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वाहन चालक / वाहन स्वामी के पास वाहन से सम्बंधित कौन -कौन से आवश्यक दस्तावेज होने अनिवार्य है ?

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नमस्कार मित्रों, 

आज के इस लेख में हम जानेंगे कि किसी भी वाहन चालक / वाहन स्वामी के पास वाहन से सम्बंधित कौन -कौन से आवश्यक दस्तावेज होने अनिवार्य है ? 

वाहन चलाने को लेकर प्रत्येक देश अपने -अपने कानून पारित करती है, ताकि वाहन से होने वाली दुर्घटनाओं और अन्य घटनाओं की रोकथाम व् नियंत्रित किया जा सके। 

हम भारत की बात करे तो यहाँ पर मोटर यान से होने वाले अपराध व् दुर्घटनाओं की रोकथाम व् इन पर नियंत्रण लगाने के लिए मोटर यान अधिनियम 1988 , पारित किया गया।  

भारत देश का प्रत्येक व्यक्ति जो मोटर वाहन चलाने या चलवाने या अन्य कार्य के लिए उसका उपयोग करने का इच्छुक है, वह प्रत्येक व्यक्ति मोटर यान अधिनियम  1988 के उपबंधों का पालन करेगा। इन्ही उपबंधों में मोटर यान से सम्बंधित आवश्यक दस्तावेजों का भी उल्लेख किया गया है जिनका चालक के पास में होना अति अनिवार्य है।  

while driving carry these important vehicle document - किसी भी वाहन चालक / वाहन स्वामी के पास वाहन से सम्बंधित कौन -कौन से आवश्यक दस्तावेज होने अनिवार्य है ?


चलिए इसे विस्तार से जाने, ताकि और अधिक समझ में आये। 

यानी कह सकते है कि वाहन से सम्बंधित आवश्यक दस्तावेज कौन से साथ में होने चाहिए ?  

मोटर यान अधिनियम, 1988 के तहत प्रत्येक वाहन चालक के पास ये निम्न दस्तावेज वाहन चलाते समय उसके पास होने चाहिए, ये निम्न प्रकार से है :-
  1. बीमा प्रमाणपत्र,
  2. रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र,
  3. चालन अनुज्ञप्ति / ड्राइविंग लाइसेंस,
  4. परिवहन वाहन की दशा में वाहन के ठीक होने का प्रमणपत्र  जिसे फिटनेस प्रमाणपत्र कहते और परमिट। 
इन सबको अधिनियम में कहाँ किस धारा में परिभाषित किया गया है वो जाने, 

1.चालन अनुज्ञप्ति / ड्राइविंग लाइसेंस की आवश्यकता। 

 मोटर यान अधिनियम 1988,  धारा 3 चालन अनुज्ञप्ति की आवश्यकता के बारे में प्रावधान करती है, जहाँ  कोई भी व्यक्ति सार्वजानिक क्षेत्र में मोटर यान तभी चला जब उसके पास उसके नाम की एक वैध मोटर यान चालन अनुज्ञप्ति यानी ड्राइविंग लाइसेंस होगा, जो उसे मोटर यान चलाने के लिए अधिकृत करता है। 

और  कोई भी व्यक्ति जो मोटर टैक्सी या मोटर साइकिल से अलग जिसे वह अपने उपयोग के लिए किराये पर लेता है या अधिनियम की धारा 75 की उपधारा 2 के तहत बनाई गयी स्कीम यानी मोटर टैक्सी को किराये पे देने के लिए स्कीम के अधीन किराये पर लिया है, तो ऐसे परिवहन यान को व्यक्ति तभी चलाएगा जब उसके पास एक वैध चालन अनुज्ञप्ति है और उसमे ऐसा उसे लिखा हो जो उसे ऐसा करने के लिए हक़दार बनाती है।  

2. मोटर यानो के रजिस्ट्रीकरण की आवश्यकता।  

मोटर यान अधिनियम 1988, की धारा 39 मोटर यानों के रजिस्ट्रीकरण के बारे में प्रावधान करती है, 
जहाँ कोई भी व्यक्ति सार्वजानिक स्थान में और किसी अन्य स्थान में मोटर यान तभी चलाएगा और मोटर यान का स्वामी अपने मोटर यान को तभी चलवायेगा या मोटर यान को चलाने की आज्ञा तभी देगा जब उस मोटर यान का अधिनियम के अधीन रजिस्ट्रीकृत यानी पंजीकृत प्रमाणपत्र हो और मोटर यान का रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र निलंबित न हो या रद्द न किया गया हो या मोटर यान पर रजिस्ट्रीकरण चिन्ह चिन्हित रीति से प्रदर्शित हो, तभी व्यक्ति वाहन चला पायेगा, चलवा पायेगा और चलाने की आज्ञा दे पायेगा। 

लेकिन धारा  39  किसी मोटर यान डीलर पर लागु नहीं होगी।  

3. परिवहन वाहन की दशा में वाहन ठीक होने का फिटनेस प्रमाणपत्र। 

मोटर यान अधिनियम 1988 की धारा 56 में मोटर यानों के ठीक हालत में होने का प्रमाणपत्र जारी किये जाने के सम्बन्ध में प्रावधान करता है।  

अधिनियम की धारा 59 - मोटर यान की आयु सीमा नियत करने की शक्ति यानी वाहन का जीवनकाल कब से कब तक का होगा नियत करती है और धारा 60 केंद्रीय सरकार के यानों का रजिस्ट्रीकरण से सम्बंधित उपबंधों के अधीन रहते हुए किसी परिवहन यान को, 
अधिनियम की धारा 39 जो कि मोटर यान के पंजीकृत होने के सम्बन्ध में प्रावधान करती है, सभी मोटर यान वैध रूप से पंजीकृत तभी समझे जायेंगे जब उस मोटर यान के ठीक हालत में होने का प्रमाणपत्र अधिकृत परीक्षण केंद्र द्वारा जारी किया गया हो, यह प्रमाणपत्र ऐसे प्रारूप में होगा जो केंद्रीय सरकार द्वारा विहित किया जाये , जिसमे वाहन के ठीक हालत में होने से सम्बंधित विवरण और जानकारी दी गयी है। यह प्रमाणपत्र इस आशय का प्रमाणपत्र हो कि वह यान जिसके सम्बन्ध में ठीक हालत में होने का प्रमाण पत्र जारी किया गया है, इस यान ने अधिनियम और  अधिनियम के अधीन बनाये गए नियमो का उस समय की सभी अपेक्षाओं की पूर्ति करता है। 

4. परिवहन यानों का नियंत्रण करने के लिए परमिट की आवश्यकता ।  

मोटर यान अधिनियम 1988 की धारा 66 परमिट की आवश्यकता के सम्बन्ध में प्रावधान करती है। परमिट यानी इस अधिनियम के अधीन वाहन के उपयोग करने के सम्बन्ध जो उपयोग किये जाने की आज्ञा दी गयी उसके अनुसार उस यान का उपयोग किया जायेगा। 

अधिनियम की धारा 66 के तहत किसी मोटर यान का स्वामी किसी सार्वजनिक स्थान में उस मोटर यान का परिवहन यान के रूप में उपयोग चाहे उस मोटर यान से वास्तव में यात्री या माल ढोया जा रहा है या नहीं, उस मोटर यान का उपयोग परमिट की शर्तों के अनुसार ही करेगा या करने की अनुमति देगा जो उस स्थान में उस रीति से, जिसे उस यान का उपयोग किया जा रहा है। 

मोटर यान के लिए जारी किया गया परमिट उस यान का उपयोग प्राधिकृत करते हुए प्रादेशिक या राज्य परिवहन प्राधिकरण या किसी विहित प्राधिकारी के द्वारा दिया गया है या प्रतिहस्ताक्षरित किया गया है।  

5. बीमा प्रमाणपत्र।  

मोटर यान अधिनियम 1988 की धारा 146 पर व्यक्ति जोखिम बीमा के लिए आवश्यकता के सम्बन्ध में प्रावधान करती है। जहाँ कोई भी व्यक्ति सार्वजनिक स्थान में मोटर यान का उपयोग यात्री के अलावा रूप में तभी करेगा या किसी से तभी करवाएगा या उसे करने देगा, उस स्थिति के अनुसार उस व्यक्ति का या उस अन्य व्यक्ति द्वारा उस मोटर यान के सम्बन्ध में बीमा पालिसी प्रभावशील रूप से जारी है जो इस मोटर यानों का पर व्यक्ति जोखिम बीमा की अपेक्षाओं का अनुपालन में है, यदि बीमा नहीं है तो मोटर यान सार्वजनिक स्थान पर न चलाएगा न ही चलवायेगा। 






 






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