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नमस्कार मित्रों ,
आज के इस लेख में हम जानेंगे कि " जूस जैकिंग क्या है ?/ what is juice jacking ? " देश में साइबर क्राइम के अपराध की घटना काफी बढ़ रही है और ये आय दिन बढ़ रहे और नए नए साइबर अपराध के तरीके भी सामने आ रहे है। साइबर अपराध करने के पीछे साइबर अपराधियों के कई कारण हो सकते है। आर्थिक क्षति , मानसिक क्षति और अन्य प्रकार की जो उनके मस्तिक की उपज हो।
साइबर अपराध से बचे जाने के लिए हमे सामाजिक स्तर पर पूर्णरूप से जागरूक और सतर्क रहना अति आवश्यक है।
यदि हम साइबर अपराध की होने वाली घटनाओं से खबरदार रहेंगे तो हम स्वयं और अपने जानने वालो को भी इन साइबर अपराध से सुरक्षित रख सकते है।
इसे जाने विस्तार से।
- जूस जैकिंग स्कैम क्या है ?
- जूस जैकिंग स्कैम होता कैसे है ?
- जूस जैकिंग स्कैम से कैसे बचे ?
इन सभी सवालों को विस्तार से जाने।
1. जूस जैकिंग स्कैम स्कैम क्या है ?
जूस जैकिंग स्कैम एक तरह का ऐसा साइबर अपराध है जो कि सार्वजनिक स्थान पर इलेक्ट्रॉनिक गैजेट को चार्ज करने वाले लोगो को शिकार बनाता है। सार्वजानिक स्थान पर लगे USB चार्जिंग पोर्ट पर साइबर अपराधी एक तरह की सूक्ष्म हार्डवेयर चिप में प्रोग्रामिंग जरिये मैलवेयर सॉफ्टवेयरको इनस्टॉल कर देते है। जो कि USB के जरिये इलेक्ट्रॉनिक गैजेट की बैटरी कम होने चार्जिंग पोर्ट में लगने पर फ़ोन के चार्जिंग विकल्प के साथ -साथ =डाटा ट्रांसफर विकल्प को भी एक्टिव कर देता है। इसके डाटा ट्रांसफर विकल्प के एक्टिव होने पर इलेक्ट्रॉनिक गैजेट जा सम्पूर्ण डाटा उस चिप में ट्रांसफर हो जाता है जो कि USB चार्जिंग पोर्ट पर एक्टिव है।
डाटा ट्रांसफर विकल्प के एक्टिव होने की जानकारी हमे होती तो है , क्योकि चार्जिंग पर लगते समय दिखाई देता है परन्तु हम जल्दबाजी के चक्कर में और बैटरी कम होने के कारण उस पर ज्यादा ध्यान नहीं देते है।
ध्यान न देना ही हमे साइबर अपराधियों का शिकार होना बनाता है। जो डाटा ट्रांसफर होता है वो इलेक्ट्रॉनिक गैजेट में स्टोर :-
- फ़ोटो,
- वीडियो,
- कांटेक्ट,
- बैंक सम्बन्धी जानकारी ,
- ईमेल ,
- सन्देश,
- सोशल एकाउंट्स,
- अन्य गोपनीय जानकारियां।
2. जूस जैकिंग स्कैम होता कैसे है ?
जूस जैकिंग स्कैम की शुरआत होती है , साइबर अपराधियों के द्वारा सार्वजनिक स्थान रेलवे स्टेशन , बस स्टॉप हवाई अड्डे, होटल्स , कैफ़े अन्य भीड़भाड़ वाली जगह पर लगे USB चार्जिंग पोर्ट पर मैलवेयर सॉफ्टवेयर को चिप के जरिये इनस्टॉल करने से और लोग इस जूस स्कैम का शिकार होते है अपनी लापरवाही से जैसे कि :-
- इलेक्ट्रॉनिक गैजेट जैसे मोबाइल लैपटॉप जो कि अब सभी usb चार्जिंग सपोर्ट वाले आ रहे है , इनकी बैटरी कम होने पर चार्जिंग पॉइंट खोजने लगते है , यदि हम सार्वजनिक स्थान पर है तो चार्जिंग की आवश्यकता इतनी बढ़ जाती कि हम ध्यान दिए बिना जल्दबाजी में अपने गैजेट को USB चार्जिंग में लगा देते है।
- USB पोर्ट में चार्जिंग में लगाने में डिवाइस में कई विकल्प शो होते है जैसे कि ओनली चार्जिंग / चार्जिंग प्लस डाटा ट्रांसफर। गलती यही होती है इन विकल्पों में ध्यान न देना।
- USB चार्जिंग पोर्ट में डिवाइस चार्ज में लगते ही , USB चार्जिंग पोर्ट में इनस्टॉल मैलवेयर सॉफ्टवेयर एक्टिव हो अपने कार्य में लग जाता है।
- डिवाइस उपयगोकर्ता अपने कार्य में मगन रहता है और मैलवेयर अपने डाटा ट्रांसफर के काम में लगा होता है।
- हमे इस स्कैम की भनक तब तक नहीं लगती जब तक हम इस स्कैम से आर्थिक और मानसिक क्षति के शिकार नहीं होते है।
3. जूस जैकिंग स्कैम से कैसे बचे ?
जूस जैकिंग स्कैम हो या अन्य कोई साइबर स्कैम सभी से बचा जा सकता है , बस हमे जागरूक रहने की अति आवश्यक।
- रेलवे स्टेशन, बस स्टॉप , हवाई अड्डे, होटल , कैफ़े या अन्य सार्वजनिक क्षेत्रों में लगे USB चार्जिंग पोर्ट से इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को चार्ज करने से बचे।
- यदि चार्ज करते भी है , तो ओनली चार्जिंग विकल्प को ऑन रखें।
- प्रयास पूरा कि AC चार्जिंग पोर्ट पर ही अपने इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को चार्ज करे।
- प्रत्येक इलेट्रॉनिक डिवाइस मोबाइल फ़ोन या लैपटॉप के केबल के साथ अडॉप्टर भी मिलता है उसको साथ रखे।
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