दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 438 के तहत अग्रिम जमानत (anticipatory bail) क्या है अग्रिम जमानत किन शर्तों के साथ मिलती है ?
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नमस्कार मित्रों,
आज के इस लेख में आप सभी को अग्रिम जमानत के बारे में बताने जा रहा हु कि " अग्रिम जमानत क्या होती है ? और अग्रिम जमानत के लिए आवेदन सबसे पहले किस न्यायालय की जाये ?
दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 436 , धारा 437 व् धारा 438 में जमानत के सम्बन्ध में प्रावधान किया गया है, यानी पुलिस की हिरासत से किसी व्यक्ति को उससे प्रतिभूति लेकर व् जमानत की शर्तों पर रिहा करना। लेकिन हम यहाँ बात करने जा रहे है, अग्रिम जमात की तो यह जानना अति आवश्यक है की :-
- अग्रिम जमानत क्या है ?
- अग्रिम जमानत किन शर्तों के साथ मिलती है ?
- अग्रिम जमानत के लिए सही तरीका क्या है ?
इन सभी सवालों के जवाब हम विस्तार से जानेंगे।
1. अग्रिम जमानत क्या होती है ?
अग्रिम जमानत को समझने के लिए हमे पहले इसके अर्थ को समझना होगा। अग्रिम जमानत यहाँ पर दो शब्दों का जिक्र किया गया है। अग्रिम जिसका अर्थ हुआ पूर्व या पहले से ही और जमानत जिसका अर्थ हुआ रिहा करना, इन दोनों शब्दों का अर्थ हुआ गिरफ़्तारी से पहले जमानत पर रिहा होना।
धारा 438 के तहत गिरफ़्तारी की आशंका करने वाल व्यक्ति की जमानत स्वीकार करने के निदेश के संबध में प्रावधान करती है, यानी अग्रिम जमानत।
धारा 438 के तहत जहाँ किसी भी व्यक्ति को अपने सम्बन्ध में यह विशवास करने का कारण होता है कि उसे किसी अजमानतीय अपराध यानी ऐसा अपराध अपराध जिसमे जमानत नहीं मिल सकती, ऐसे अपराध के किये जाने के इल्जाम में उसे पुलिस द्वारा गिरफतार किया जा सकता है, तो ऐसे व्यक्ति द्वारा धारा 438 के अधीन अपनी गिरफ़्तारी से बचने के लिए अग्रिम जमानत के लिए उच्चे न्यायालय या सेशन न्यायालय में जमानत के लिए अर्जी देनी होती है। अब जमानत पर छोड़ा जाये या नहीं यह न्यायालय पर और अपराध की प्रकृति और गंभीरता पर और अन्य शर्तों पर निर्भर करता है।
जमानत किन शर्तों के आधार पर दी जाती है ?
दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 438 में जमानत पर रिहा करने की शर्तों के बारे में बताया गया है। न्यायाधीश द्वारा इन्ही शर्तों पर विचार करने के बाद अग्रिम जमानत पर रिहा किया जाता है या नहीं। यह शर्तें निम्न :-
- जिस अपराध के अभियोग यानी इल्जाम की आशंका के कारण जमानत के लिए आवेदन किया गया है, उस अपराध के अभियोग की प्रकृति और गंभीरता,
- जमानत के आवेदक का पूर्व का इतिहास देखा जाता है, जिसमे यह तथ्य शामिल होता है कि क्या वह किसी संज्ञेय अपराध के सम्बन्ध में किसी न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर पहले से ही कारावास तो नहीं भुगता चूका है ?
- यह सम्भावना तो नहीं कि आवेदक न्याय से भाग तो नहीं जायेगा, यदि जमानत मंजूर कर ली जाती है,
- जहाँ जमानत के लिए आवेदन करने वाले आवेदक को गिरफ्तार कराकर कर क्षति पहुंचाने या अपमानित करने के उद्देश्य से अभियोग यानी इल्जाम लगाया गया हो,
उपरोक्त सभी शर्तो पर विचार करने के बाद न्यायालय आवेदन पर अपना आदेश सुनाती है, जहाँ ऐसे आवेदन को तत्काल अस्वीकार कर सकती है या अग्रिम जमानत मंजूर करने के लिए अंतरिम आदेश जारी कर सकता है।
यदि न्यायालय द्वारा अग्रिम जमानत के आवेदन को अस्वीकार किया जाता है या अंतरिम आदेश नहीं दिया जाता है तो ?
अग्रिम जमानत के आवेदन पर जहाँ उच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय द्वारा कोई अंतरिम आदेश पारित न किया गया हो या अग्रिम जमानत के लिए मंजूर करने के आवेदन को अस्वीकार कर दिया गया हो, तो ऐसे में वहाँ किसी पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी के पास यह विकल्प रहेगा की वह आवेदक को ऐसे आवेदन में अपराध की शंका के आधार बिना वारंट के गिरफ्तार करे।
यदि अग्रिम जमानत की अर्जी मंजूर हो जाती है तो क्या होगा ?
जहाँ पर उच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय अशंक्ति व्यक्ति द्वारा अग्रिम जमानत के आवेदन पर उस अग्रिम जमानत पर मंजूरी करने के लिए अंतरिम आदेश पारित करना उचित समझती है, तो उक्त न्यायालय द्वारा जहाँ पर अग्रिम जमानत के लिए आवेदन किया गया है, आवेदन पर एक ऐसी दिनाँक लिखी जाएगी , जिस दिनांक को अग्रिम जमानत मंजूर करने के आवेदन पर आदेश पारित करने के लिए अंतिम सुनवाई की जाएगी।
सुनवाई की तिथि के दिन न्यायालय जैसा उचित समझे और यदि न्यायालय अग्रिम जमानत मंजूर करते हुए कोई आदेश पारित करता है, तो ऐसे आदेश में अन्य बातों के साथ जमानत पर रिहा होने की शर्ते लिखी होंगी, और आवेदनकर्ता को इन सभी शर्तों का अनुपालन करना होगा।
जमानत पर रिहा होने पर आवेदनकर्ता को किन शर्तों का पालन करना होगा ?
उच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय द्वारा जब अग्रिम जमानत के आवेदन को मंजूर कर आवेदन पर सुनवाई करते हुए अंतिम आदेश पारित किया जाता है कि आवेदनकर्ता को अग्रिम जमानत पर रिहा किया जाये। आदेश में अन्य बातों के साथ निन्मलिखित शर्तें भी शामिल होती है, जिनका पालन करना आवेदनकर्ता को अनिवार्य होता है। ये शर्ते निम्न है :-
- जमानत पर रिहा होने वाले आवेदक को समय-समय पर जैसा पुलिस अधिकारी द्वारा बुलाया जाये पूछताछ के लिए आना होगा,
- आवेदक प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मामले के तथ्यों के जानकर किसी भी वयक्ति को लालच, धमकी या वचन नहीं देगा, जिससे की उसे ऐसे तथ्यों को न्यायालय या किसी पुलिस अधिकारी के सामने प्रकट न किये जाने के लिए मनाया जा सके,
- आवेदक न्यायालय की अनुमति के बिना भारत देश छोड़ कर कही बाहर नहीं जायेगा,
- ऐसी अन्य शर्ते जिन्हे अधिनियम की धारा 437 की उपधारा 3 के तहत लागु किया जाये, मानो जमानत उस धारा के अधीन मंजूर की गयी हो।
अग्रिम जमानत के लिए आवेदन किस न्यायालय में संबसे पहले किया जाये ?
अग्रिम जमानत के लिए आवेदक द्वारा सबसे पहले आवेदन सेशन न्यायालय में किया जाना चाहिए, यदि उच्च न्यायालय में करते है और ख़ारिज हो जाती है, तब आपके पास केवल एक विकल्प ही बचता है, वो है उच्चतम न्यायालय।
अगर आप सबसे पहले सेशन न्यायालय में अग्रिम जमानत की मंजूरी के लिए आवेदन करते है, तो वहाँ अपराध की प्रकृति और गंभीरता के आधार पर अग्रिम जमानत की अर्जी मंजूर या ख़ारिज होने का आदेश हो सकता है ।
यदि सेशन न्यायालय से अग्रिम जमानत की अर्जी ख़ारिज हो जाती है, तो आप उच्च न्यायालय में उस अग्रिम जमानत की अर्जी के ख़ारिज आदेश को चुनौती देते हुए, उच्च न्यायालय में अग्रिम जमानत की मंजूरी हेतु आवेदन कर सकते है, यहाँ भी अपराध की प्रकृति व् गंभीरता के आधार पर अग्रिम जमानत की अर्जी मंजूर या ख़ारिज होने का आदेश हो सकता है।
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