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लड़ाई -झगड़ा , मार पीट में कौन कौन सी धाराएं लगती है ?

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 नमस्कार मित्रों, 

आज के इस लेख में हम जानेंगे कि लड़ाई -झगड़ा , मार पीट में कौन कौन सी धाराएं लगती है ? अक्सर हम समाचार पत्र , टेलीविज़न न्यूज़ में खबर मिला करती है , मोहल्लों में या सार्वजानिक स्थान में या अन्य किसी स्थान में दो गुटों में या एक या अधिक व्यक्तियों में किसी बात को लेकर तू तू मै मैं इतना बढ़ जाता है कि दोनों आक्रोशित हो कर लड़ाई -झगड़ा व् मार पीट करने लग जाते है।  इस मार पीट  में दोनों ओर को काफी क्षति होती है , यह क्षति शारीरिक , मासिक और आर्थिक हो सकती है। 

ऐसे में इस लड़ाई झगडे व् मार पीट की जानकारी नजदीकी थाने को होती है, या पीड़ित व्यक्ति स्वयं या उसके किसी परिवार, मित्र या जानने वाले के द्वारा सूचना थाने में दी जाती है, तो पुलिस थाने का भारसाधक अधिकारी उक्त सूचना पर प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करता है।  इस प्रथम सूचना रिपोर्ट में सूचना से सम्बंधित कथन लिखा होता है , अभियुक्त के नाम, पता और इन अभियुक्त पर लगाई गयी धाराओं का कथन लिखित होता है। 




अब प्रथम सूचना रिपोर्ट में कौन कौन सी धाराएँ लिखी जाती है , इनके विस्तार से जाने। 

लड़ाई झड़गा व् मार पीट में कौन कौन सी कानूनी धाराएँ लगती है ? 

 लड़ाई -झगड़ा व् मारपीट के दौरान दोनों पक्षकारों की तरफ काफ नुकसान और क्षति होती है, ऐसे में हुई मारपीट, लड़ाई झगड़े  में इनकी प्रकृति व् परिस्थिति के अनुसार पुलिस द्वारा मौके पर व् अन्वेषण के दौरान प्राप्त घटना के तथ्यों पर चार्ज शीट तैयार की जाती है।  

पुलिस द्वारा जब प्रथम सूचना रिपोर्ट तैयार की जाती है , घटना की परिस्थितियों से प्राप्त सूचना पर अभियुक्त या अभियुक्तों पर भारतीय दंड संहिता 1860  तत्समय लागु अन्य विधि के अधीन विनिर्दिष्ट धाराएँ आरोपित की जाती है। 

इन सभी धाराओं से जाने। 

1. भारतीय दंण्ड संहिता 1860 की धारा 302 - हत्या के लिए दंड। 

यदि दो गुटों में किसी बात को लेकर इतनी गहमा गहमी हो जाती है और उस लड़ाई झगड़े , मारपीट के दौरान , इस आक्रोश के कारण किसी व्यक्ति की मृत्यु कारित हो जाती है, तो मृत्यु कारित करने वाले व्यक्ति को हत्या कारित किये जाने के आरोप में दोषसिद्धि पर धारा 302 तहत दण्डित किया जायेगा। 

दंड - मृत्यु दंड। 
कारावास - आजीवन कारावास।
जुर्माना -  निर्धारण न्यायालय द्वारा। 

2. भारतीय दण्ड संहिता 1860 की धारा 307 - हत्या करने का प्रत्यन करने के लिए दंड। 

जो कोई मारपीट या लड़ाई झगडे या अन्य किसी कारण से हमला इस आशय से या ऐसी परिस्थितयों में किया जाता है कि उस हमले से किसी व्यक्ति की मृत्यु कारित कर देता है तो वह व्यक्ति जिसने ऐसी मृत्यु कारित की है वह हत्या का दोषी होता है। दोषसिद्धि पर धारा 307 के तहत दण्डित किया जायेगा। 
दंड -
कारावास - 10 वर्ष तक कारावास। 
जुर्माना - निर्धारण न्यायालय द्वारा। 

और यदि कोई व्यक्ति मारपीट या लड़ाई झगडे से या अन्य किसी कार्य द्वारा मृत्यु कारित करने के आशय से हमला  करता है और उस व्यक्ति को क्षति (उपहति) कारित हो जाये तो दोषसिद्धि पर अपराधी को धारा 307 के तहत दण्डित किया जायेगा। 
दंड -
कारावास - आजीवन कारावास या 10 वर्ष  कारावास। 
जुर्माना - निर्धारण न्यायालय द्वारा। 

3.भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 308-आपराधिक मानव वध करने का प्रयत्न। 

जो कोई व्यक्ति लड़ाई -झगड़ा व् मारपीट ऐसे आशय या ज्ञान से और परिस्थितियों में करेगा कि यदि उस लड़ाई -झगडे व् मारपीट से वह व्यक्ति मृत्यु कारित कर देता है , ऐसे आशय और ज्ञान से मृत्यु कारित करने वाले व्यक्ति  हत्या की कोटि में न आने वाले आपराधिक मानव वध का दोषी होता है , तो धारा धारा 308 के अधीन आपराधिक मानव वध करने का प्रयत्न पर दण्डित किया जायेगा। 
दंड -
कारावास - 3 वर्ष तक कारावास की सजा। 
जुर्माना - जुर्माने से या कारावास और जुर्माने दोनों से दण्डित किया जायेगा। 

और यदि लड़ाई झगड़े व् मारपीट द्वारा किसी व्यक्ति को क्षति (उपहति ) हो जाये तो ऐसी क्षति कारित करने वाले व्यक्ति को धारा 308 आपराधिक मानव वध करने का प्रयत्न में दण्डित किया जायेगा। 
दंड -
कारावास - 7 वर्ष तक कारावास की सजा ,
जुर्माना -  निर्धारण न्यायालय द्वारा। 


4.भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 323 - स्वैच्छा से गंभीर चिर कारित करने पर सजा। 

जो कोई लड़ाई झगड़ा व् मारपीट के दौरान गंभीर और अचानक प्रकोपन की दशा के सिवाय स्वैच्छा से घोर उपहति कारित करेगा उसे धारा 323 के तहत दण्डित किया जायेगा। 

दंड - 
कारावास - 1 वर्ष तक कारावास की सजा। 
जुर्माना - 1 हजार रूपये तक या दोनों से यानी कारावास और जुर्माना दोनों से दण्डित किया जायेगा। 

5. भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 324 -खतरनाक आयुधों या साधनों द्वारा स्वैच्छा से उपहति कारित करना। 

जो कोई लड़ाई -झगड़ा व् मारपीट के दौरान गंभीर और अचानक प्रकोपन के सिवाय आसन , वेधन या काटने के किसी उपकरण द्वारा या किसी ऐसे उपकरण द्वारा जो यदि आक्रामक आयुध के तौर पर उपयोग में लाया जाये तो उस आयुध या साधन से मृत्यु होना सम्भव है या अग्नि या किसी तप्त पदार्थ द्वारा किसी विष या किसी संक्षारक पदार्थ द्वारा या किसी विस्फोटक पदार्थ द्वारा या किसी ऐसे पदार्थ द्वारा जिसका श्वास में जाना या निगलना या रक्त में पहुँचना मानव शरीर के लिए हानिकारक है या किसी जिव जंतु द्वारा स्वैच्छा उपहति (क्षति ) कारित करेगा वह व्यक्ति धारा 324 क तहत दण्डित किया जायेगा। 

दंड -
कारावास - 3 वर्ष तक कारावास की सजा। 
जुर्माना -  निर्धारण न्यायालय द्वारा या दोनों से दण्डित किया जाएगा। 

6. भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 325 - स्वैच्छया से घोर उपहति कारित करने के लिए दंड। 

जो कोई लड़ाई -झगड़ा व् मारपीट के दौरान गंभीर और अचानक प्रकोपन के सिवाय घोर उपहति (क्षति) कारित करेगा उसे धारा 325 के तहत दण्डित किया जायेगा।  

दंड -
कारावास - 7 वर्ष कारावास की सजा। 
जुर्माना ० निर्धारण न्यायालय द्वारा। 

7. भारतीय दंड संहिता 1860 की  धारा 326 - खतरनाक आयुध या साधनों द्वारा स्वैच्छया घोर उपहति कारित करना। 

जो कोई लड़ाई -झगड़ा व् मारपीट के दौरान गंभीर और अचानक प्रकोपन के सिवाय आसन, वेधन या काटने के किसी उपकरण द्वारा या किसी ऐसे उपकरण द्वारा जो यदि आक्रामक आयुध के तौर पर उपयोग में लाया जाये तो उस उपकरण से मृत्यु होना सम्भव है या अग्नि या किसी तप्त पदार्थ द्वारा जिसका स्वास में जाना या निगलना या रक्त में पहुँचना मानव शरीर के लिए हानीकरण है या किसी जीव् जंतु द्वारा स्वैच्छया से उपहति कारित करेगा वह धारा 326 के तहत दण्डित किया जायेगा। 

दंड - 
कारावास - 10 वर्ष तक कारावास की सजा। 
जुर्माना - निर्धारण न्यायालय द्वारा या दोनों से दण्डित किया जायेगा।  


8 . भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 504 - लोक शांति भांग कराने को प्रकोपित करने के आशय से साशय अपमान करना। 

जो कोई लड़ाई -झगड़ा व् मारपीट के दौरान किसी व्यक्ति को इस इरादे से अपमानित करेगा और इसके बाद भी उस व्यक्ति को इस इरादे से या यह सम्भव जानते हुए प्रकोपित करेगा कि  ऐसे प्रकोपन से वह व्यक्ति लोक भंग करेगा या कोई अन्य अपराध करेगा वह धारा 504 के तहत दण्डित किया जायेगा। 

दंड -
कारावास - 2 वर्ष तक कारावास की सजा। 
जुर्माना - निर्धारण न्यायालय द्वारा। 

9 . भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा  506 - आपराधिक अभित्रास के लिए दंड।  
 
जो कोई लड़ाई -झगड़ा व् मारपीट के दौरान आपराधिक अभित्रास का अपराध करेगा यानी किसी व्यक्ति के शरीर , ख्याति या सम्पत्ति को या किसी ऐसे व्यक्ति की शरीर या ख्याति को जिससे की वह व्यक्ति हितबद्ध हो , कोई क्षति करने की धमकी उस अन्य व्यक्ति कोई इस इरादे से देता है कि उसे संत्रास कारित किया जाये व उससे ऐसी धमकी के निष्पादन का परिव्रजन करने के साधन स्वरूप कोई ऐसा कार्य करवाया जाये , जिसे करने के लिए वह वैध रूप से आबद्ध न हो या किसी ऐसे कार्य को करने लोप कराया जाए  या जिसे करने के लिए वैध रूप से हक़दार हो वह आपराधिक त्रास करता है।  धारा 506 के तहत दण्डित  जायेगा। 

दंड -
कारावास - 2 वर्ष तक कारावास की सजा। 
जुर्माना - निर्धारण न्यायालय द्वारा। 

यदि धमकी मृत्यु या घोर उपहति इत्यादि कारित करने की हो या अग्नि द्वारा सम्पति का नाश कारित करने की हो या मृत्यु दंड से दण्डनीय या आजीवन कारावास से या सात वर्ष तक अवधि के कारावास से दण्डनीय अपराध कारित करने की हो या किसी स्त्री पर उसके अस्तित्व पर लांछन लगाने की हो तो ऐसा कार्य करने वाला व्यक्ति धारा 506 के तहत दण्डित किया जायेगा। 

दंड -
कारावास -7 वर्ष तक की कारावास। 
जुर्माना ०- निर्धारण न्यायालय द्वारा। 

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