मानवाधिकार क्या है ? मानवाधिकार में किस प्रकार की शिकायत की सुनवाई होती है ? मानवाधिकार में शिकायत कैसे करे ?
नमस्कार मित्रों,
आज के इस लेख में हम मानवाधिकार के बारे बात करेंगे कि मानवाधिकार आयोग क्या है ? मानवाधिकार में किस प्रकार की शिकायत की जा सकती है और मानवाधिकार में किस प्रकार की शिकायत नहीं की जा सकती है।
मानवाधिकार जैसा कि इसके नाम से ही ज्ञात हो रहा है कि मानव अधिकार। मानव अधिकार वे है जो देश के प्रत्येक नागरिकों को भारतीय संविधान द्वारा प्रदान किये गए है। मानव अधिकार नागरिकों को संविधान द्वारा मूलभूत अधिकार के रूप में प्रदान किये गए है , ये मूलभूत अधिकार मानव के विकास और निर्माण के लिए अत्यंत आवश्यक होते है।
यदि मानव अधिकार का उललंघन होता है , तो उनके उपचार का भी प्रावधान संविधान में है , परन्तु एक विशिष्ठ संगठन की आवश्यकता पड़ी जो की मानव अधिकार के संरक्षण व् मानव धिकार के उललंघन सम्बंधित मामलों का निवारण व् निपटारा और समाधना कर सके। मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 की धारा 12 के अधीन राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का गठन किया गया।
मानव अधिकार आयोग को लेकर आप सभी के मन कई तरह के सवाल उठ रहे होंगे जैसे की :-
- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग क्या है ?
- मानवाधिकार में किस प्रकार की शिकायत की सुनवाई होती है ?
- मानवाधिकार में किस प्रकार की शिकायत की सुनवाई नहीं होती ?
- मानवाधिकार में शिकायत कैसे करे ?
इन सभी सवालों के जवाब विस्तार से जानेंगे।
1. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग क्या है ?
1947 में ब्रिटिश शासकों से भारत को आजादी मिलने के पश्चात 26 जनवरी 1950 में भारतीय संविधान के प्रारंभ होने के बाद आजाद भारतीय नागरिकों को संविधान के भाग 3 में लिखित मूलभूत अधिकार प्रदान किये गए। ये मूलभूत अधिकार नागरिकों के विकास और निर्माण के लिए अत्यंत सहायक है। इन मूलभूत अधिकारों के उललंघन होने पर संविधान में इनके उपचार का भी प्रावधान किया गया।
परन्तु एक विशिष्ट आयोग की आवश्यकता हुई जो कि विशेषकर मानव अधिकार के उललंघन पर इनके निवारण , रोकथाम , निपटारे के लिए और समाधान के लिए उपाय व् उपचार के लिए कार्य करे।
मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 की धारा 12 के अधीन 12 अक्टूबर 1993 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य मानवाधिकार के उललंघन के निवारण, निपटारे, रोकथाम और समाधान करना है।
मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 की धारा 12 1 घ में मानव अधिकारों को संविधान द्वारा गारंटीकृत और अंतराष्ट्रीय प्रसंविदाओं में समाविष्ट तथा भारत में न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय व्यक्तियों के अधिकाओरन के रूप में परिभाषित किया गया है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन निम्न प्रकार से होगा जिसमे :-
- एक अध्यक्ष,
- चार पूर्णकालिक सदस्य,
- सात पदेन सदस्य , इन सात पदेन सदस्य में एक सांविधिक पूर्ण आयोग के लिए विशेष आमंत्रित होगा।
- आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति के लिए संविधान में उच्च योग्यता निर्धारित की गयी है।
कोर समूह का गठन होगा जो निम्न कार्यो पर अपनी सलाह देगा :-
- वृद्ध व्यक्तियों पर कोर समूह,
- पर्यावरण , जलवायु परिवर्तन और मानवाधिकार पर कोर समूह,
- व्यापर, पर्यावरण एवं मानवाधिकारों पर राष्ट्रीय मानव अधिअक्र आयोग के कोर समूह का गठन,
- महिलाओं से सम्बंधित कोर समूह का गठन,
- राष्ट्रीय मानव अधियकर आयोग में आपराधिक न्याय प्रणाली सुधार पर कोर समूह।
विशिष्ट डिवीजन और कर्मचारी होंगे :-
- विधि अनुभाग,
- अन्वेषण अनुभाग,
- निति अनुसंधान , प्रोजेक्ट एवं कार्यक्रम अनुभग ,
- प्रशिक्षण अनुभग,
- प्रशासन अनुभाग।
2. मानवाधिकार आयोग में किस प्रकार की शिकायत की विचारण होती है ?
मानवाधिकार आयोग में पीड़ित व्यक्ति निम्न प्रकार की शिकायतें कर सकता है , जिनपर मानवाधिकार आयोग विचार करने के लिए स्वतंत्र है :-
- महिलाओं के साथ होने वाले यौन उत्पीड़न तथा अपमान,
- महिलओं के साथ होने वाले शोषण के खिलाफ,
- दहेज़ की मांग पूरी न होने पर दहेज़ हत्या, दहेज़ ,मांगने का प्रयास ,
- अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों पर अत्याचार ,
- बल विवाह,
- अपहरण,
- बलात्कार,
- हत्या,
- बंधुवा मजदूरी,
- बाल मजदूरी,
- सांप्रदायिक हिंसा,
- हिरासतीय हिंसा,
- मुठभेड़ में मौत,
- अवैध गिरफ़्तारी
- गैर कानूनी कैद,
- नजरबंदी तथा प्रताड़ना,
- पुलिस द्वारा अत्याचार ,
- पुलिस द्वारा गोलीबारी और मुठभेड़ ,
- बिजली विभाग की लापरवाही से हुई मौत के मामले,
- कैदियों का उत्पीड़न ,
- जेल की दशाएं,
- हिरासत में मौत,
- अन्य पुलिस ज्यादतियाँ,
- झूठे मामलों में फसाना,
- पुलिस प्रशासन के सम्बन्ध में ,
- करवाई करने में असफलता,
- मानव तस्करी,
- ब्रष्टाचार के मामले,
- प्रदुषण एवं पर्यावरण सम्बंधित मामले,
- समलैंगिक पुरुषों या महिलओं के खिलाफ होने वाले अपराध,
- अन्य विचारणीय शिकायते।
- चिकित्सा लापरवाही से हुई मौत से सम्बंधित मामले।
3. मानवाधिकार आयोग में किस प्रकार की शिकायतों पर विचारण नहीं होगी ?
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (प्रक्रिया ) संशोधित विनियम 1997 के विनियम 9 के अधीन मानवाधिकार आयोग में सामान्यतः निम्न प्रकार की शिकायतों पर विचारण नहीं होगा :-
- अस्पष्ट,
- अनिश्चित, गुमनाम, छद्मनामी,
- मामूली या तुच्छ,
- अधिनियम की धारा 36 उपधारा 1 व् 2 के अधीन प्रतिबंधित,
- किसी लोक सेवक के विरुद्ध न लगाए गए आरोप,
- सिविल मामलों से सम्बंधित विवाद जैसे की संपत्ति का अधिकार, संविदात्मक दायित्व,
- सेवा मामलों से सम्बंधित विवाद,
- श्रम और औद्योगिक मामलों से सम्बंधित विवाद,
- मानवाधिकारों का कोई विशेष उल्लंघन न करने वाले आरोप,
- न्यायालय या ट्रिब्यूनल के समक्ष विचाराधीन मामलें ,
- न्यायिक निर्णय या आयोग से आच्छादित मामले ,
- जहाँ शिकायत की एक प्रति केवल किसी अन्य प्राधिकरण को सम्बोधित की गयी है,
- किसी अन्य आधार पर मामला आयोग के दायरे से बाहर है।
4. मानवाधिकार आयोग में शिकायत कैसे करे।
मानवधिकार आयोग में शिकायत करने के सम्बन्ध में निम्न दिशानिर्देश है :-
- शिकायत ऑनलाइन दर्ज की जा सकती है।
- शिकायत विवरण अंग्रेजी में भरना होगा।
- शिकायतकर्ता का विवरण जैसे नाम ,लिंग , पता , राज्य , जिला , पिन कोड , ईमेल आईडी, मोबाइल नंबर
- पीड़ित का विवरण जैसे :- नाम , पता, राज्य, जिला, लिंग, पिन कोड , दिव्यांगता, आयु, धर्म, जाति।
- घटना का ववरण :- स्थान, राज्य ,जिला, घटना की तिथि, घटना की श्रेणी, घटना की उपश्रेणी।
- शिकायत का वृतांत।
- क्या इसे किसी न्यायालय / राज्य मानवाधिकार आयोग के समक्ष दर्ज किया गया है , हाँ या नहीं।
- राहत का विवरण।
- लोक सेवक का नाम पदनाम एवं पता - उस लोक सेवक अधिकारी का पूर्ण विवरण लिखें जिसके विरुद्ध शिकायत की गयी है।
- जिसके लिए राहत मांगी गयी है :-मानव अधिकारों के उललंघन के विरुद्ध मांगी गयी राहत का पूर्ण विवरण लिखे।
No comments:
lawyer guruji ब्लॉग में आने के लिए और यहाँ पर दिए गए लेख को पढ़ने के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद, यदि आपके मन किसी भी प्रकार उचित सवाल है जिसका आप जवाब जानना चाह रहे है, तो यह आप कमेंट बॉक्स में लिख कर पूछ सकते है।
नोट:- लिंक, यूआरएल और आदि साझा करने के लिए ही टिप्पणी न करें।