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नमस्कार मित्रों,
आज के इस लेख में हम जानेंगे कि "विवाहित मुस्लिम महिला कानून रूप से किन आधारों में अपने पति से तलाक ले सकती है ? या कह सकते है कि विवाह विघटन की डिक्री के लिए आधार क्या है ?
तलाक या विवाह विच्छेद या विवाह विघटन इन सभी का एक अर्थ है विवाहित पति -पति का अपने दाम्पत्य जीवन से हमेसा के लिए अलग हो जाना है। जिसमे विवाहित पति -पति दाम्पत्य जीवन से कानूनी रूप से अलग हो जाने पर अपने जीवन को जीने के लिए अपने -अपने हिसाब से स्वतंत्र हो जाते है। विवाह विघटन के अपनी कई परिस्थितयाँ हो सकती है।
विस्तार से जाने।
मुस्लिम में विवाह विघटन की लिए डिक्री के लिए कानूनी आधार क्या है ?
मुस्लिम विवाह विघटन अधिनियम , 1939 की धारा 2 विवाह विघटन की डिक्री के लिए आधार का प्रावधान करती है,जिसके अंतर्गत मुस्लिम विधि के अधीन विवहित स्त्री अपने विवाह विघटन के लिए निम्नलिखित आधारों में से किसी एक या अधिक आधार पर विवाह विघटन की डिक्री प्राप्त करने की हक़दार होगी।
विवाह विघटन के आधार निम्नलिखित है , जैसे कि :-
1. मुस्लिम विवाह विघटन अधिनियम 1939 धारा 2 उपखण्ड i के तहत चार वर्ष से पति का ठौर ठिकाना ज्ञात नहीं है, विवाहित मुस्लिम स्त्री इस आधार पर विवाह विघटन की डिक्री प्राप्त करने की हक़दार है , लेकिन इस आधार के लिए उस विवाहित स्त्री को अधिनियम की धारा 3 के तहत पति के वारिसों सूचना की तामील किया जब पति का ठौर -ठिकाना ज्ञात नहीं है।
परन्तु इस आधार पर पारित डिक्री,ऐसी डिक्री के पारित होने की तरीख से 6 माह तक प्रभावी नहीं होगी और यदि पति या तो स्वयं या किसी प्राधिकृत अभिकर्ता के माध्यम से उस अवधि में हाजिर हो जाता है , और न्यायालय को समाधान कर देता है कि वह अपने दाम्पत्य कर्तव्यों का पालन करने के लिए तैयार है तो न्यायालय उक्त डिक्री को अपास्त क्र देगा।
2. मुस्लिम विवाह विघटन अधिनियम 1939 धारा 2 उपखण्ड ii के तहत पति ने दो वर्षों तक विवाहित स्त्री (पत्नी ) के भरण पोषण की व्यवस्था करने में लापरवाही की है या भरण पोषण करने में असफल रहा। है
3. मुस्लिम विवाह विघटन अधिनियम 1939 धारा 2 उपखण्ड iii के तहत पति को सात वर्ष या उससे अधिक वर्ष की अवधि के लिए कारावास का दंड दिया गया है ।
परन्तु इस आधार पर विवाह विघटन के लिए कोई डिक्री तब तक पारित नहीं की जाएगी जब तक दंड का आदेश अंतिम न हो गया हो।
4. मुस्लिम विवाह वविघटन अधिनियम 1939 धारा 2 उपखण्ड iv के तहत पति तीन वर्षो तक अपने वैवाहिक कर्तव्यों का पालन करने में समुचित कारण के बिना असफल रहा है।
5. मुस्लिम विवाह विघटन अधिनियम 1939 धारा 2 उपखण्ड v के तहत पति विवाह के समय नपुंसक था और बराबर नपुंसक रहा है।
परन्तु इस आधार पर कोई डिक्री पारित करने से पहले न्यायालय , पति के द्वारा आवेदन किये जाने पर की वह नपुंसक नहीं है, ऐसे आवेदन पर न्यायालय आदेश करेगा जिसमे पति से यह अपेक्षा की जयेगी कि वह उस आदेश की तारीख से 1 वर्ष के भीतर न्यायालय का यह समाधान कर दे किवह नपुंसक नहीं रह गया है और यदि पति उस अवधि में इस प्रकार न्यायालय का समाधान क्र देता है, तो उक्त आधार पर कोई भी डिक्री पारित नहीं की जाएगी।
6. मुस्लिम विवाह विगठन अधिनियम 1939 धारा 2 उपखण्ड vi के तहत पति दो वर्षो तक उन्मत रहा है या कुष्ठ या उग्र रतिज रोग से पीड़ित है।
7. मुस्लिम विवाह विघटन अधिनियम 1939 धारा 2 उपखण्ड vii के तहत 15 वर्ष की आयु प्राप्त होने से पहले ही विवाहित स्त्री के पिता ने या अन्य संरक्षक ने उसका विवाह किया था और उसने 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने से पहले ही विवाह निराकरण कर दिया है,
परन्तु या तब जब विवाह के बाद सम्भोग न हुआ हो।
8. मुस्लिम विवाह विघटन अधिनियम 1939 धारा 2 उपखण्ड viii के तहत पति विवाहित स्त्री के साथ क्रूरता से व्यवहार करता है , यानी :-
- पति हमेसा अपनी विवाहित स्त्री को मारता है या क्रूर आचरण से उसका जीवन दुखी करता है, भले ही ऐसा आचरण शारीरिक दुर्व्यवहार की कोटि में न आता हो,
- कुख्यात स्त्रियों यानी बुरी प्रतिष्ठा की महिलाओं की संगति में रहता है या बुरा जीवन बीताता है,
- विवाहित स्त्री को अनैतिक जीवन बिताने पर मजबूर करने का प्रत्यन करता है ,
- विवाहित स्त्री की संपत्ति का व्ययन कर डालता है या उसे उस पर अपने विधिक अधिकारों का प्रयोग करने से रोक देता है ,
- धर्म को मानने या धर्म के अनुपालन में उसके लिए बाधक होता है ,
- यदि पति की एक से अधिक पत्नियां है तो कुरान के आदेशों के अनुसार उसके साथ सामान व्यवहार नहीं करता है।
9. मुस्लिम विवाह विघटन अधिनियम 1939 धारा उपखण्ड ix के तहत कोई ऐसा अन्य आधार है जो मिस्लिम विधि के अधीन विवाह विघटन के लिओए विधिमान्य है।
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