नमस्कार मित्रों ,
आज के इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे दूसरे व्यक्ति के नाम प्रॉपर्टी ट्रांसफर करें और प्रॉपर्टी ट्रांसफर करने के कितने तरीके है ?
कोई भी अपनी संपत्ति को तभी ट्रांसफर करने का अधिकार रखता है , जब उसको उस अमुक संपत्ति को ट्रांसफर करने का पूर्ण अधिकार हो। संपत्ति अंतरण अधिनियम के अंतर्गत व्यक्ति अपनी संपत्ति को इन चार विकल्पों के अनुसार ट्रांसफर कर सकता है :-
- विक्रय / सेल डीड।
- दान / गिफ्ट।
- विल / वसीयत।
इन सभी को विस्तार से समझे।
1. सेल डीड / विक्रय / बिक्रीनामा
सेल डीड / विक्रय / बिक्रीनामा ये सबसे अधिक लोक प्रिय और चर्चित प्रॉपर्टी ट्रांसफर करने का तरीका। जिसमें संपत्ति विक्रय करने वाला पक्षकार प्रतीफल के बदले में अपनी आधिकारिक संपत्ति का विक्रय करता है।
सबसे पहले संपत्ति के विक्रय को लेकर दोनों पक्षकार एग्रीमेंट करते है की संपत्ति विक्रय के लिए बाजारी मूल्य कितना है , कितने धनराशि में संपत्ति का विक्रय होना है , किस तिथि तक संपत्ति विक्रय की लिए रजिस्ट्रार कार्यालय में दोनों पक्षकार उपस्थित होके रजिस्ट्री की प्रक्रिया को पूरा करेंगे। रजिस्ट्रेशन अधिनियम 1908 की धारा 17 के तहत सेल डीड का रजिस्टर्ड होना अनिवार्य है।
2. गिफ्ट / दान
गिफ्ट / दान के माध्यम से व्यक्ति अपनी चल या अचल संपत्ति ट्रासंफर करने का विकल्प चुनता दूसरे पक्षकार के साथ लगाव व् प्रेम के भाव से , क्योकि संपत्ति दान करने वाला व्यक्ति दान देने वाले व्यक्ति से किसी प्रकार का कोई प्रतिफल पाने का इच्छुक नहीं होता है , क्योकि गिफ्ट / दान की गयी संपत्ति बिना प्रतिफल के होती है , यानी बिना किसी धन के बदले।
चल या अचल संपत्ति को दान में देने के लिए दाता को गिफ्ट डीड तैयार करनी पड़ती है यह स्टाम्प पेपर पर बनेगी। रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 की धारा 17 के अनुसार प्रत्येक अचल संपत्ति की रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। रजिस्ट्रेशन के बिना किया गया गया कोई भी दान वैध नहीं माना जायेगा।
3 . विल / वसीयत / इच्छा पत्र
विल / वसीयत / इच्छा पत्र संपत्ति ट्रांसफर करने का सबसे लोकप्रिय तरीका है , इसमें व्यक्ति अपने जीवन काल में ही अपनी आधिकारिक संपत्ति का ट्रांसफर अपने चुने हुए व्यक्ति को कर देता है। विल / वसीयत / इच्छा पत्र के माध्यम से ट्रांसफर की गयी संपत्ति में व्यक्ति के जीवन काल तक अधिकार बना रहता है उसके मृत्य के बाद यह अधिकार उस व्यक्ति को ट्रांसफर हो जाता है जिसके नाम विल / वसीयत / इच्छा पत्र किया गया है। रजिस्ट्रेशन अधिनियम 1908 की धारा 17 के अनुसार विल / वसीयत / इच्छा पत्र का रजिस्टर्ड होना अनिवार्य है।
विल करने वाला व्यक्ति अनुदानकर्ता (testator) कहलाता है।
जिस व्यक्ति को विल की जाती है उसके लाभगृहती (beneficiary) कहलाता है।
विल करने वाला व्यक्ति यानी अनुदानकर्ता अपनी सम्पत्ति के लिए कोई संरक्षक नियुक्त करता है तो उसे निष्पादकर्ता ( executor ) कहलाता है।
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