ष्य और सेवक न्याय के विरुद्ध अपराधों के विषय में प्रावधान।
अध्याय 15
धारा 270 से 297 तक लोक स्वास्थ्य , क्षेम ,सुरक्षा , शिष्टता और सदाचार पर प्रभाव डालने वाले अपराध के विषय में प्रावधान।
अध्याय 16
धारा 298 से 302 तक धर्म से सम्बंधित अपराधों के विषय में प्रावधान।
अधयाय 17
- धारा 303 से 334 तक संपत्ति के विरुद्ध अपराधों के विषय में प्रावधान।
- चोरी के विषय में ,
- उद्दापन के विषय में ,
- लूट और डैकती के विषय में ,
- संपत्ति के आपराधिक दुर्विनियोग के विषय में ,
- आपराधिक न्यासभंग के विषय में ,
- चुराई हुई सम्पति के विषय में,
- छल के विषय में ,
- कपटपूर्ण विलेखों और संपत्ति व्ययनों के विषय में ,
- रिष्टि के विषय में ,
- आपराधिक अतिचार के विषय में ,
अध्याय 18
धारा 335 से 350 तक दस्तावेजों और संपत्ति चिन्हों सम्बन्धी अपराधों के विषय में प्रावधान।
अधयाय 19
धारा 251 से 257 तक आपराधिक अभित्रास , अपमान , मानहानि आदि के विषय में प्रावधान।
मानहानि के विषय में ,
असहाय व्यक्ति की परिचर्या करने की और उसकी आवश्यक्ताओं की पूर्ति करने की संविदा भंग के विषय में।
अधयाय 20
निरसन और व्यावृति के विषय में प्रावधान।
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