उच्च न्यायालय या जिला न्यायालय कब स्वयं या पक्षकारों के आवेदन पर सिविल वाद का अंतरण (transfer) और प्रत्याहरण (withdraw) कर सकेगा ?
नमस्कार मित्रों ,
आज के इस लेख में हम जानेंगे कि " कब उच्च न्यायालय या जिला न्यायालय कब स्वयं या पक्षकारों के आवेदन पर सिविल वाद का अंतरण (transfer) और प्रत्याहरण (withdraw) कर सकेगा ?
न्याय में विलम्ब न हो इसके लिए न्यायिक प्रक्रिया को उसकी गति प्रदान की जा सके , इसलिए न्यायालयों को साधारण शक्तियां प्रदान की गयी है, उन्ही में से एक है वादों / मुकदमों का अंतरण और प्रत्याहरण। ये अंतरण और प्रत्याहरण की साधारण शक्ति न्यायालयों को किसी वाद , अपील या अन्य कार्यवाही के लंबित रहने के प्रक्रम में उसे विचारण या निपटारे के लिए अधीनस्थ न्यायालय में अंतरण कर सकेगी और अधीनस्थ न्यायालय से प्रत्याहरण कर सकेगी।
इसको विस्तार से जाने।
कब उच्च न्यायलय और जिला न्यायालय वादों को अंतरित और प्रत्याहरण कर सकेगा ?
सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 24 में उच्च न्यायालय और जिला न्यायालय को वादों के अंतरण और प्रत्याहरण करने की साधारण शक्तियां प्रदान की गयी है।
सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 24 उपधारा 1 जे तहत वाद के किसी पक्षकार के द्वारा आवेदन किये जाने पर और पक्षकारों को सूचना दिए जाने के बाद , उनमें से इच्छुक है , उनको सुनने के बाद या ऐसी सूचना दिए बिना उच्च न्यायालय या जिला न्यायालय स्व प्रेरणा से वाद के किसी भी पराक्रम में वाद को अंतरित या प्रत्याहरण सकेगा।
1. धारा 24 उपधारा 1 खंड क के तहत उच्च न्यायालय या जिला न्यायालय ऐसी किसी वाद , अपील या अन्य कार्यवाही को , जो उसके समक्ष विचारण या निपटारे के लिए लंबित है , अपने अधीनस्थ ऐसे किसी न्यायालय को अंतरित कर सकेगा जो न्यायालय ऐसे वाद , अपील या अन्य कार्यवाही के विचारण या निपटारे जे लिए सक्षम है,
2. धारा 24 उपधारा 1 के खंड ख के तहत उच्च न्यायालय या जिला न्यायालय अपने अधीनस्थ न्यायालय में लंबित किसी वाद , अपील या अन्य कार्यवाही को प्रत्याहरण कर सकेगा तथा ,ऐसे वाद, अपील या अन्य कार्यवाही का :-
- उसका विचारण या निपटारा कर सकेगा ,
- अपने अधीनस्थ किसी ऐसे न्यायालय को ऐसे लंबित वाद , अपील या अन्य कार्यवाही के विचारण या निपटारे के लिए अंतरित कर सकेगा , जो उसका विचारण करने या निपटारा करने के लिए सक्षम है;
- विचारण या निपटारा करने के लिए उसी न्यायालय को उसका प्र्तयन्तरण कर सकेगा ,जिससे उसक प्रत्याहरण किया गया था।
2. धारा 24 की उपधारा 2 के तहत जहाँ किसी वाद को या कार्यवाही का अंतरण या प्रत्याहरण उपधारा 1 के अधीन किया गया है , वहां न्यायालय जिसे ऐसे वाद या कार्यवाही का ऐसे अंतरण या प्रत्याहरण के बाद विचारण या निपटारा करना है अंतरण आदेश में दिए गए विशेष निर्देशों के अधीन रहते हुए या तो उसका पुनः विचारण करेगा या उस प्रक्रम में से आगे की कार्यवाही करेगा जहाँ से उसे ऐसे वाद , अपील या अन्य कार्यवाही का अंतरण या प्रत्याहरण किया गया था।
3. धारा 24 उपधारा 3 के तहत इस धारा के प्रयोजनों के लिए :-
- अपर और सहायक न्यायाधीशों के न्यायालय जिला न्यायाधीश के अधीनस्थ समजे जायेंगे।
- कार्यवाही के अंतर्गत किसी डिक्री या आदेश के निष्पादन के लिए भी कार्यवाही है।
4. धारा 24 की उपधारा 4 के तहत लघुवाद न्यायालय से इस धारा अंतरित या प्रत्याहृत किसी वाद ला विचारण करने वाले न्यायालय से ऐसे वाद के प्रयोजनों के लिए लघुवाद न्यायालय समझा जायेगा।
5. धारा 24 उपधारा 5 के तहत कोई वाद या कार्यवाही उस न्यायालय से इस धारा के अधीन अंतरित की जा सकेगी जिसे उसका विचारण करने की अधिकारिता नहीं है।
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