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नमस्कार मित्रों,
आज के इस लेख में आप सभी को "सम्पत्ति अंतरण अधिनियम 1982 के तहत अनुप्रमाणन क्या है ?" इसके बारे में विस्तार से बताने जा रहा हु।
संपत्ति अंतरण अधिनयम 1982 के तहत दस्तावेजों का अनुप्रमाणित किया जाना अति आवश्यक है। यानी लिखित दस्तावेजों के प्रमाणित किये जाने के सम्बन्ध में है। अनुप्रमाणित को लेकर आपके में कई प्रकार के सवाल उठ रहे होंगे जैसे कि :-
- अनुप्रमाणन / अनुप्रमाणित क्या है ?
- अनुप्रमाणन के आवश्यक तत्व क्या है ?
ऐसे ही कई सवलों के जवाब विस्तार से बताने जा रहा हु।
अनुप्रमाणित / अनुप्रमाणन क्या है ?
संपत्ति अंतरण अधिनियम 1882 की धारा 3 के निर्वचन खंड (Interpretation Clause) में टिपण्णी वाले भाग में अनुप्रमाणन के बारे में बताया गया है।
किसी लिखित (दस्तावेज) के सम्बन्ध में अनुप्रमाणित से आशय कि ऐसे दो या अधिक साक्षियों ने अनुप्रमाणित यानी प्रमाणित किया है और हमेसा अनुप्रमाणित रहा होना समझा जायेगा जिसमे से हर एक साक्षी ने निष्पादक यानी लिखने वाले को उस लिखित पर हस्ताक्षर करते हुए या अपना चिन्ह यानी मुहर लगाते हुए देखा है, या
निष्पादक यानी लिखने वाले की उपस्थिति में और उसके निर्देश द्वारा किसी अन्य व्यक्ति को लिखित पर हस्ताक्षर करते देखा है, या
निषपदाक से उसके अपने हस्ताक्षर या चिन्ह की या ऐसे अन्य व्यक्ति के हस्ताक्षर की स्वयं की अभिस्वीकृति पाई है और जिनमे से हर ने निष्पादक की उपस्थिति में लिखित पर हस्ताक्षर किये है,
लेकिन यह आवशयक नहीं होगा कि ऐसे साक्षियों में से एक या अधिक एक ही समय उपस्थित रहे हो और अनुप्रमाणन का कोई विशेष प्रारूप न होगा।
अनुप्रमाणन के आवश्यक तत्त्व क्या है, यानी अनुप्रमाणन होता कैसे है ?
संपत्ति अंतरण अधिनयम 1882 की धारा 3 की टिप्पणी वाले भाग में आपको अनुप्रमाणन के आवश्यक तत्वों के बारें में देखने को मिलेगा,
1. दस्तावेज पर दो या अधिक साक्षियों यानी गवाहों के हस्ताक्षर निष्पादक यानी लिखने वाले के सामने होना आवश्यक है,
2. हस्ताक्षर करने से पहले निम्न में से किसी एक शर्त का पालन करना अनिवार्य है,
- हर एक गवाह ने अंतरणकर्ता या निष्पादक को हस्ताक्षर करते हुए देखा है,
- अंतरणकर्ता या निष्पादक की उपस्थिति में और उसके निदेश से किसी अन्य व्यक्ति हस्ताक्षर करते हुए देखा हो,
- अंतरणकर्ता या निष्पादक के हस्ताक्षर या अंगूठे या चिन्ह की स्वयं की अभिस्वीकृत प्राप्त की है,
3. अनुप्रमाणन के समय हर एक गवाह की उपस्थिति एक ही समय आवश्यक नहीं है,
4. अनुप्रमाणित करने का कोई विशेष प्रारूप आवश्यक नहीं है।
अनुप्रमाणन :- किसी लिखित दस्तावेज के कथन की प्रमाणितका के सम्बन्ध में दो या अधिक साक्षियों द्वारा यह प्रमाणित करना कि उसमे लिखित कथन किसके द्वारा लिखे गए व् उसपर हस्ताक्षर व् चिन्ह किसके है।
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