नमस्कार मित्रों,
आज के इस लेख में हम जानेंगे कि " मुख्तारनामा क्या है और कब दिया जाता है और मुख्तारनामा - पावर ऑफ़ अटॉर्नी के माध्यम से कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को कौन -कौन से अधिकार दे सकता है।
मुख्तारनामा - power of attorney क्या है ?
मुख्तारनामा एक ऐसा लिखित दस्तावेज है जिसके माध्यम से व्यक्ति अपने अधिकारों को किसी अन्य व्यक्ति को हस्तांतरित करता है। यानी जो कार्य मुख्तारनामा देने वाले व्यक्ति द्वारा किये जाते , अब वो कार्य मुख्तारनामा प्राप्त करने वाले व्यक्ति द्वारा किये जायेंगे।
पावर ऑफ़ अटॉर्नी में जो व्यक्ति अपने अधिकार किसी अन्य व्यक्ति को अपनी स्वतंत्र सहमति से देता है उसे अधिकारदाता कहेंगे और जिस व्यक्ति को पावर ऑफ़ अटॉर्नी के माध्यम से अधिकार मिलते है उसे अधिकारगृहाता कहेंगे।
मुख्तारनामा को मुख्यतः दो भागों में विभाजित किया गया है :-
- मुख्तारनामा आम।
- मुख्तारनामा खास।
मुख्तारनामा आम के माद्यम से व्यक्ति अपने द्वारा किये जाने वाले प्रत्येक कार्य को करने का अधिकार अन्य व्यक्ति को हस्तांतरित कर सकेगा।
मुख्तारनामा खास के माध्यम से व्यक्ति अपने द्वारा किये जाने वाले कार्यों में से किसी खास कार्य को करने के लिए अपने अधिकार को हस्तांतरित कर सकेगा।
मुख्तारनामा - power of attorney कब दी जाती है ?
मुख्तारनामा अधिनियम 1882 की धारा 1 क के तहत मुख्तारनामा एक ऐसा लिखित दस्तावेज है जिसके जरिये व्यक्ति अपनी अनुपस्थिति में अपने अधिकारों को किसी अन्य व्यक्ति को हस्तांतरित अपना विधिक प्रतिनिधि बनाता है,ताकि उसके द्वारा कार्य अब उस व्यक्ति के द्वारा किये जाएंगे जिसके पक्ष में मुख्तारनामा दिया है। मुख्तारनामा किसी व्यक्ति के पक्ष में कई परिस्थतियों में किया जा सकता है जैसे कि:-
- अस्वस्थता के कारण एक स्थान से दूसरे स्थान आने-जाने में असमर्थता।
- बुढ़ापे के कारण संपत्ति, कानूनी या अन्य आवश्यक कार्यों को करने में असमर्थता।
- विदेश में नौकरी या किसी अन्य कार्यो के सम्बन्ध में वही रहना और भारत में स्थिति संपत्ति या न्यायिक कार्य या अन्य कोई आवश्यक कार्यो की देख रेख कर पाने में असमर्थता।
- अन्य परिस्थितिजन्य कार्यो के लिए व्यक्ति पावर ऑफ़ अटॉर्नी के माध्यम से अपने अधिकार किसी व्यक्ति को दे सकता है।
मुख्तारनामा - पर ऑफ़ अटॉर्नी के माध्यम से क्या - क्या अधिकार दिए जा सकते है ?
मुख्तारनामा - पावर ऑफ़ अटॉर्नी के जरिये से व्यक्ति अपनी अनुपस्थिति में या अन्य असमर्थता के कारण कार्यों किसी विशिष्ट व्यक्ति को अपना विधिक प्रतिनिधि बना सकता है , जहाँ उस व्यक्ति को पाने कार्यों व् उनपर हस्ताक्षर करने का अधिकार देता है। ये निम्न अधिकार हो सकते है जैसे कि :-
- वाद पत्र के सम्बन्ध में,
- वाद पत्र,
- प्रतिवाद पत्र,
- प्रत्येक प्रकार के वाद पत्र,
- शपथ पत्र,
- उत्तरप्रति , प्रतिउत्तर,
- संपत्ति के प्रबंध के सम्बन्ध में,
- संपत्ति की खरीद व् बिक्री के सम्बन्ध में,
- बैनामा,
- हिबनामा,
- इकरारनामा,
- रेहनामा,
- रजिस्ट्री,
- न्यायालय व् अन्य राजकीय विभागों में उपस्थिति होने के लिए,
- न्यायालय,
- दीवानी,
- कलेक्ट्री,
- कमिश्नरी,
- बोर्ड ऑफ़ रेवेनुए,
- फौजदारी,
- बंदोबस्ती (चकबंदी ),
- उच्च न्यायालय व् सर्वोच्च न्यायालय,
- पंचायत विभाग ,
- नहर,
- कृषि ,
- टाउन एरिया ,
- नगर पालिका ,
- नगर महापालिका,
- जिला परिषद्,
- आबकारी,
- डाक खाना,
- तार,
- रेलवे ,
- पुलिस,
- इंजीनियरिंग ,
- कोष बैंक ,
- फाइनेंस करार ,
- इलेक्शन ,
- समस्त रजिटर्ड कम्पनी,
- अन्य विभाग,
- बैरिस्टर ,अधिवक्ता , वकील , मुख्तारखास को नियुक्त अथवा पृथक करे।
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