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दहेज़ मांगने वालों के खिलाफ सजा प्रावधान क्या है ?

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नमस्कार मित्रों, 

आज के इस लेख में हम जानेगें कि " दहेज़ मांगने वालों के खिलाफ सजा का प्रावधान क्या है ? दहेज़ की मांग करने वालों को कितने साल की सजा होती है ?  

दहेज़ इस शब्द को हम आप सभी प्रायः टेलेविज़न न्यूज़ में देखा व् समाचार पत्र में पढ़ा करते है। देश में कहीं न कहीं इस दहेज़ लेन देन की बातें हुआ करती है। इस दहेज़ की मांग विवाह से पहले और विवाह के बाद भी हुआ करती है। दहेज़ के कारण कई वैवाहिक रिश्ते होने से पहले और होने के बाद टूट जाते है। विवाह के बाद वर, उसके परिवारजनो द्वारा वधु और उसके परिवार से दहेज़ की मांग करते है। विवाह पश्चात दहेज़ की मांग पूरी न होने पर वर और उसके परिवारजनो द्वारा वधु पर कई प्रकार अत्याचार किये जाते है, प्रताड़ित किया जाता है, जिसका परिणाम वधु को मानसिक, शारीरिक क्षति होती है।  

दहेज़ पर रोकथाम लगाने के लिए और दहेज़ के कारण कोई स्त्री प्रताड़ित न की जाये, उसपर किसी प्रकार का कोई अत्याचार न हो, मानसिक व् शारीरक क्षति न हो, और अन्य प्रकार से कोई हानि न हो , इसके लिए सरकार ने 1961 में दहेज़ की रोकथाम और नियंत्रण के लिए दहेज़ प्रतिषेध अधिनियम 1961 कानून पारित किया गया। 

दहेज़ इस शब्द को लेकर आपके मन कई  प्रकार के सवाल उठ रह होंगे जैसे कि  :-
  1. दहेज़ क्या होता है ?
  2. दहेज़ मांगने वालों के खिलाफ सजा का प्रावधान क्या है ?
इन सभी सवालों के जवाब विस्तार से जानेंगे।   

दहेज़ मांगने वालों के खिलाफ सजा प्रावधान क्या है ?


दहेज़ क्या होता है ? 

दहेज़ साधारण बोल चाल की भाषा में वैवाहिक रिश्ता होने से पहले या वैवाहिक रिश्ता होने के बाद लड़के व् उसके परिवारजनो द्वारा लड़की के परिवारजनों यानी लड़की के माता पिता से दहेज़ के रूप में प्रत्यक्ष रूप या अप्रत्यक्ष रूप धन, सोने के  आभूषण, मोटर यान, या अन्य मूलयवान वस्तुओं की मांग करना दहेज़ कहाँ जायेगा। 
 
दहेज़ प्रतिषेध अधिनियम 1961, की धारा 2 में दहेज़ शब्द को परिभाषित किया गया है , जिसके तहत दहेज़ से कोई ऐसी संपत्ति या मूलयवान प्रतिभूति है जो विवाह के समय या विवाह के बाद किसी समय :-
  1. विवाह के एक पक्षकार द्वारा विवाह के दूसरे पक्षकार को, या 
  2. विवाह के किसी भी पक्षकार के माता पिता द्वारा या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा विवाह के किसी भी पक्षकार को या किसी अन्य व्यक्ति को उक्त पक्षकारों के विवाह के सम्बन्ध में या तो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष दी गयी है या दी जाने के लिए करार की गयी है। 
किन्तु उन व्यक्तियों के सम्बन्ध में जिन्हे मुस्लिम स्वीय विधि यानी शरीयत लागु होती है, मेहर दहेज़ के अंतर्गत नहीं है।  

2 .दहेज मांगने वालो के खिलाफ सजा का प्रावधान क्या है ? 

दहेज़ प्रतिषेध अधिनियम 1961 की धारा 4 में दहेज़ मांगने  वालो के खिलाफ दंड का प्रावधान करती है। अधिनियम धारा 4 के तहत यदि कोई व्यक्ति यथास्थिति वधु या वर के माता पिता या अन्य नातेदार या संरक्षक से किसी दहेज़ की प्रत्यक्ष रूप से या अप्रत्यक्ष रूप से मांग करेगा तो वह कारावास से जिसकी अवधि 6 महीने से कम नहीं होगी, किन्तु 2 वर्षों से तक की हो सकेगी और जुर्माने से जो दस हजार रूपये तक का हो सकेगा दंडनीय होगा। 

परन्तु न्यायालय ऐसे पर्याप्त और विशेष कारणों से जो निर्णय में उल्लिखित किये जाएंगे , 6 ,माह से कम की किसी अवधि  कारावास का दंड अधिरोपित कर सकेंगा।  

धारा 4 - दहेज़ मांगने के लिए दंड। 

कारावास -  कम से कम 6 माह तक या अधिक 2 वर्षों तक कारावास से दंडनीय होगा। 

जुर्माना - 10000 रुपये तक का जुर्माना। 

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