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नमस्कार मित्रों,
आज के इस लेख में हम जानेंगे कि "लोन / ऋण लेते समय ध्यान रखने वाली मुख्य बातें क्या है ? लोन / ऋण जिसे हम आप सभी आम बोल चाल की भाषा में उधार रुपया लेना और इसके बदले में मूलयवान वस्तु को सिक्योरिटी के रूप में गिरवी रखना।
और विस्तार से समझे।
अधिकतर व्यक्ति द्वारा बैंक / वित्तीय संस्था से लोन के रूप में धनराशि तभी ली जाती है, जब उनके पास उतना अधिक धन उस समय नहीं हो पाता या नहीं होता, जितने की आवश्यकता उस समय होती है। जब बैंक से लोन के रूप में धन राशि ली जाती है, तो बैंक के द्वारा कई प्रकार की अनिवार्य औपचारिकताएँ पूर्ण की जाती है , जैसे कि :-
- आय का श्रोत क्या है - इसका मुख्य उद्देश्य कि जो धनराशि आप बैंक से लोन के रूप में ले रहे, उसकी अदायगी कैसे होगी।
- लोन की धनराशि की सिक्योरिटी के रूप में गिरवी रखने वाली संपत्ति की प्रकृति क्या है और उसका मूल्य क्या है।
- पूर्वोत्तर किसी प्रकार का लिया गया लोन, यदि अंशतः , भागतः या पूर्णतः चूका दिया गया है या नहीं ?
- अन्य अनिवार्य औपचारिकताएँ बैंक द्वारा पूर्ण की जाती है।
लोन / ऋण लेते समय ध्यान रखने वाली मुख्य बाते।
1.लोन से सम्बंधित नियम व् शर्तों और योग्यता को ध्यान से पढ़े।
किसी भी वित्तीय संस्था से लोन लेने से पहले सबसे पहला कर्तव्य स्वयं का होता है, की जो लोन आप लेने जा रहे है उसकी नियम व् शर्तों को बड़े ध्यान से पढ़े व् अच्छी तरह से समझे। लोन की नियम व् शर्ते निम्न प्रकार की हो सकती है। जैसे कि :-
- लोन स्वीकृति की योग्यता क्या है
- लोन स्वीकृति की निर्धारित उम्र क्या है।
- किन नागरिकों के द्वारा आवेदन करने पर लोन स्वीकृति होगा।
- वेतनभोगी व्यक्त जो नियमित रूप से मासिक वेतन पाता है।
- स्वयं का कारोबार होने पर न्यूनतम कारोबार से प्राप्त धनराशि।
- कारोबार से प्राप्त धनराशि में से टैक्स कटौती के बाद न्यूनतम लाभ।
- वर्तमान में कारोबार की स्थिरता।
- ब्यूरो स्कोर अच्छा हो, यानी लोन लेने वाले व्यक्ति का क्रेडिट स्कोर अच्छा हो, जिसका निर्धारण व्यक्ति के बैंक बैलेंस से अनुमान लगाया जाता है।
- लोन लेने वाले व्यक्ति के पास बैंक का सेविंग अकाउंट हो।
- अन्य प्रकार की लिखित नियम व् शर्तों को और योग्यता को अवश्य पढ़ ले।
2.सादे लोन दस्तावेजों में हस्ताक्षर न करें।
किसी भी वित्तीय संस्था से लोन लेने से पहले ये ध्यान रखे की लोन के किसी भी सादे दस्तावेज में कभी भी हस्ताक्षर न करे। लोन से सम्बंधित सभी दस्तावेजों में हस्ताक्षर करने से पहले उन सभी दस्तावेजों को अच्छे पढ़े किसी भी प्रकार की कोई जल्दबाजी न करे। अच्छे से पढ़ने व् समझने के बाद ही दस्तावेजों में हस्ताक्षर करे।
यदि आप बिना पढ़े व् देखे और सादे दस्तावेजों में हस्ताक्षर करते है, तो आपके मन में कई तरह के सवाल आएंगे जैसे कि :-
- लोन के किन दस्तावेजों में हस्ताक्षर किया,
- सादे दस्तावेजों में हस्ताक्षर कर कोई गलती तो नहीं की,
- जिन सादे दस्तावेजों में हस्ताक्षर किये, उनका इस्तेमाल किसी और के लोन के गारंटर में न हो जाये।
- जिन सादे दस्तावेजों में हस्ताक्षर किया है, उनका इस्तेमाल किसी अन्य प्रकार के कार्यों में तो न हो जाये, जो की भविष्य में किसी मुसीबत का सामना न करना पद जाये।
- अन्य तरह की ख्याल मन में आ सकते है।
तो ऐसे ख्यालों से बचने के लिए लोन के दस्तावेजों को अच्छे से पढ़े व् समझे तभी हस्ताक्षर करे।
3. अनजान व्यक्ति को गोपनीय दस्तावेज न शोपें व् उसकी पहचान अवश्य करे।
लोन की आवश्यकता होने पर हम स्वयं वित्तीय संस्था जाते है, लेकिन कभी कभी क्या होता है कि, लोन से सम्बंधित कॉल, सन्देश या ईमेल आया करती है। जो कि घर बैठे बिना गारंटर के लोन देने का दावा करती है और कम पेपर वर्क में लोन स्वीकृत का दावा करती है। तो ऐसे में यदि आपके ऐसा कोई भी कॉल , सन्देश या ,ईमेल आता है और ऐसा झूठा दावा किया जाता है तो आपको किसी भी प्रकार की कोई भी गोपनीय जानकारी नहीं देनी है।
यदि लोन देने वाला व्यक्ति आपको यह विश्वास दिलाने की कोसिस करता है या यह दावा करता है की वह अधिकृत वित्तीय संस्था का कर्मचारी है, तो आपको दावा करने वाले व्यक्ति का अधिकृत कर्मचारी के रूप में कार्य करने वाला पहचान पत्र देखने का पूर्णरूप से अधिकार है।
लोन की आवश्कयता हो तो , तो स्वयं वित्तीय संस्था में जाना चाहिए।
4. खाली पोस्ट डेटेड चेक पर हस्ताक्षर न करे।
पोस्ट डेटेड चेक एक सामान्य चेक जो की नाम से ज्ञात होता है चेक जिनपर भविष्य की तिथि लिखी जाती है , यानी उस लिखित तिथि से बैंक द्वारा उस चेक का भुगतान नहीं किया जा सकता है। पोस्ट डेटेड चेक के निम्न पहलु है :-
- पोस्ट डेटेड को जारी करने के सम्बन्ध में रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा काफी कड़े नियम तैयार किये गए है।
- पोस्ट डेटेड चेक जारी होने की अवधि 3 माह तक की होती है , यह अवधि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा ही तय की गयी है।
- यदि खाताधारक के बैंक अकाउंट में वर्तमान में पर्याप्त धनराशि नहीं है , परन्तु यह विश्वास करने का उचित कारण है कि भविष्य में पर्याप्त धनराशि होगी , तो पोस्ट डेटेड चेक का उपयोग कर सकता है।
- वित्तीय संस्थान द्वारा जब लोन दिया जाता है तो पोस्ट डेटेड चेक की मांग की जाती है , यह सुनिश्चित करने के लिए. ऋण लेने वाला व्यक्ति ऋण का भुगतान में चूक न करें।
5. क्रॉस्ड चेक ही हमेसा दे।
क्रॉस्ड चेक कोई स्पेशल चेक नहीं होता है , बल्कि समान्य चेक में बाएं ऊपर की तरफ दो तिरछी समांतर रेखाओं से क्रॉस किया जाता है। यह दो समांतर रेखाएं यानी डबल लाइन नोटेशन यह दर्शाता है कि चेक में लिखित धनराशि केवल उसी व्यक्ति , संस्था , निगम या कार्यालय के बैंक खाते में ही हस्तांतरित किया जायेगा जिसका न नाम प्राप्तकर्ता के रूप में उल्लिखित है।
क्रॉस चेक की एक खासियत यह भी है और सुरक्षित भी की यह केवल उसी व्यक्ति के बैंक खाते में भुगतान होगा जिसका नाम उल्लिखित होगा।
6. इलेक्ट्रॉनिक क्लीयरिंग सर्विसेज का उपयोग करे।
इलेक्ट्रॉनिक क्लीयरिंग सर्विस एक ऐसी ऑनलाइन मनी ट्रांसफर की सुविधा है , जिसमें बैंक खाता धारक अपने बैंक अकाउंट से दूसरे अन्य के बैंक खाते में मनी ट्रांसफर कर सकता है।
लोन में किश्तें महीनेवार बंधी है , तो लोन लेने वाला व्यक्ति बैंक को उस निश्चित महीने की तारीख में भुगतान ऑनलाइन कर सकता है , जैसे ऑनलाइन बिजली , पानी, टेलीफोन आदि का भुगतान किया जाता है।
इलेक्ट्रॉनिक क्लीयरिंग सर्विस दो प्रकार की होती है :-
- क्रेडिट इलेक्ट्रॉनिक क्लीयरिंग सर्विस।
- डेबिट इलेक्ट्रॉनिक क्लीयरिंग सर्विस।
7. चेक बाउंस न हो बैंक अकाउंट में उपर्युक्त धनराशि रखें।
अगर आप किसी वित्तीय संस्था से लोन लेते है , तो इस बात का विशेष ध्यान रखे की आपके बैंक अकाउंट में पर्याप्त धन राशि हो , जो की देय तिथि के दिन बैंक अकाउंट में हो।
आपके द्वारा लोन की किश्तों का भुगतान चेक द्वारा किया जाता है , तो बैंक अकाउंट में धनराशि पर्याप्त हो , अन्यथा चेक बाउंस होने की स्थिति में बैंक द्वारा कानूनी प्रक्रिया भी की जा सकती है।
8.स्वीकृत लोन की धनराशि पर लगने वाले ब्याज दर को जरूर देखे।
लोन स्वीकृति की धनराशि पर लगने वाले ब्याज दर को देखना अति आवश्यक है क्योंकि इससे यह ज्ञात होता है की कुल कितना धन का भुगतान करना है। आवेदक को कितने प्रतिशत के ब्याज दर पर लोन की धनराशि मिलेगी यह निर्धारित करता है आवेदक के क्रेडिट स्कोर, मासिक आय, जॉब प्रोफाइल जैसे कारकों पर निर्भर करता है।
9. नेगेटिव रीपेमेंट रिकॉर्ड से बचने के लिए समय -समय पर ऋण भुगतान करते रहे।
लोन लेना जितना आपको आवश्यक है उतना ही उसकी किश्तें भरना भी अति आवश्यक है। यह किश्तें निर्धारित समय सीमा के भीतर भर देना लाभदायक होता है। इससे क्रेडिट स्कोर अच्छा बना रहता है। भविष्य में एक अच्छे अमाउंट में लोन मिलने की उम्मीद रहती है, इसीलिए नेगेटिव रीपेमेंट रिकॉर्ड से बचने के लिए समय समय पर ऋण भुगतान करते रहना चाहिए।
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