- रासुका कानून क्या है ?
- रासुका कानून के तहत गिरफ़्तारी का आदेश कब दिया जाता है ?
- रासुका के तहत निरोध यानी हिरासत में लिए गए व्यक्ति को कितने समय तक निरुद्ध किया जायेगा ?
- यदि व्यक्ति फरार या भाग जाता है या छिपता है तो क्या होगा ?
- रासुका कानून के तहत निरोध यानी हिरासत की अधिकतम अवधि कितनी होगी ?
- देश व् राज्य की सुरक्षा या लोक व्यवस्था या सामाजिक सेवा पूर्ति को बाधित करने वालो की गिरफ्तारी के प्रावधान है।
- देश व् राज्य की सुरक्षा को बाधित करने वालो पर उचित कार्यवाही कर उनको दण्डित करने का प्रावधान।
- इस अधिनियम के तहत देश व् राज्य की सुरक्षा बाधित करने वाले व्यक्ति को अधिकतम 1 साल तक हिरासत में रखा जा सकता है।
2. धारा 3 उपधारा 1 खंड ख - केंद्रीय सरकार या राज्य सरकार यदि किसी भी विदेशी व्यक्ति के बारे में इस बात से संतुष्ट है कि वह विदेशी व्यक्ति लगातार अपनी उपस्थिति भारत में विनियमित करने की कोसिस कर रहा है या भारत से स्वयं भागने की व्यवस्था करने की कोसिस कर रहा है तो ऐसे व्यक्ति को हिरासत में लिए जाने का आदेश दे सकेगी।
3. धारा 3 उपधारा 2 के तहत केंद्रीय सरकार या राज्य सरकार यदि किसी व्यक्ति के सम्बन्ध में संतुष्ट है कि वह व्यक्ति लोक व्यवस्था को बनाये रखने में बाधा उत्पन्न कर रहा है या समाज के लिए आवश्यक सेवा और पूर्ति की व्यवस्था को बनाये रखन में बाधा उतपन्न कर रहा है तो ऐसे व्यक्ति को हिरासत में लिए जाने का आदेश दे सकेगी।
4. धारा 3 उपधारा 3 के तहत यदि राज्य सरकार इस बात से संतुष्ट है और ऐसा करना आवश्यक कि किसी व्यक्ति द्वारा किसी क्षेत्र में लोक व्यवस्था को बाधित किया जा रहा या सामाजिक सेवा या पूर्ति की व्यवस्था में बाधा उत्पन्न की जा रही है तो राज्य सरकार वहाँ के जिला दण्डाधिकारी या पुलिस कमिश्नर जिसके क्षेत्राधिकार की स्थानीय सीमाओं के किसी क्षेत्र में ऐसी परिस्थितयाँ उत्पन्न है या उत्पन्न होने की सम्भावना है तो राज्य सरकार एक लिखित आदेश द्वारा जिसमे ऐसे व्यक्ति को कितनी अवधि तक हिरासत में लिए जाना है उल्लिखित होगा हिरासत में लेने का निर्देश दे सकता है कि अमुक जिला दण्डाधिकारी या पुलिस कमिश्नर भी यदि संतुष्ट है कि वह व्यक्ति लोक व्यवस्था या सामाजिक सेवा या पूर्ति व्यवस्था को बाधित कर रहा है या करने की सम्भावना है तो ऐसे व्यक्ति को निरुद्ध किया जाए।
3.हिरासत यानी निरोध किये गए व्यक्ति को किनते समय तक निरुद्ध किया जायेगा ?
1. धारा 3 की उपधारा 3 के परन्तुक के तहत जहाँ निरोधादेश का आदेश राज्य सरकार द्वारा दिया गया है तो ऐसे निरोधादेश के आदेश में निरोध की अवधि पहली बार 3 महीने से अधिक की नहीं होगी। लेकिन राज्य सरकार संतुष्ट है कि ऐसा करना आवश्यक है की ऐसे व्यक्ति को निरोध किया जाये जो कि लोक व्यवस्था या सामाजिक सेवा या पूर्ति व्यवस्था में बाधा उत्पन्न कर रहा है तो उक्त आदेश में समय समय पर कितने भी समय तक संशोधन यानी समय में बदलाव कर सकती है।
2. लेकिन एक समय में निरोध की अवधि 3 महीने से अधिक की नहीं होगी।
3. उपधारा 4:- जब किसी व्यक्ति को निरोध किये जाने का आदेश किसी अधिकारी द्वारा उपधारा 3 के अंतर्गत बनाया जाता है जहाँ कोई व्यक्ति जिलादण्डाधिकारी या पुलिस कमिश्नर के क्षेत्राधिकार की स्थानीय सीमाओं के भीतर के क्षेत्र में लोक व्यवस्था या सामाजिक सेवा या पूर्ति व्यवस्था में बाधा उत्पन्न करता है तो ऐसा रोकने के लिए जो आदेश बनाया जाता है तब वह तत्काल राज्य सरकार को जिसके अधीन वह कार्य कर रहा है उन सभी तथ्यों के साथ रिपोर्ट बना कर देगा जिन आधारों पर निरोधादेश यानी हिरासत में लिए जाने का आदेश बनाया गया है और अन्य जानकारी जो कि उस अधिकारी की राय में इस मामले के सम्बन्ध में असरकारक है देगा। निरोधादेश का आदेश केवल 12 दिनों तक ही प्रभावी होगा यानी हिरासत में उस व्यक्ति को 12 दिनों तक ही रखा जा सकेगा। लेकिन ऐसे आदेश बनाये जाने के बाद इस बीच राज्य सरकार द्वारा अनुमोदित कर दिया जाना चाहिए।
4. उपधारा 4 के परन्तुक के तहत जहाँ धारा 8 के तहत निरोध किये जाने वाले व्यक्ति को निरोध किये जाने का आधार निरोध किये जाने के आदेश के 5 दिन के बाद लेकिन 10 दिन से पहले बताना होगा।
5.. उपधारा 5 :- जब किसी व्यक्ति को निरोध किये जाने का आदेश बनाया गया है या इस उपधारा के अधीन राज्य सरकार द्वारा निरोध किये जाने के आदेश को अनुमति दे दी गयी है तो राज्य सरकार 7 दिनों के भीतर केंन्द्रीय सरकार को इन तथ्य के उन सभी आधारों की जानकारी देनी होगी जिस व्यक्ति पर निरोधादेश का आदेश बनाया गया है और अन्य दूसरी जानकारी जो कि राज्य सरकार की राय में उस निरोधादेश के आदेश की आवश्यकताओं पर प्रभाव डालते है।
4.जिस व्यक्ति के लिए हिरासत में लिए जाने का आदेश बनाया गया है, यदि वह उस क्षेत्र से भाग जाता है या फरार रहता है तो क्या होगा ?
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980 की धारा 7 फरार व्यक्ति के सम्बन्ध में शक्तियों का प्रावधान करती है ,
1. उपधारा 1 :- जहाँ यदि केंद्रीय सरकार या राज्य सरकार या धारा 3 उपधारा 3 के तहत जिला दण्डाधिकारी या पुलिस कमिश्नर अधिकारी के स्थिति के अनुसार इनके पास विश्वास करने का कारण हो कि जिस व्यक्ति के सम्बन्ध में निरुद्ध आदेश बनाया गया है, वह व्यक्ति भाग गया है, या अपने को रहा है जिससे कि आदेश का पालन न किया जा सके तो ऐसे में :-
- खंड क :- सरकार या अधिकारी उस व्यक्ति के निरोध किये जाने से सम्बंधित तथ्यों की लिखित रिपोर्ट महानगरीय मजिस्ट्रेट या न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम वर्ग जिसके क्षेत्राधिकार में ऐसे व्यक्ति का सामान्य निवास स्थान है सूचना देगा।
- खंड ख :- सरकार या अधिकारी निरोध किये जाने व्यक्ति के सम्बन्ध में राजकीय राजपत्र में आदेश प्रकाशित कर निर्देशक करेगी कि वह व्यक्ति निश्चित स्थान पर और निश्चित समय में जैसा कि आदेश में निर्देश दिया गया है प्राधिकारी के समक्ष हाजिर/ उपस्थित हो।
धारा 83 :- फरार व्यक्ति की संपत्ति की कुर्की।
धारा 84 :- कुर्की के बारे में दावे और आपत्तियां।
और धारा 85 :- कुर्की की गयी संपत्ति को निर्मुक्त करना, बेचना या वापस करना इन सभी धाराओं के उपबंध उस फरार व्यक्ति पर और उसकी सम्पति के सम्बन्ध में उसी प्रकार लागु होंगे मनो कि मजिस्ट्रेट द्वारा जारी किया गया निरोधादेश जारी किया गया वारंट हो।
3. उपधारा 3 :- यदि कोई व्यक्ति उपधारा 1 खंड ख जिसके अधीन फरार व्यक्ति की उपस्थित के लिए राजकीय राजपत्र प्रकाशित किया जाता है कि वह व्यक्ति निश्चित स्थान व् समय में उपस्थिति हो, ऐसे आदेश का पालन करने में असफल होता है तो वह कारावास के दंड से जो कि 1 साल तक कारावास की सजा से या जुर्माने से या दोनों से दंडनीय होगा।
सजा से बचने के लिए उसको यह सिद्ध करना होगा कि किस कारण वह इस आदेश का अनुपालन नहीं कर स्का था और आदेश में उल्लिखित अवधि में वह कहाँ था सभी कारणों सहित जिसके कारण आदेश का अनुपालन करना सम्भव नहीं था और उसका पता, ठिकाना व् आदेश में बताये गए अधिकारी को सूचित कर।
5.निरोध (हिरासत) की अधिकतम अवधि कितनी होगी ?
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम 1980 की धारा 13 निरोध किये गए व्यक्ति के निरोध किये जाने तक की अधिकतम समय सीमा का प्रावधान करती है। जब कोई निरोधादेश धारा 12 के तहत सलाहकार बोर्ड की सूचना पर कार्यवाही के अधीन पुष्टि की गयी है तो जो व्यक्ति निरुद्ध हुआ है निरोध की अधिकतम समय सीमा निरोध किये जाने की तिथि से 12 महीने तक रहेगा।
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ReplyDeleteइसके लिए आप अपने क्षेत्र के किसी अधिवक्ता से संपर्क करे ।
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