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ध्वनि प्रदुषण क्या है और ध्वनि प्रदूषण के लिए सजा क्या है ? what is noise pollution and punishment for noise pollution

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नमस्कार मित्रों,

आज के इस लेख में हम जानेंगे कि ध्वनि प्रदुषण क्या है और ध्वनि प्रदूषण के लिए सजा क्या है ? इस सामान्य जीवन में सामान्य सा शोर शराबा तो सामान्य है पर जब यही सामान्य सा शोर शराबा जब सीमा को पार कर जाता है , जिसके परिणामस्वरूप उस क्षेत्र की सीमा में मोजूद सभी लोगो को परेशानी होती है और शोर शराबा कानो के साथ साथ दिमाग में  भी दर्द करने लग जाता है , इस तेज शोर शारबे से दूषित वातावरण ध्वनि प्रदुषण का कारण बनती है और यही ध्वनि प्रदुषण है। 


इसके ध्वनि प्रदुषण को लेकर आपके मन में कई सवाल उठ रहे होंगे जैसे कि :-
  1. ध्वनि प्रदुषण क्या है ?
  2. एक मानक ध्वनि का स्तर  ? 
  3. ध्वनि प्रदूषण के प्रकार और श्रोत ?
  4. ध्वनि प्रदुषण के लिए सजा ? 
इन सभी को विस्तार से जाने। 

ध्वनि प्रदुषण क्या है और ध्वनि प्रदूषण के लिए सजा क्या है ? what is noise pollution and punishment for noise pollution


1. ध्वनि प्रदुषण क्या है ? 

धवनि प्रदुषण के इन दो शब्दों के अर्थ को समझना जरुरी है। ध्वनि जिसे अंग्रेजी में नॉइज़ यानी शोर कहते है , नॉइज़ एक लैटिन शब्द " nausea " से लिया गया है। प्रदूषण जो की आप पास के वातावरण को दूषित करता है। ध्वनि प्रदूषण का अर्थः हुआ ध्वनि जब अपने निर्धारित डेसिबल से अधिक डेसिमल से गूंजती है , तो आस पास के वातावरण को प्रभावित करती है , जिसके परिणामस्वरूप उस वातावरण में मौजूद मानव , पशु पक्षी अन्य जिव जंतु मानसिक रूप से प्रभावित होते है , तो इसे ध्वनि प्रदूषण कहा जायेगा। 

एक मानक ध्वनि क्या है ? 

विज्ञान की दृष्टि से ध्वनि की तीव्रता मापने का एक वैज्ञानिक उपकरण है, जिसके उपयोग से ध्वनि की तीव्रता को मापा जाता है।  ध्वनि की तीव्रता को मापने की ईकाई को डेसिबल कहा जाता है  

मनुष्य के लिए एक मानक ध्वनि का स्तर 60 डेसीबल होता है , इससे अधिक ध्वनि का स्तर मनुष्य को विचलित , परेशान और बीमार कर सकता है। जैसे बहरापन , चिड़चिड़ापन , उलझन उच्च रक्त चाप अन्य गंभीर बीमारी। 

ध्वनि के सम्बन्ध में परवेशी वायु क्वालिटी मानक। 

ध्वनि प्रदुषण विनियम और नियंत्रण नियम 2000 की अनुसूची नियम 3 (1 ) और नियम 4 (1 ) 

क्षेत्र का कोड             क्षेत्र /परिक्षेत्र का प्रवर्ग          दिन का समय                                      रत का समय 
                                                                             ( सुबह 6 बजे से रात्रि 10 बजे )           ( रात्रि 10 बजे से सुबह 6 बजे ) 
  1. क             आद्यौगिक  क्षेत्र                      75 डेसीबल                                             70 डेसीबल   
  2. ख              वाणिज्य क्षेत्र                           65 डेसीबल                                            55 डेसीबल 
  3. ग               आवासीय क्षेत्र                        55 डेसीबल                                            45 डेसीबल 
  4. घ               शांति क्षेत्र                              50 डेसीबल                                             40 डेसीबल 

यहाँ शांत परिक्षेत्र से आशय ऐसे परिक्षेत्र से जिसमे शामिल है , अस्पताल , शैक्षणिक संस्थाओं , न्यायालयों , धार्मिक स्थानों या ऐसे अन्य क्षेत्र जिसे समक्ष प्राधिकारी द्वारा इस प्रकार घोषित किया गया है आस पास कम से कम 100 मीटर में अमाविष्ट है।  
ध्वनि प्रदुषण के प्रकार और श्रोत क्या है ?

ध्वनि प्रदुषण को इनकी भिन्नता के आधार पर तीन वर्गों मे विभाजित किया गया है :-
  1. परिवहन की ध्वनि। 
  2. पड़ोस की ध्वनि। 
  3. आद्यौगिक ध्वनि। 
1. परिवहन की ध्वनि -परिवहन की ध्वनि से आशय है की ऐसी ध्वनि जो की यातायात के साधनों से उत्त्पन होती है , जैसे वाहन का हॉर्न , इंजन की आवाज , मोटर साइकिल में लगे साइलेंसर की ध्वनि। 

2. पड़ोस की ध्वनि -  पड़ोस की ध्वनि से आशय है ऐसी ध्वनि से जो आस पड़ोस की भवनों से आती है जैसे कि टीवी से उत्त्पन होने वाली ध्वनि , रेडियो की ध्वनि , लाउड स्पीकर की ध्वनि, वाद्ययंत्र की ध्वनि , जनरेटर की ध्वनि आदि। 
3. आद्यौगिक ध्वनि - आद्यौगिक ध्वनि से आशय ऐसी ध्वनि से है जो कि आद्यौगिक कार्यो में लिप्त उपकरणों से उत्त्पन होती है जैसे कि मशीन , जनरेटर की ध्वनि , तोड़ फोड़ की ध्वनि , माइनिंग की ध्वनि ग्राइंडर की ध्वनि मिल , विशाल निकाय पंखे आदि। 

ध्वनि प्रदुषण के अन्य श्रोत 

1. ध्वनि प्रदुषण का एक श्रोत है आयोजन , कार्यक्रम इत्यादि। जैसे कि :-
  1. शादी समारोह,
  2. लाउड स्पीकर ,
  3. संगीत ,
  4. डी जे आदि। 
2. निर्माण कार्य से उत्त्पन्न होने वाली ध्वनि भी ध्वनि प्रदुषण का श्रोत और कारण बनती है जैसे कि :-
  1. भवनों , इमारतों , मकानों में निर्माण कार्य के दौरान तोड़ फोड़ की ध्वनि ,
  2. जनरेटर की ध्वनि  आदि। 
ध्वनि प्रदुषण से मनुष्यों के पर होने वाले प्रभाव क्या है ?

कोई भी ध्वनि हो जब वह अपने निर्धारित मानकता पर होती है , तो किसी भी प्रकार का प्रभाव मनुष्यों पर पड़ता , परन्तु यदि यही ध्वनि अपनी निर्धारित मानकता से अधिक होती है मनुष्यों पर उनके स्वास्थ को प्रभावित करती है मानसिक और शारीरिक दोनों।  
  1. तनाव और चिंता। 
  2. उच्च रक्तचाप। 
  3. चिडचीडापन। 
  4. आक्रामकता। 
  5. संचार में बाधा यानी बात चीत करने में समस्या उतपन्न होना। 
  6. बहरापन जिसके परिणामस्वररूप सुनाई अंशतः या पूर्णतः सुनाई न देना। 
  7. नींद आने में परेशानी होना। 
  8. इस्केमिक ह्रदय रोग। 
ध्वनि प्रदुषण के लिए सजा क्या है ? 

ध्वनि प्रदुषण जो कि एक गंभीर समस्या बनती जा रही है , जो की मनुष्यों के साथ साथ जिव जन्तुंऔ को भी मासिक व् शारीरिक रूप से प्रभावित कर रहा है। वातावरण को स्वस्थ बनाये रखना प्रत्येक नागरिकों का कर्तव्य है। 

ध्वनि प्रदुषण को नियमित और नियंत्रित करने के लिए कानून है जिसका नाम ध्वनि प्रदुषण विनियम और नियंत्रण नियम 2000 जो कि ध्वनि प्रदुषण को नियंत्रित करता है।  

1. ध्वनि प्रदुषण करना जो कि कानून के तहत एक दंडनीय अपराध है और ध्वनि प्रदुषण के जिम्मेदार व्यक्ति को निन्मलिखित कानूनी तरीके से दण्डित किया जा सकता है। 


2. भारतीय दंड संहिता 1860 के अध्याय 14 के तहत लोक स्वास्थ्य , क्षेम, शिष्टता और सदाचार पर प्रभाव डालने वाले अपराध के सम्बन्ध में प्रावधान किया गया है। कोई भी व्यक्ति ऐसा कार्य करता है उसके द्वारा किये गए कार्य से आस पास के क्षेत्र में रहने वाले लोगो के लिए परेशानी का कारण बनती है। जिसके बारे में उसे इसका पूर्ण रूप से ज्ञान है कि उसके द्वारा किये गए जीवन के लिए संकटपूर्ण किसी रोग का संक्रमण फैलना सम्भाव्य है तो ऐसा करने वाले व्यक्ति को भारतीय दंड संहिता की धारा 269 के तहत 6 माह तक कारावास की सजा से या जुर्माने से या दोनों से दण्डित किया जायेगा। 

3. पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 15 के के तहत अधिनियमों तथा नियमों , आदेशों और निदेशों के उपबंधों के उल्लंघन के लिए दंड का प्रावधान करती है। 

जो कोई भी पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के उपबंधों या इसके अधीन बनाये गए नियमों या निकले गए आदेश या दिए गए निदेशों में से किसी का पालन करने में असफल रहेगा या उल्लंघन जरएगा , वह ऐसी प्रत्येक असफलता या उलंघन के सम्बन्ध में कारावास से जिसकी अवधि 5 वर्ष तक हो सकेगी या जुर्माने से  1 लाख रूपये तक हो सकेगी या दोनों से दण्डित किया जाएगा।  

यदि ऐसी असफलता या उल्लंघन चालू रहता है तो अतिरिक्त जुर्माने से जो ऐसी प्रथम असफलता  उल्लंघन  दोषसिद्ध के बाद ऐसे प्रत्येक दिन के लिए जिसके दौरान असफलता या उललंघन चलु रहता है तो 5 हजार रूपये तक हो सकेगा दाण्डीय होगा।  



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