नमस्कार मित्रों ,
आज के इस लेख में हम जानेंगे कि निःशुल्क कानूनी सहायता पाने का हक़दार कानूनी रूप से कौन है ? किसको फ्री लीगल सर्विस मिल सकती है ? भारत में मुफ्त में कानूनी सहायता पाने का हक़दार कौन है ?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 विधि के समक्ष समता की बात करता है यानी राज्य , भारत के राज्य्क्षेत्र में किसी भी व्यक्ति को विधि के समक्ष समता से या विधियों के समान संरक्षण से वंचित नही किया जायेगा। वही भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39 क समान न्याय और निशुल्क विधिक सहायता की बात करता है।
राज्य या सुनिश्चित करेगा की विधिक तंत्र इस प्रकार काम करे की समान अवसर के आधार अपर न्याय सुलभ हो और वह विशिष्टतया यह सुनिश्चित करने के लिए की आर्थिक या किसी अन्य निर्योग्यता के कारण कोई नागरिक न्याय प्राप्त करने के अवसर से वंचित न रह जाये , उप्तुक्त विधान या स्कीम द्वारा या अन्य रीति से निःशुल्क विधिक सहायता की व्यवस्था करेगा।
नागरिकों को जो की आर्थिक व् अन्य निर्योग्यता के कारण न्याय से वंचित न हो जाये इसके लिए राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 के तहत राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण का गठन किया गया। इसमें प्रावधान बनाये गए की कौन -कौन निःशुल्क विधिक सेवा पाने का हक़दार होगा।
इसी को विस्तार से जाने।
भारत में निःशुल्क कानूनी सहायता पाने का हक़दार कौन है ?
विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम की धारा 12 के तहत निःशुल्क विधिक सहायता पाने के वे व्यक्ति हक़दार है जो समाज में आर्थिक रूप से कमजोर या अन्य निर्योग्यता के कारण से न्याय पाने से वंचित है , ये निम्न नागरिक शामिल है :-
- अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का सदस्य।
- संविधान के अनुच्छेद 23 में उल्लिखित मानव तस्करी या बेगार के शिकार व्यक्ति।
- एक महिला या एक बच्चा।
- मानसिक रूप. से बीमार या अन्यथा विकलांग व्यक्ति।
- एक व्यक्ति जो अवांछित आभाव की परिस्थितयों में है जैसे कि सामूहिक आपदा , जातीय हिंसा , जातीय अत्याचार , बाढ़ , सूखा, भूकंप या औद्योगिक आपदा का शिकार होने वाले।
- एक औद्योगिक कामगार।
- हिरासत में , अनैतिक व्यापर रोकथाम अधिनियम 1956 की धारा 2 के खंड जी के तहत एक सुरक्षात्मक घर में हिरासत सहित या किशोर न्याय अधिनियम 1986 की धारा 2 खंड जे के तहत एक किशोर गृह में या मानसिक स्वास्थ अधिनियम 1987 की धारा 2 के खंड जी के तहत एक मनोरोग अस्पताल या मनोरोग नर्सिंग होम।
- यदि मामला उच्चतम न्यायालय के अलावा किसी अन्य न्यायालय के समक्ष है तो निम्नलिखित अनुसूची में उल्लिखित राशि या राज्य सरकार द्वारा निर्धारित किसी उच्च राशि से कम वार्षिक आय प्राप्त करने वाले व्यक्ति और कम यदि मामला उच्चतम न्यायालय के समक्ष है तो 5 लाख रूपये से अधिक।
- आंध्र प्रदेश r/s 3,00,000/-
- अरुणाचल प्रदेश r/s 1,00,000/-
- असम r/s 3,00,000/-
- बिहार r/s 1,50,000/-
- छत्तीसगढ़ r/s 1,50,000/-
- गोवा r/s 3,00,000/-
- गुजरात r/s 1,50,000/-
- हरयाणा r/s 3,00,000/-
- हिमांचल प्रदेश r/s 3,00,000/-
- जम्मू कश्मीर r/s 3,00.000/-
- झारखण्ड r/s 3,00,000/-
- कर्नाटक r/s 3,00,000/-
- केरला r/s 3,00,000/-
- मध्यप्रदेश r/s 2,00,000/-
- महाराष्ट्र r/s 3,00,000/-
- मणिपुर r/s 3,00,000/-
- मेघालय r/s 3,00,000/-
- मिजोरम r/s 25,000/-
- नागालैंड r/s 1,00,000/-
- ओडिशा r/s 3,00,000/-
- पंजाब r/s 3,00,000/-
- राजस्थान r/s 3,00,000/-
- सिक्किम r/s 3,00,000/-
- तेलंगाना r/s 3,00,000/-
- तमिल नाडु r/s 3,00,000/-
- त्रिपुरा r/s 1,50,000/-
- उत्तर प्रदेश r/s 3,00,000/-
- उत्तराखण्ड r/s 3,00,000/-
- वेस्ट बंगाल r/s 1,00,000/-
- अन्डम एंड निकोबार द्वीप समूह r/s 3,00,00/-
- चंडीगढ़ r/s 3,00,000/-
- दादरा एंड नगर हवेली r/s 15,000/-
- दमन एंड दिऊ r/s 1,00,000/-
- दिल्ली r/s 3,00,000/-
- लदाख r/s 1,00,000/-
- लक्ष्यदीप r/s 3,00,000/-
- पुंडुचेर्री r/s 1,00,000/-
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