सिविल वाद में निर्णय, डिक्री या आदेश में लेखन या गणित सम्बन्धी भूल या लोप से हुई गलती का संशोधन कैसे कराये ?
नमस्कार मित्रो,
आज के इस लेख में आज हम जानेंगे कि "सिविल वादों में निर्णय, डिक्री या आदेश में लेखन या गणित सम्बन्धी भूल या लोप से हुई गलती का संशोधन कैसे कराये ? "
100 में से एक आध सिविल वादों में पारित निर्णयों, डिक्री या आदेशों में लेखन या गणित सम्बन्धी भूलें या किसी अचानक भूल या लोप से गलती हो जाती है। ऐसी गलतियों के संज्ञान आने पर डिक्री होल्डर द्वारा यथाशीघ्र पाई जाने भूल का संसोधन करवाना अतिआवश्यक हो जाता है। ताकि डिक्री के निष्पादन में किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत का सामना न करना पड़े।
निर्णय, डिक्री या आदेश में लेखन या गणित की भूल का संसोधन का प्रावधान कहाँ दिया गया है ?
सिविल वादों में पारित निर्णय , डिक्री या आदेशों में लेखन या गणित की भूल से हुई गलती को संशोधित करने का प्रावधान सिवल प्रक्रिया संहिता 1908 की धारा 152 में दिया गया है। धारा 152 के तहत निर्णय, डिक्री या आदेशों में किसी लेखन या गणित सम्बन्धी भोले या किसी आकस्मिक भूल या लोप से उसमे हुई गलतियां न्यायालय द्वारा स्वयं की प्रेरणा से या किसी के आवेदन पर किसी भी समय शुद्ध की जा सकेगी।
निर्णय, डिक्री आदेश मे लेखन या गणित सम्बन्धी भूल या लोप से हुई गलती सही करवाने के लिए प्रार्थना पत्र कहाँ दे ?
सिविल वाद के निर्णय, डिक्री या आदेश में लेखन या गणित सम्बन्धी भूल या लोप से हुई गलती में संशोधन करवाने के लिए पक्षकार को सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 की धारा 152 के तहत न्यायालय के समक्ष एक प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करना होगा।
सिविल वाद में पारित निर्णय, डिक्री या आदेश में लेखन सम्बन्धी भूल या लोप से हुई गलती को संशोधित करवाने हेतु प्रार्थना पत्र कैसे लिखे ?
सिविल वाद में पारित निर्णय , डिक्री या आदेश में लेखन या गणित सम्बन्धी हुई भूल या लोप से हुई गलती को संशोधित करने के लिए सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 की धारा 152 के तहत प्रार्थना पत्र देने से पहले इन मुख्य बिंदुओं को ध्यान दे ,
- उस न्यायालय का नाम जिसमें यह प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करनी है।
- निर्णय ,डिक्री, या आदेश में हुई लेखन या गणित की भूल या लोप।
उदाहरण : भूमि के सम्बन्ध में पारित निर्णय में भूमि के क्षेत्रफल के सम्बन्ध में गणित सम्बंधित भूल के सम्बन्ध में प्रार्थना पत्र।
धारा 152 के तहत प्रार्थना पत्र
न्यायालय श्रीमान ( न्यायालय का नाम जिसमें प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया जाना है )
(टिकट )
वादी
बनाम
प्रतिवादी
प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 152 जा० दि ०
महोदय ,
निवेदन है कि वाद की विषय वस्तु गाटा संख्या ....... से क्षेत्रफल ......... है। जिसकी खतौनी मूल वाद की पत्रावली में दाखिल है, तथा माननीय न्यायालय के समक्ष भी दिनांक ............ फेहरिस्त अनुज्ञा प्रार्थना पत्र के साथ खतौनी दाखिल की गयी है। भ्रमवश, अथवा आकस्मिक चूक वश निर्णय दिनांक . . . . . . . . . . . व् डिक्री में विचारण न्यायालय द्वारा गाटा संख्या का उल्लेख है परन्तु क्षेत्रफल लिखने की चूक हो गयी है। माननीय न्यायालय, विचारण न्यायालय व् इजराय न्यायालय दोनों का क्षेत्राधिकार रखती है। इस कारण निर्णय दिनांक। ......... व् डिक्री में गाटा संख्या . . . . . . . . . क्षेत्रफल जो. . .. . . . . .. अर्थात ....... बीघा . . . .. . . . .. . बिस्वा . . . . .. . . . बिस्वांसी है, का संशोधन किया जाना न्याय हित में अति आवश्यक है।
अतः श्रीमानजी से प्रार्थना है कि मूल वाद के निर्णय दिनांक . . . . . . . .. व् डिक्री में गाटा संख्या. . . . . . .. . . के आगे क्षेत्रफल . . . .. . . . .. . है अथवा . . . .. . बीघा . . . . . .. . बिस्वा. . . . . . . . . बिस्वांसी लिखकर संशोधन किये जाने की कृपा की जाये। जिससे इजराय कार्यवाही का अंतिम निर्णय हो सके।
दिनांक - वादी /वादीगण | डिक्रीदार
नोट : साथ में शपथपत्र।
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