नमस्कार मित्रों,
आज के इस लेख में हम जानेंगे कि " फरलो क्या है ? इसका सम्बन्ध जेल के नियम से है , यानी जेल में कैद सजायाफ्ता कैदियों की कुछ समय की रिहाई से है।
फरलो को लेकर दो सामान्य से सवाल मन में आते है :-
- फरलो क्या है ?
- फरलो पर किन कैदियों को रिहा किया जाता है ?
इन सवालों को विस्तार से जाने।
1. फरलो क्या है ?
फरलो जेल नियम का ऐसा नियम है जिसके आधीन जेल में सजायाफ्ता कैदियों को जेल नियम की शर्तों पर कुछ अवधि पर समय -समय-पर रिहा किया जाता है। फरलो पर सजायाफ्ता कैदियों को रिहा करने का मुख्य उद्देश्य उन कैदियों के मन में जेल के प्रभाव को कम करना, समाज में और अपने अपरिवार, नातेदारों के मध्य कुछ समय बिता सके और कुछ अच्छे पल सजों सके।
2.फरलो पर किन कैदियों को रिहा किया जाता है ?
फरलो पर कैदियों को रिहा करने के सम्बन्ध में प्रत्येक राज्यों के अपने जेल नियम है। इन्ही जिअल नियमानुसार सज्यफ्ता कैदियों को समय-समय पर जेल से कुछ अवधि के लिए शर्तों पर रिहा किया जाता है।
दो राज्यों के जेल नियम के बारें में जानेंगे ताकि फरलो को अच्छी तरह से समझा जा सके।
- दिल्ली जेल अधिनियम 2000 .
- मुंबई जेल अधिनियम ।
1. दिल्ली जेल अधिनियम 2000 के तहत फरलो ।
दिल्ली जेल अधिनियम 2000 की धारा ज फरलो को परिभाषित करती है। फरलो का अर्थ है कि किसी सजायाफ्ता कैदी को पुरस्कार के रूप में छुट्टी जिसे पांच साल या पांच साल से अधिक के कठोर कारावास की सज सुनाई जा चुकी है और इन पांच साल या पांच साल से अधिक कारावास की अवधि में वह तीन साल की कारावास की सजा से गुजर चूका है।
ऐसे सजायाफ्ता कैदी को फरलो पर रिहा किया जा सकता है। इसके लिए कैदी की तरफ से जेल के अधिकारी के समक्ष आवेदन करना होता है।
2. जेल अधिनियम 1984 के तहतफरलो ।
जेल अधिनियम 1984 की धारा 5 क फरलो व्यवस्था को परिभाषित करता है। जेल में कैदियों को फ़िलहाल लागुनियमों के अनुसार फरलो पर छोड़ने की व्यवस्था से है।
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