नमस्कार मित्रों,
आज के इस लेख में आप सभी को सिविल वादों में दाखिल किये जाने वाले "केवियट" के बारे में विस्तार से बताने जा रहा हु। केवियट को लेकर आपके मन कई तरह से सवाल उठ रहे होंगे जैसे कि :-
- केवियट क्या है ?
- केवियट कौन दायर करता है ?
- केवियट कैसे कहाँ दाखिल की जाएगी ?
- केवियट प्रार्थना पत्र में क्या लिखा जायेगा ?
- केवियट किंतने दिनों तक प्रभावित रहती है ?
केवियट क्या है व् किस कानून में है ?
केवियट दायर करने के अधिकार के सम्बन्ध में सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 की धारा 148 क में प्रावधान किया गया है जो कि केवियटर के माध्यम से एक प्रार्थना पत्र के रूप में न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी।
जहाँ केवियटर को ऐसे किसी वाद, अपील या याचिका के दायर होने की सम्भावना या पूर्ण विश्वास है कि संभावित वादी या वादीगण द्वारा झूठे तथ्यों के आधार पर न्यायालय के समक्ष वाद योजित किया जा सकता है तो ऐसी सम्भावना व् पूर्ण विश्वास होते हुए केवियेटर पूर्व में ही केवियट प्रार्थना पत्र संभावित न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करेगा कि , यदि संभावित वादी या वादीगण न्यायालय के समक्ष अनुतोष प्राप्त करने के लिए वाद, अपील या याचिका दायर करता है, तो ऐसे में केवियटर यानी प्रार्थी को उस दायर वाद, अपील या याचिका के सम्बन्ध में किसी भी प्रकार का आदेश पारित करने से पहले सुना जाना व् न्यायालय की कार्यवाही में उपस्थित हो अपने पक्ष में बोले जाने का पूर्ण अधिकार दिया जाये, व् वाद के सम्न्बंध में होने वाली किसी भी कार्यवाही के शुरू होने से पहले केवियटर को जिरए तामिला सूचित किया जाये।
केवियट कौन दायर करता है ?
केवियट प्रार्थना पत्र वह व्यक्ति सक्षम न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर सकता है, जिसे सम्भावना या पूर्ण विश्वास है कि कोई व्यक्ति यानी संभावित वादी या वादीगण उसकी अचल संपत्ति को लेकर उसके विरुद्ध सक्षम न्यायालय के समक्ष वाद दायर कर उस संपत्ति के सम्बन्ध में अपने पक्ष में न्यायालय से कोई आदेश प्राप्त कर लेगा जैसे कि स्टे आदेश या अन्य, तो ऐसे में जब संभावित वादी या वादी गण द्वारा वाद दायर किया जाये तो उस वाद की कार्यवाही शुरू होने से पहले न्यायालय केवियटकर्ता को सूचना देकर सूचित करेगा।
केवियट कैसे कहाँ दाखिल की जाएगी ?
वह व्यक्ति जिसे सम्भावना या पूर्ण विश्वास है कि संभावित वादी या वादीगण न्यायालय में झूठे तथ्यों व् आधार पर वाद दायर कर कोई आदेश जैसे स्टे आर्डर या अन्य आदेश पारित करा सकता है, तो ऐसे में केवियटर :-
- केवियेटर संभावित न्यायालय में केवियट प्रार्थना पत्र दाखिल करेगा
- केवियेटर संभावित सभी वादी व् वादीगण को पंजीकृत डाक द्वारा केवियट प्रार्थना पत्र भेजेगा,
- केवियट प्रार्थना पत्र की रसीद जो पंजीकृत डाक द्वारा भेजी गयी है संभावित न्यायालय के समक्ष एक प्रार्थना पत्र के साथ प्रस्तुत की जाएगी।
- केवियेटर द्वारा केवियट प्रार्थना पत्र के साथ, वकालतनामा, डाक रसीद, टिकट लगे लिफाफे केवियटकर्ता अपने नाम व् सम्पूर्ण पते के साथ संभावित न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जायेगा।
- केवियटकर्ता केवियट प्रार्थना पत्र के साथ शपथपत्र भी दाखिल करेगा।
केवियट प्रार्थना पत्र में लिखा क्या जायेगा?
- हर एक केवियट प्रार्थना पत्र में हर एक संभावित न्यायालय का नाम लिखा जायेगा, जिसमे 13 रूपये कोर्ट फी टिकट लगेगा।
- संभावित वादी व् वादीगण के नाम व् पता,
- केवियटकर्ता अपना नाम व् पता,
- केवियटकर्ता केवियट प्रार्थना पत्र के माध्यम से न्यायालय के समक्ष संपत्ति के सम्बन्ध में लिखित कथन कर यह प्रार्थना करेगा है कि संभावित वादी या वादीगण द्वारा न्यायालय के समक्ष जो वाद योजित किया जायेगा असंका ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि संभावित वादी , वादीगण द्वारा झूठे तथ्यों के आधार पर वाद अवश्य योजित किया जायेगा अतः श्रीमान जी से प्रार्थना है की यदी संभावित वादी ,वादीगण द्वारा कोई वाद योजित किया जाता है तो केवियटकर्ता को सुने बिना कोई भी अंतरिम आदेश न पारित करने की कृपा।
क्या केवियट प्रार्थना पत्र संभावित वादी व् वादीगण को भेजी जाएगी ?
हाँ, केवियटकर्ता द्वारा केवियट प्रार्थना पत्र की एक कॉपी संभावित वादी व् वादीगण के पते पर पंजीकृत डाक द्वारा भेजी जाएगी।
केवियट कितने दिनों तक प्रभावित रहती है ?
केवियट प्रार्थना पत्र न्यायालय के समक्ष दायर किये जाने के दिन से 90 दिनों तक प्रभावित रहती है। 90 दिन की अवधि समाप्त होने के बाद पुनः फिर से केवियट प्रार्थना पत्र संभावित न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की जा सकती है।
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