Gi Tag - Geographical indication tag -भौगोलिक संकेत क्या है ? भौगोलिक उपदर्शन से सम्बंधित सामान्य ज्ञान।
नमस्कार मित्रों ,
आज के इस लेख में हम जानेंगे कि Gi Tag - Geographical Indication tag - भौगोलिक संकेत क्या होता है ? अकसर जब हम किसी शहर को जाते है या उसका नाम सुनते है तो यह सवाल जरूर करते है कि इस शहर में फेमस क्या है , तो लोग कई चीज बताते है लेकिन इन सब में खाने की चीज जो बहुत फेमस यानी विख्यात होती है उसका नाम बताते है।
जैसे जब चर्चा पान की होती है तो सभी लोग कहते है बनारस के पान जैसा पान कहीं नहीं ? आम की चर्चा होती है तो बनारस का लंगड़ा आम जैसा आम नहीं। क्योकि ये खाद्य सामग्री अपनी गुणवत्ता और स्वाद के अनुसार इतना विख्यात है कि सभी इसको पसंद करते है।
- Gi Tag - Geographical indication tag -भौगोलिक संकेत क्या है ?
- भौगोलिक संकेत की पहचान का प्रमाण कौन देता है ?
- किन चीजों को भौगोलिक संकेत मिलता है ?
- भौगोलिक संकेत कैसे मिलता है ?
- भौगोलिक उपदर्शन के लाभ ?
- भौगोलिक उपदर्शन से सम्बंधित सामान्य ज्ञान।
इन सभी सवालों के जवाब हम विस्तार से जानेगें।
1. Gi Tag - भौगोलिक संकेत क्या है ?
माल का भौगोलिक उपदर्शन (रजिस्ट्रीकरण और संरक्षण ) अधिनियम 1999 की धारा 2 उपधारा 1 खंड ड में सम्बन्ध में भौगोलिक उपदर्शन को परिभाषित किया गया है।
भौगोलिक उपदर्शन जिसमे ऐसे ऐसे माल की कृषि माल , प्राकृतिक माल या विनिर्मित मॉल के रूप में ऐसे पहचान होती है कि उसका उद्भव या विनिर्माण किसी देश के राज्यक्षेत्र में या उस राज्य्क्षेत्र के किसी क्षेत्र या परिक्षेत्र में हुआ है। जिसमे ऐसे माल की गई गयी गुणवत्ता , प्रतिष्ठता या अन्य लक्षण आवश्यक रूप से उसके भौगोलिक मूल से तात्त्पर्यित है और किसी ऐसी दशा में जिसमे ऐसा माल विनिर्मित है सम्बंधित माल के उत्पादन या प्रसंस्करण या तैयार करने के क्रियाकलापों में से कोई यथास्थित ऐसे क्षेत्र या परिक्षेत्र में होता है।
Gi tag - भौगोलिक उपदर्शन कुछ उत्पादक को दिया जाने वाला एक नाम या संकेत है जो किसी विशिष्ट भौगोलिक स्थान या किसी क्षेत्र , शहर या देश की उत्पत्ति से सम्बंधित है। भौगोलिक उपदर्शन का उपयोग एक प्रमाणीकरण के रूप में माना जा सकता है कि विशेष उत्पाद पारंपरिक तरीकों के अनुसार उत्पादित किया जाता है। ऐसे उत्पादक में विशिष्ट गुण या भौगोलिक उत्पत्ति के कारण एक विशेष प्रतिष्ठा होने के कारण इन्हे भौगोलिक उपदर्शन का नाम दिया जाता है।
Gi Tag यह सुनिचित करता है कि अधिकृत उपयोगकर्ताओं के रूप में पंजीकृत लोगो के सिवा किसी अन्य को भी लोकप्रिय उत्पाद के नाम का उपयोग करने की अनुमति नहीं देती है।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर Gi Tag विनियमन विश्व व्यापर संगठन WTO के बौद्धिक सम्पदा अधिकार के व्यापार सम्बन्धी आयामों TRIPS पर समझौते के तहत किया जाता है।
2. भौगोलिक संकेत की पहचान का प्रमाण कौन देता है ?
भौगोलिक उपदर्शन उतपाद की पहचान और विशेषता को प्रमाणित करने का एक नाम चिन्ह है जो कि एक प्रमाणपत्र के जरिये प्रदर्शित होता है जो कि माल का भौगोलिक उपदर्शन रजिस्ट्रीकरण और संरक्षण अधिनियम 1999 द्वारा प्रशासित होता है। महानियंत्रक , एकस्व अभिकल्प एवं व्यापार चिन्ह औद्योगिक निति एवं संघर्ष विभाग उद्योग एवं वाणिज्य मंत्रालय भारत सरकार के जरिए Gi Tag जारी किये जाते है। Gi Tag प्रमाणपत्र रजिस्ट्री कार्यालय से रजिस्ट्रार द्वारा जारी किये जाते है।
3. किन चीजों को भौगोलिक उपदर्शन का चिन्ह मिलता है ?
माल का भौगोलिक उपदर्शन रजिस्ट्रीकरण और संरक्षण अधिनियम 1999 की धारा 2 उपधारा 1 खंड च में माल को परिभाषित किया गया है। माल की परिभाषा के अनुसार इन चीजों को भौगोलिक उपदर्शन का चिन्ह मिलता है :-
- कृषिक।
- प्राकृतिक।
- विनिर्मित माल।
- हस्तशिल्प।
- उद्योग का कोई माल।
- खाद्य पदार्थ।
4. भौगोलिक संकेत कैसे मिलता और इसकी अवधि कितनी होती है ?
माल का भौगोलिक उपदर्शन रजिस्ट्रीकरण और संरक्षण अधिनियम 1999 की धारा 11 भौगोलिक उपदर्शन रजिस्ट्रीकरण के लिए आवेदन के लिए प्रक्रिया और उसकी अवधि का प्रावधान करती है।
- कोई व्यक्ति या उत्पादक का कोई संगम या सम्बंधित माल के उत्पादकों के होता का प्रतिनिधित्व करने वाला उस समय लागु किसी विधि द्वारा या उसके अधीन स्थापित कोई संगठन या प्राधिकरण जो ऐसे माल के सम्बन्ध में भौगोलिक उपदर्शन को रजिस्टर कराने के इच्छुक है रजिस्ट्रार को लिखित रूप में ऐसे प्रारूप में और ऐसी रीति से ऐसी फीस के साथ जो भौगोलिक उपदर्शन के रजिस्ट्रीकरण के लिए विहित की जाये आवेदन करेगा।
कंट्रोलर जनरल ऑफ़ पेटेंट्स डिजाइंस एंड ट्रेड मार्क्स द्वारा आवेदन की जाँच होती है। इस संस्था द्वारा किये गए आवेदन की जाँच के पश्चात सम्बंधित उत्पाद को Gi Tag दिया जाता है।
माल का भौगोलिक उपदर्शन रजिस्ट्रीकरण और संरक्षण अधिनियम 1999 की धारा 18 भौगोलिक उपदर्शन की अवधि का प्रावधान करती है। माल का भौगोलिक उपदर्शन का रजिस्ट्रीकरण 10 वर्षों के लिए होगा किन्तु इस उपबंधों के अनुसार समय समय पर नवनीकरण किया जा सकेगा।
5. भौगोलिक संकेत के लाभ ?
माल का भौगोलिक उपदर्शन रजिस्ट्रीकरण और संरक्षण अधिनियम 1999 जैसा की इस अधिनियम से ही मालूम होता है कि उत्पाद का रजिस्ट्रीकरण कर उसको संरक्षण प्रदान करना है।
- उत्पाद के रजिस्ट्रीकरण से उत्पाद को विधिक संरक्षण मिलता है।
- उत्पाद के अनधिकृत उपयोग पर रोकथाम लगती है।
- उपभोक्ताओं को वांछित गुणों की गुणवत्ता वाले उत्पाद प्राप्त करने में मदद करता है।
- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में इनकी मांग को बढाकर उत्पादक की आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देता है।
6. भौगोलिक उपदर्शन से सम्बंधित सामान्य ज्ञान।
- माल का भौगोलिक उपदर्शन रजिस्ट्रीकरण और संरक्ष्ण अधिनियम 1999 द्वारा माल का भौगोलिक उपदर्शन प्रशासित होता है।
- भौगोलिक उपदर्शन के लिए रजिस्ट्रार के समक्ष आवेदन करना होता है।
- कंट्रोलर जनरल ऑफ़ पेटेंट्स डिजाइंस एंड ट्रेड मार्क्स के द्वारा आवेदन की जाँच होती है।
- भौगोलिक उपदर्शन का रजिस्ट्रीकरण की अवधि 10 वर्ष की होती किन्तु समय समय पर नवीकरण होता है।
- वर्ल्ड इंटलैक्चुअल प्रॉपर्टी आर्गेनाईजेशन के अनुसार भौगोलिक उपदर्शन उत्पादक को दिए जाने वाला एक लेबल है।
- भारत में भौगोलिक उपदर्शन का चिन्ह मिलने वाला प्रथम उत्पाद दार्जलिंग चाय है। इसे सना 2004 -2005 में दिया गया था।
- भौगोलिक उपदर्शन उत्पाद की भौगोलिक विशेषता , गुणवत्ता , विख्यात होने पर मिलता है।
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