नमस्कार मित्रों,
आज के इस लेख में आप सभी को सिविल प्रक्रिया संहिता 1908, के आदेश 5 नियम 1 सम्मन के बारे में बताने जा रहा हु। सम्मन को लेकर आपके मन में कई तरह के सवाल उठ रहे होंगे जैसे कि :-
- सम्मन क्या होता है ?
- सम्मन कौन जारी करता हैं?
तो इन सभी सवालों के जवाब हम विस्तार से जानेंगे।
1. सम्मन क्या होता है ?
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908 के आदेश 5 नियम 1 में सम्मन जारी किये जाने के सम्बन्ध में प्रावधान दिया गया है, जहाँ पर वादी द्वारा वाद दायर किया जा चूका है, तब सम्मन द्वारा प्रतिवादी को सूचना दी जाती है कि वह न्यायालय में सम्मन में लिखित नियत तिथि को हाजिर हो अपनी प्रतिरक्षा में दायर वाद के सम्बन्ध में अपना लिखित जवाब दावा दाखिल करे।
साधारण शब्दों में सम्मन एक ऐसा न्यायिक विधिक दस्तावेज है, जो कि व्यवहार न्यायालय में वादी द्वारा वाद दायर करने पर वाद के विपक्षी यानी पक्ष प्रतिवादी को उसके निवास स्थान के लिए जारी किया जाता है, ताकि प्रतिवादी सम्मन में उल्लिखित वाद से सम्बंधित जानकारी के आधार पर न्यायालय में निश्चित दिनांक को हाजिर हो, उस वाद के सम्बन्ध में अपनी प्रतिरक्षा का लिखित जवाब दावा दाखिल करे।
सम्मन के साथ वाद पत्र की एक प्रतिलिप संलग्न होगी, जो कि प्रतिवादी को मिले, इसी वाद पत्र के अनुसार प्रतिवादी अपना लिखित जवाब दावा नियत तारीख पेशी में नियत न्यायालय के समक्ष अपने अधिवक्ता के जरिये दाखिल करेगा।
यह सम्मन वादी के द्वारा उसके खर्चे पर न्यायालय के जरिये भेजा जाता है। सम्मन की निर्धारित राशि न्यायालय में जमा करनी होती है।
सम्मन जारी कौन करता है ?
वाद दायर होने पर वादी द्वारा न्यायालय में सम्मन की निर्धारित राशि जमा कर देने पर न्यायालय द्वारा वाद के विपक्षी जो कि प्रतिवादी / प्रतिवादी गण है, उनके निवास स्थान को सम्मन जारी किया जाता है।
No comments:
lawyer guruji ब्लॉग में आने के लिए और यहाँ पर दिए गए लेख को पढ़ने के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद, यदि आपके मन किसी भी प्रकार उचित सवाल है जिसका आप जवाब जानना चाह रहे है, तो यह आप कमेंट बॉक्स में लिख कर पूछ सकते है।
नोट:- लिंक, यूआरएल और आदि साझा करने के लिए ही टिप्पणी न करें।