कब और कैसे अनुसूचित जाति का कोई व्यक्ति अपनी भूमि किसी अन्य जाति के व्यक्ति को विक्रय ,दान, बंधक, या पटटे पर दे सकेगा ? how sc sell his land to other caste ?
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नमस्कार मित्रों,
आज के इस लेख में हम जानेंगे कि " कब और कैसे अनुसूचित जाति का कोई व्यक्ति अपनी भूमि किसी अन्य जाति के व्यक्ति को विक्रय ,दान, बंधक, या पटटे पर दे सकेगा ? "
अनुसूचित जाति का व्यक्ति किसी अन्य जाति के व्यक्ति को जमीन कब और कैसे अंतरण कर सकेगा ?
उत्तर प्रदेश राज्य में भूमि के विक्रय से सम्बंधित प्रवधानों का उल्लेख प्रदेश राजस्व संहिता 2006 में दिया गया है। जब बात आती है कि कोई अनुसूचित जाति का भूमिधर व्यक्ति अपनी भूमि का भाग या सम्पूर्ण भुमि किसी अन्य जाती के व्यक्ति को यानी अनुसूचित जाति से भिन्न किसी जाती के व्यक्ति को भूमि बेचना चाहता है तो क्या करे ?
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 98 अनुसूचित जाति के भूमिधरों द्वारा अंतरण पर प्रतिबंध का प्रावधान करती है। इस अध्याय के उपबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना , अनुसूचित जाति के किसी भूमिधर को कलेक्टर की लिखित अनुमति के बिना कोई भूमि किसी अनुसूचित जाति के व्यक्ति से भिन्न व्यक्ति को विक्रय, दान ,बंधक या पटटे द्वारा अंतरित करने का अधिकार नहीं होगा।
कलेक्टर से अनुमति प्राप्त करना।
परन्तु यदि कोई अनुसूचित जाति का भूमिधर अपनी भूमि किसी अनुसूचित जाति के भिन्न जाति के व्यक्ति को विक्रय , दान, बंधक या पटटा पर देना चाहता है , तो ऐसे में कलेक्टर द्वारा ऐसी अनुमति तभी दी जा सकेगी जब अनुसूचित जाति के भूमिधर के पास अधिनियम की धारा 108 उपधारा 2 क़ अथवा धारा 110 के खंड क जैसी भी स्थिति हो , धारा में विनिर्दिष्ट कोई जीवित उत्तराधिकारी न हो।
कलेक्टर द्वारा अनुमति दिए जाने हेतु शर्तें।
जीवित उत्तराधिकारी न होने पर अनुसूचित जाति का भूमिधर अपनी भूमि का विक्रय , दान, बंधक या पटटा कर सकेगा।
1. संहिता की धारा 108 उपधारा 2 पुरुष भूमिधर , असामी या सरकारी पटटेदार के उत्तराधिकारी का सामान्य क्रम का उल्लेख करती है जिसके अंतर्गत निम्नलिखित उत्तराधिकारी है :-
- विधवा , अविवाहित पुत्री और पुत्र -पौत्रादिक क्रम में पुंजातीय वंशज , प्रति शाखा के अनुसार परन्तु यह कि किसी पूर्वमृत पुत्र के पुत्र और विधवा , चाहे वे जितनी भी नीची पीढ़ी में हो को विरासत में वह अंश मिलेगा जो पूर्व मृत पुत्र को यदि वह जीवित होता तो न्यागत होता।
- माता और पिता।
- विवाहित पुत्री।
- भाई और अविवाहित बहिन जो क्रमशः उसी मृत पिता के पुत्र और पुत्री हो और पूर्व मृत भाई का पुत्र , जब पूर्व मृत उसी मृत पिता का पुत्र हो।
- पुत्र की पुत्री।
- पिता की माता और पिता के पिता।
- पुत्री का पुत्र।
- विवाहित बहिन।
- सौतेली बहिन , जो उसी मृत पिता की ही पुत्री हो।
- बहिन।
- सौतेली बहिन का पुत्र, जहाँ बहिन उसी मृत पिता की ही पुत्री हो।
- भाई के पुत्र का पुत्र।
- पिता के पिता का पुत्र।
- पिता के पिता के पुत्र का पुत्र।
- माता की माता का पुत्र।
2 संहिता की धारा 110 स्त्री वारिस से भिन्न स्त्री भू धारक का उत्तराधिकार के सम्बन्ध में प्रावधान करती है , इस संहिता के प्रारम्भ किसी स्त्री भूमिधर , असामी या सरकारी पटटेदार की मृत्यु हो जाये म वहां किसी जोत या उसके भाग में उसका हित धारा 107 से 109 के उपबंधों के अधीन रहते हुए उत्तराधिकारी को न्यागत हो जायेगा। इसी धारा के खंड क के तहत :-
- पुत्र , अविवाहित पुत्री , पुत्र का पुत्र , पुत्र के पुत्र का पुत्र , पूर्व मृत पुत्र की विधवा और पूर्व मृत पुत्र के पूर्व मृत पुत्र की विधवा , प्रति शाखा के अनुसार सामान अंशों में न्यागत हो जायेगा।
- परन्तु प्रथमतः यह कि उसी शाखा का निटकतर दूरतर को अपवर्जित कर देगा।
- परन्तु द्वितीयतः यह कोई विधवा जिसने विवाह पर लिया हो अपवर्जित हो जायेगा।
3. अनुसूचित जाति का भूमिधर जिस जिले में अंतरण के लिए प्रस्तावित भूमि स्थित है, उस जिले से भिन्न किसी जिले में या अन्य राज्य में किसी नौकरी अथवा किसी व्यापर ,व्यवसाय , वृत्ति या करबार के निमित्त बस गया है या सामान्य तौर पर रह रहा है।
4. कलेक्टर समाधान हो गया है की विवहित कारणों से भूमि के अंतरण की अनुमति देना आवश्यक है।
अनुमति प्राप्त करने हेतु आवेदन।
1. जब किसी अनुसूचित जाति के भूमिधर को अपनी भूमि किसी अन्य जाति के व्यक्ति को विक्रय , दान , बंधक या पटटा पर देना है , तो पहले जिले के कलेक्टर के समक्ष लिखित आवेदन पत्र प्रस्तुत कर अनुमति प्राप्त करनी होगी। यह अनुमति आवेदन पत्र आर० सी ० प्रपत्र 27 नियम 99 (1) के प्रारूप के अनुसार भरा जायेगा। अनुसूचित जाति से सम्बंधित संक्रमणीय अधिकार वाले भूमिधर द्वारा अपनी भूमि को अनुस्कोहित जाति से भिन्न व्यक्ति के पक्ष में विक्रय, दान, वसीयत द्वारा अंतरण की अनुज्ञा के लिए आवेदन पत्र।
2. आवेदन पत्र कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत होने के बाद कलेक्टर द्वारा जाँच होगी जैसा वह आवश्यक समझे नायब तहसीलदार या उससे ऊँची रैंक के किसी अधिकारी को इसके लिए नियुक्त कर सकेगा। ऐसा अधिकारी भूमि के अंतरण के सम्बन्ध में प्रस्तुत आवेदन की जाँच कर दो प्रतियों में अपनी रिपोर्ट तैयार कर कलेक्टर को प्रेषित करेगा जिसमे एक प्रति आवेदक को दी जाएगी और दूसरी प्रति को जिसपर कलेक्टर अनुमति प्रदान करेगा।
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