कब तलाकशुदा महिला या पुरुष पुनः विवाह कर सकते है ? remaariage after divorce in india under hindu law
नमस्कार मित्रों,
आज के इस लेख में जानेंगे कि " कब तलाकशुदा महिला या पुरुष पुनः विवाह कर सकते है ? यानी कब विवाह विच्छेद प्राप्त व्यक्ति पुनः विवाह कर सकेंगे ?
हिन्दू धर्म में विवाह एक पवित्र अनुष्ठान और एक पवित्र रिश्ते की श्रेणी में स्थान दिया गया है। क्योकि विवाह के लिए विवाह से पहले कई तैयारी की जाती है। वर -वधु विवाह अनुष्ठान के दौरान सात जन्मो तक साथ रहने का वचन एक दूसरे को देते है।
परन्तु कभी -कभी परिस्थियों ऐसी हो जाती है कि सात जन्मो तक साथ रहने के इस वचन को तोडना पड़ जाता है। जिसके परिणामस्वरूप पक्षकार डाइवोर्स / तलाक / विवाह विच्छेद के लिए न्यायालय में याचिका दायर करते है। डाइवोर्स के सम्बन्ध में आपके मन में भी कई सावला उठ रहे होंगे जैसे कि :-
- विवाह विच्छेद / तलाक / divorce के आधार क्या है ?
- विवाह विच्छेद/ तलाक / divorce की डिक्री प्राप्त करने के बाद पुनः विवाह कब किया जा सकता है ?
इन सभी सवालों के जवाब विस्तार से जाने। .......
divorce / विवाह विच्छेद / तलाक के लिए आधार क्या है ?
हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 की धरा 13 में विवाह विच्छेद / divorced के लिए प्रावधान दिया गया है। जिसके तहत पति या पत्नी विवाह विच्छेद की प्राप्त करने के लिए न्यायालय के समक्ष निम्न आधारों पर अर्जी / याचिका प्रस्तुत कर सकते है। ये आधार निम्न है :-
- पति या पत्नी ने किसी अन्य व्यक्ति व्यक्ति के साथ अपनी मर्जी से मैथुन ( संभोग ) किया है ,या
- विवाह के बाद पति या पत्नी में किसी ने एक दूसरे के साथ क्रूरता का व्यव्हार किया हो / अर्जीदार के साथ क्रूरता का व्यव्हार किया गया है , या
- पति या पत्नी दोनो में से किसी ने अपना धर्म परिवर्तन कर लिया है , जिसके कारण हिन्दू न रह गए है , या
- पति या पत्नी दोनों में से कोई भी असाध्य रूप से विकृत - चित्त रहा है अथवा निरंतर या आंशिक रूप से इस प्रकार के और इस हद तक मानसिक रूप से पीड़ित रहा है कि अर्जीदार से युक्तियुक्त रूप में यह आशा नहीं की जा सकती कि वह अर्जीदार के साथ रहे।
- पति -पत्नी दोनों में से कोई उग्र और असाध्य कुष्ठ रोग से पीड़ित है।
- पति - पत्नी दोनों में से कोई संचारी रूप से रंजित रोग से पीड़ित है।
- पति -पत्नी दोनों में से कोई धार्मिक पंथ के अनुसार प्रवज्या (सन्यास ) ग्रहण कर लिया है।
- पति -पत्नी दोनों में से कोई पक्षकार जीवित है या नहीं इसके बारे में 7 वर्षों तक या अधिक की अवधि तक उनके बारे में कुछ न सुना गया है , यदि वह पक्षकार जीवित होता स्वाभाविक उस पक्षकार के बारे में सुना होता।
इन आधारों पर विवाह विच्छेद की डिक्री प्राप्त व्यक्ति पुनः विवाह कर सकेंगे , लेकिन जब हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 15 में वर्णित आधारों को पूर्ण करता है।
कब विवाह विच्छेद / तलाकशुदा महिला या पुरुष पुनः विवाह कर सकेंगे ?
हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 15 के अंतर्गत कब विवाह विच्छेद की डिक्री प्राप्त व्यक्ति पुनः विवाह कर सकेंगे इसक समबन्ध में प्रावधान दिया गया है :-
- जब विवाह विच्छेद की डिक्री ( divorce decree ) द्वारा विवाह विघटित कर दिया हो,
- जब विच्छेद की डिक्री के विरुद्ध अपील करने का कोई अधिकार ही न हो,
- जब विवाह विच्छेद की डिक्री के विरुद्ध अपील करने अधिकार हो तो अपील उपस्थापित हुए बिना अवसान हो गया हो ,
- जब विवाह विच्छेद विरुद्ध अपील की गयी हो किन्तु ख़ारिज कर दी गयी हो
तब विवाह पुनः विवाह किसी पक्षकार के लिए करना विधिपूर्ण होगा।
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