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नमस्कार मित्रों,
आज के इस लेख में आप सभी को बताने जा रहा हूँ कि " सिविल वाद में साक्षियों के साक्ष्य की प्रक्रिया क्या है ? "
सिविल वाद / मुक़दमे की उतपत्ति अचल संपत्ति के सम्बन्ध में दो व्यक्तियों के मध्य उत्पन्नत हुए आपसी विवाद से होती है। अचल संपत्ति को लेकर विवाद उत्पन्न होने के कई कारण हो सकते है जैसे कि :-
- अचल संपत्ति के अधिकार का दावा,
- अचल संपत्ति के विभाजन को लेकर,
- बैनामा निरस्तीकरण को लेकर,
- अन्य कारणों से।
विवादित सम्पति के सम्बन्ध में वाद दायर होता है, वाद दायर करने वाला वादी और जिसके विरुद्ध दायर किया गया है, वह व्यक्ति प्रतिवादी। वाद दायर होने पर प्रतिवादी को न्यायालय न्यायालय में हाजिर हो अपने पक्ष में प्रतिरक्षा के लिए जवाब दावा प्रस्तुत करने के लिए, समन जारी होता है। इस समन में न्यायालय में दायर वाद के सम्बन्ध में विवरण लिखित होता है और न्यायालय हाजिर होने की तिथि लखित होती है।
वाद की प्रक्रिया चालू रहती है, जिसमे कई चरण होते है। उन्ही में से एक गवाहों की गवाही की प्रक्रिया भी शामिल है। यदि वादी या प्रतिवादी की ओर से गवाहों की गवाही होनी है, तो उनकी गवाही होगी।
अब सवाल ये आता है, गवाही की प्रक्रिया क्या होती है ? इसी सवाल को विस्तार से जानेंगे।
सिविल वाद / मुक़दमे में साक्षियों के साक्ष्य यानी गवाहों की गवाही कैसे होती है व् इसकी प्रक्रिया क्या है ?
1. साक्षियों की सूची / गवाहों की सूची।
2. साक्षियों के साक्ष्य शपथ पत्र पर प्रस्तुत करना।
इनको और विस्तार से जाने।
1. साक्षियों की सूची।
1. सिविल वाद में जहाँ विवादित विषय वास्तु के सम्बन्ध में साक्षियों के साक्ष्य यानी गवाहों की गवाही प्रस्तुत करानी है, वहाँ साक्ष्य प्रस्तुत करने से पहले सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 16 नियम 1 के तहत विवाद्यकों का निपटारा कर दिए जाने से 15 दिनों के भीतर न्यायालय के समक्ष साक्षियों की सूची प्रस्तुत की जाएगी। साक्षियों की सूची यानी गवाहों के नाम की सूची न्यायालय के समक्ष उस तिथि को प्रस्तुत की जाएगी जो न्यायालय द्वारा नियत की जाएगी।
साक्षियों की सूची जो लिखित रूप में दी जाएगी वह कुछ इस प्रकार से होगी जैसे कि :-
- वाद का पहला साक्षी वह व्यक्ति होगा, जिसके नाम से वाद दायर है और जिसके विरुद्ध दायर है।
- अन्य प्रत्येक साक्षियों के नाम जो हो,
- प्रत्येक साक्षियों की उम्र,
- प्रत्येक साक्षियों का निवास स्थान का पता।
2. यदि कोई पक्षकार यह चाहता है कि किसी व्यक्ति की हाजिरी के लिए न्यायालय की ओर से समन जारी किया जाये,तो इस सम्बन्ध में वह पक्षकार न्यायालय के समक्ष इस सम्बन्ध में लिखित प्रार्थना पत्र दाखिल करेगा।
लेकिन ऐसा आवेदन सूची गवाह पेश किये जाने से 5 दिनों के भीतर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जायेगा।
2. साक्षियों के साक्ष्य शपथ पत्र द्वारा प्रस्तुत करना।
सिविल प्रक्रिया संहिता 1908, के आदेश 18 नियम 4 में साक्षियों के साक्ष्य के सम्बन्ध में प्रक्रिया का प्रावधान करती है। जहाँ न्यायालय के समक्ष वाद की विवादित विषय वस्तु के सम्बन्ध में पक्षकारों के साक्षियों की मुख्य परीक्षा होनी है वहाँ साक्ष्य लिखित रूप में जरिये शपथ पत्र पर दिया जायेगा। जिस पक्षकार द्वारा साक्षी को बुलाया जाता है उस साक्षी के शपथपत्र पर लिखित साक्ष्य की एक फोटो प्रति विपक्षी के अधिवक्ता को दी जाएगी।
लेकिन जहाँ दस्तावेज न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत जिए गए हो और पक्षकार उन दस्तावेजों पर निर्भर करते हो वहाँ शपथपत्र के साथ न्यायालय में प्रस्तुत किये दस्तावेजों का सबूत और ग्राह्यता न्यायालयों के आदेश के अधीन होगी।
- हर साक्षियों का साक्ष्य इनके नाम से जरिये शपथपत्र न्यायालय में दाखिल होगा।
- प्रत्येक साक्ष्य शपथ पत्र ओठ कमिश्नर द्वारा सत्यापित किया जायेगा।
- प्रत्येक साक्ष्य शपथपत्र की मूल कॉपी न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी।
- प्रत्येक साक्ष्य शपथ पत्र के मूल कॉपी की एक फोटो प्रति विपक्ष के अधिवक्ता को दी जाएगी।
- इन्ही लिखित साक्ष्यों के आधार से विपक्ष के अधिवक्ता हाजिर साक्षियों की परीक्षा लेते है,यानी जिरह होती है।
क्या जिस पद उप संचालक को समन किया गया है, उप संचालक पद रिक्त है
ReplyDeleteउसके स्थान पर सहायक संचालक गवाही हेतु उपस्थित हो सकता है