नमस्कार मित्रों,
आज के इस लेख में जानेंगे कि सिविल वाद में किन व्यक्तियों को न्यायालय में स्वयं उपस्थ्ति होने से छूट प्राप्त है ? सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 के तहत सिविल प्रकृति के वाद में कुछ लोगो को वाद की कार्यवाही हेतु स्वयं न्यायालय में हाजिर होने के सम्बन्ध में छूट पाने का हक़ प्रदान किया गया है।
सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 की धारा 133 - अन्य व्यक्तियों को छूट - उपधारा 1 के तहत निम्नलिखित व्यक्ति न्यायालय में स्वीय उपसंजाति यानी स्वयं न्यायालय में उपस्थित होने से छूट पाने के हक़दार होंगे , अर्थात :
- भारत का राष्ट्रपति,
- भारत का उपराष्ट्रपति,
- लोक सभा का अध्यक्ष ,
- संघ का मंत्री ,
- उच्चतम न्यायालय का न्यायधीश ,
- राज्यों के राज्यपाल और संघ राज्य क्षेत्रों के प्रशासक,
- राज्य विधान सभाओं के अध्यक्ष,
- राज्य विधान परिषदों के सभापति,
- राज्यों के मंत्री,
- उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ,
- वे व्यक्ति जिन्हें धारा 78 ख होती है। केंद्रीय सरकार के प्राधिकार द्वारा भारत से बाहर स्थापित या चालू रखे गए न्यायालय द्वारा या प्रेरणा से निकाले गए हो।
2. उपधारा 3 के तहत कोई व्यक्ति जो धारा 133 उपधारा 1 के तहत न्यायालय में स्वयं उपस्थित होने से छूट पाने का हक़दार होने का दावा करता और उसके परिणामस्वरूप उसकी परीक्षा कमीशन द्वारा करना आवश्यक है वहाँ यदि उसके साक्ष्य की अपेक्षा करने वाले पक्षकार ने कमीशन का खर्चा नहीं दिया है तो वह व्यक्ति उसका खर्चा देगा।
No comments:
lawyer guruji ब्लॉग में आने के लिए और यहाँ पर दिए गए लेख को पढ़ने के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद, यदि आपके मन किसी भी प्रकार उचित सवाल है जिसका आप जवाब जानना चाह रहे है, तो यह आप कमेंट बॉक्स में लिख कर पूछ सकते है।
नोट:- लिंक, यूआरएल और आदि साझा करने के लिए ही टिप्पणी न करें।