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नमस्कार मित्रों,
आज के इस लेख में आप को "आधार कार्ड से सम्बंधित अपराध और इन अपराधों के लिए मिलने वाली सजा" के बारे में बताने जा रहा हु।
लगभग देश के 90 प्रतिशत नागरिकों का आधार कार्ड बन गया होगा व् वे इस आधार कार्ड का इस्तेमाल करने लगे होंगे जहाँ आधार कार्ड की आवश्यकता, आवश्यक दस्तावेजों के रूप में होने लगी है। आधार कार्ड के बारे में लोगो केवल आधार कार्ड क्या है? और इस आधार का कार्ड इस्तेमाल कहा होता है इसकी जानकारी होगी,लेकिन, क्या
- आप आधार से सम्बंधित कानून के बारे में जानते है ?
- आधार कार्ड से सम्बंधित अपराध क्या है ?
- आधार कार्ड से सबंधित होने वाले अपराधों के लिए कितने साल की सजा व् जुर्माने का प्रावधान है?
आपके इन्ही सवालो के जवाब से पहले में आपको बता दू की आधार कार्ड क्या है और इसका इस्तेमाल कहाँ होता है ?
आधार कार्ड क्या है ?
आधार कार्ड भारत सरकार द्वारा भारतीय विशष्ठ पहचान प्राधिकरण के जरिये भारतीय नागरिको को उनकी पहचान प्रमाण पत्र के रूप में जारी किया जाता है। इस पहचान प्रमाण पत्र में 12 अंको की विशष्ठ संख्या छपी होती है जो कि भारत भर में कही भी आधार कार्ड धारक व्यक्ति की पहचान और उसके निवास स्थान का प्रमाण पत्र होगा। आधार प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को सरकार द्वारा अधिकृत किये गए पोस्ट ऑफिस या कार्यालय में जाकर आधार कार्ड के नामांकन के लिए आवेदन करना होगा और सभी विधिक औपचारिकताओं को पूर्ण करना होगा जिसके बाद उनका आवेदन स्वीकार किया जायेगा, आवेदन स्वीकार होने के बाद उसको रसीद दी जाएगी जिसमे आवेदन संख्या और अन्य जरुरी जानकारी छपी होगी जिसके आधार पर आपको आधार कार्ड बाय डाक या कार्यालय में जाकर प्राप्त करना होगा।
आधार कार्ड में आपको मुख्यतः निम्न चीजे ही दिखाई देंगी जैसे कि:-
- नाम,
- पिता का नाम / पति का नाम
- जन्म तिथि ,
- लिंग
- 12 अंको की विशिष्ट संख्या,
- बार कोड।
आधार कार्ड का इस्तेमाल कहाँ कहाँ पर होता है ?
आधार कार्ड अब प्रत्येक सरकारी व् गैर सरकारी सभी कार्यो के लिए अनिवार्य कर दिया गया है, क्योकि यह आपके पहचान का एक प्रमाण पत्र है जिससे आपकी पहचान प्रमाणित। इसमें आपके दसो उँगलियों की छाप होती है जिसे विज्ञान की भाषा में बायोमेट्रिक कहाँ जाता है। आधार कार्ड का इस्तेमाल निम्न कार्यो के लिए होता है जैसे कि :-
- पासपोर्ट बनवाने के लिए,
- सिम कार्ड खरीदने के समय,
- जनधन खाता खुलवाने के लिए ,
- प्रोविडेंट फण्ड की प्राप्ति के समय,
- संपत्ति के पंजीकरण के लिए,
- एलपीजी गैस की सबसीडी पाने के लिए,
- रेल गाड़ी के टिकट में छूट पाने के लिए,
- बच्चो का स्कूल व् कॉलेज में प्रवेश के समय,
- डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र के आवेदन के समय,
- डिजिटल लाकर के आवेदन के समय,
- छात्रवृत्ति प्राप्ति के आवेदन के लिए,
- बैंक में खाता खुलवाने के समय,
- आयकर रिटर्न के समय,
- न्यायालय में वाद दायर करने या अन्य कानूनी कार्यवाही के लिए,
- अन्य आवश्यकता के आधार पर आधार कार्ड की आवश्यकता पड़ती है।
जाने आधार कार्ड से सम्बंधित अपराध व् इन अपराध के लिए सजा का प्रावधान क्या है ?
आधार (वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभ और सेवा का वितरण ) अधिनियम 2016 के तहत आधार कार्ड से सम्बंधित अपराध व् सजा का प्रावधान किया गया है।
1. आधार अधिनियम 2016 की धारा 34 - नामांकन के समय प्रतिरूपण (जाली /झूठा आदमी बनने )के लिए सजा व् जुर्माना।
आधार अधिनियम की धारा 34 के तहत जो कोई भी व्यक्ति आधार कार्ड के नामांकन यानी बनवाने के लिए किसी अन्य व्यक्ति की पहचान बना कर आता है यानी किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर आता, अपनी पहचान छुपाता है, जिस व्यक्ति के नाम पर वह व्यक्ति आता है वह व्यक्ति चाहे व् मृत हो या जीवित हो वास्तविक हो या काल्पनिक हो उस व्यक्ति का प्रतिरूपण करता है यानी अपने को ऐसा बनाता है कि वह वही है यानी जाली आदमी बनकर किसी भी प्रकार की झूठी जनसांख्यकीय और बायोमेट्रिक जानकारी प्रदान करता है,तो ऐसा करने वाले व्यक्ति को 3 साल तक कारावास की सजा या 10000 रु/- जुर्माने के साथ दण्डित किया जायेगा।
उदाहरण :- क जो की वास्तविक व्यक्ति है, और उसकी मृत्यु हो चुकी है। ख यदि क बनकर आधार कार्ड बनवाने के लिए जाता है, और अपनी असली पहचान को छुपा कर नामांकन के समय यह विश्वास दिलाता है कि वह क ही है और नामांकन के लिए अपनी बायोमेट्रिक यानी अपनी दसों उँगलियों की छाप मशीन पर देता है। तो यहाँ क के पकडे जाने पर वह आधार कार्ड अधिनियम की धारा 34 के तहत दोषी होगा जो कि ख ने आधार कार्ड के लिए झूठी जानकारी दी है।
2. आधार अधिनियम 2016 की धारा 35- जनसांख्यकीय जानकारी या बायोमेट्रिक जानकारी को बदलकर आधार संख्या के प्रतिरूपण के लिए दंड।
आधार अधिनियम की धारा 35 के तहत जो कोई भी व्यक्ति किसी अन्य आधार नंबर धारक व्यक्ति को नुकसान पहुँचाने या शरारत करने के इरादे से जानभूझकर आधार नंबर धारक व्यक्ति की पहचान में फेरबदल करता है या आधार नंबर धारक व्यक्ति की जनसांख्यकीय और बायोमेट्रिक जानकारी बदलने का प्रयास करता है या किसी अन्य व्यक्ति, मृतक व्यक्ति या जीवित, वास्तविक या काल्पनिक व्यक्ति का प्रतिरूपण करता है यानी जाली आदमी बनता है तो ऐसा करने वाले व्यक्ति को 3 साल तक कारावास की सजा और 10000 रु-/ जुर्माने के साथ दण्डित किया जायेगा।
3. आधार अधिनियम 2016 की धारा 36 - प्रतिरूपण के लिए सजा।
आधार अधिनियम की धारा 36 के तहत जो कोई भी व्यक्ति इस अधिनियम के प्रावधानों के तहत किसी निवासी के पहचान से जुड़ी जानकारी एकत्र करने के लिए अधिकृत नहीं किया गया लेकिन वह अपने शब्दों व् आचरण से ऐसा करने का दावा करता है तो ऐसा करने वाले व्यक्ति को 3 साल तक की कारावास की सजा या 10000 रु -/ जुर्माने के साथ दण्डित किया जायेगा।
यदि जानकारी एकत्र करने वाली संस्था अधिकृत संस्था होने का झूठा दावा किया जाता है तो ऐसी संस्था के खिलाफ कानूनी कार्यवाही होगी जो कि 3 साल तक कारावास की सजा और 100000 रु-;/ जुर्माने के साथ दण्डित किया जायेगा।
4. आधार अधिनियम 2016 की धारा 37 - पहचान की जानकारी का खुलासा करने के लिए सजा।
आधार अधिनियम की धारा 37 के तहत इस अधिनियम या नियमों के तहत अधिकृत किये गए व्यक्ति द्वारा नामांकन और प्रमाणीकरण के दौरान एकत्रित की गयी किसी भी जनकारी को जानबूझकर प्रसारित, कॉपी या उजागर करता जाता है जो की इस अधिनियम प्रावधानों के अनुसार किये गए किसी समझौते या व्यवस्था का उलंघन होता है ऐसा करने वाले व्यक्ति को 3 साल तक कारावास की सजा या `10000 रु-/ जुर्माने के साथ दण्डित किया जायेगा।
नामांकन और प्रमाणीकरण के लिए अधिकृत संस्था के द्वारा जानबूझकर किसी भी जानकारी को प्रसारित, कॉपी या उजागर किया जाता है तो ऐसा करने वाले को 3 साल तक कारावास या 100000 रु-/ जुर्माने के साथ या दोनों से दण्डित किया जायेगा।
5. आधार अधिनियम 2016 की धारा 38 - केंद्रीय पहचान डाटा रिपॉजिटरी में अनधिकृत प्रवेश के लिए सजा।
आधार अधिनियम की धारा 38 के तहत जो कोई व्यक्ति प्राधिकरण द्वारा केंद्रीय पहचान डाटा रिपॉजिटरी में प्रवेश करने के लिए अधिकृत नहीं है,उसके द्वारा जानबूझकर :-
आधार अधिनियम की धारा 35 के तहत जो कोई भी व्यक्ति किसी अन्य आधार नंबर धारक व्यक्ति को नुकसान पहुँचाने या शरारत करने के इरादे से जानभूझकर आधार नंबर धारक व्यक्ति की पहचान में फेरबदल करता है या आधार नंबर धारक व्यक्ति की जनसांख्यकीय और बायोमेट्रिक जानकारी बदलने का प्रयास करता है या किसी अन्य व्यक्ति, मृतक व्यक्ति या जीवित, वास्तविक या काल्पनिक व्यक्ति का प्रतिरूपण करता है यानी जाली आदमी बनता है तो ऐसा करने वाले व्यक्ति को 3 साल तक कारावास की सजा और 10000 रु-/ जुर्माने के साथ दण्डित किया जायेगा।
3. आधार अधिनियम 2016 की धारा 36 - प्रतिरूपण के लिए सजा।
आधार अधिनियम की धारा 36 के तहत जो कोई भी व्यक्ति इस अधिनियम के प्रावधानों के तहत किसी निवासी के पहचान से जुड़ी जानकारी एकत्र करने के लिए अधिकृत नहीं किया गया लेकिन वह अपने शब्दों व् आचरण से ऐसा करने का दावा करता है तो ऐसा करने वाले व्यक्ति को 3 साल तक की कारावास की सजा या 10000 रु -/ जुर्माने के साथ दण्डित किया जायेगा।
यदि जानकारी एकत्र करने वाली संस्था अधिकृत संस्था होने का झूठा दावा किया जाता है तो ऐसी संस्था के खिलाफ कानूनी कार्यवाही होगी जो कि 3 साल तक कारावास की सजा और 100000 रु-;/ जुर्माने के साथ दण्डित किया जायेगा।
4. आधार अधिनियम 2016 की धारा 37 - पहचान की जानकारी का खुलासा करने के लिए सजा।
आधार अधिनियम की धारा 37 के तहत इस अधिनियम या नियमों के तहत अधिकृत किये गए व्यक्ति द्वारा नामांकन और प्रमाणीकरण के दौरान एकत्रित की गयी किसी भी जनकारी को जानबूझकर प्रसारित, कॉपी या उजागर करता जाता है जो की इस अधिनियम प्रावधानों के अनुसार किये गए किसी समझौते या व्यवस्था का उलंघन होता है ऐसा करने वाले व्यक्ति को 3 साल तक कारावास की सजा या `10000 रु-/ जुर्माने के साथ दण्डित किया जायेगा।
नामांकन और प्रमाणीकरण के लिए अधिकृत संस्था के द्वारा जानबूझकर किसी भी जानकारी को प्रसारित, कॉपी या उजागर किया जाता है तो ऐसा करने वाले को 3 साल तक कारावास या 100000 रु-/ जुर्माने के साथ या दोनों से दण्डित किया जायेगा।
5. आधार अधिनियम 2016 की धारा 38 - केंद्रीय पहचान डाटा रिपॉजिटरी में अनधिकृत प्रवेश के लिए सजा।
आधार अधिनियम की धारा 38 के तहत जो कोई व्यक्ति प्राधिकरण द्वारा केंद्रीय पहचान डाटा रिपॉजिटरी में प्रवेश करने के लिए अधिकृत नहीं है,उसके द्वारा जानबूझकर :-
- केंद्रीय पहचान डाटा रिपॉजिटरी में अनधिकृत प्रवेश करता है,
- केंद्रीय पहचान डाटा ररिपॉजिटरी से किसी भी डाटा को डाउनलोड करता है, निकालता है या स्टोरेज डिवाइस पर स्टोर करता है,
- केंद्रीय पहचान डाटा रिपॉजिटरी के कंप्यूटर या अन्य कंप्यूटर को वायरस से दूषित किया जाता है,
- केंद्रीय पहचान डाटा रिपॉजिटरी के डाटा को नुकसान पहुँचाता है,
- केंद्रीय पहचान डाटा रिपॉजिटरी तक प्रवेश को बाधित करता है,
- केंद्रीय पहचान डाटा रिपॉजिटरी में अधिकृत व्यक्ति के प्रवेश को रोकता है,
- अधिनियम की धारा 28 उपधारा 5 का उल्लंघन कर किसी जानकारी को उजागर करता है या धारा 29 का उल्लंघन कर किसी जानकारी को साझा, उपयोग या प्रदर्शित करता है या किसी भी व्यक्ति की उपरोक्त कार्यों में मदद करता है,
- केंद्रीय पहचान डाटा रिपॉजिटरी के डाटा स्टोरेज या स्टोरेज मीडिया स्टोर किसी भी जानकारी को नष्ट करता है, मिटा देता है या बदलाव करता है या इसके मूल्य या उपयोगिता को कम कर देता या किसी अन्य तरीके से प्रभावित करता है,
- जो कोई भी जानबूझकर क्षति के पहुँचाने के इरादे से अधिकृत प्रवेश कर डाटा चोरी करता है, मिटा देता है या उसमे बदलाव करता है.
- जो कोई केंद्रीय पहचान डाटा रिपॉजिटरी के डाटा की चोरी, छुपाना या उसमे बदलाव करना या किसी व्यक्ति को नुकसान पहुँचाने के लिए डाटा चोरी, छिपाना या उसमे बदलाव करना या जानबूझकर नुकसान पहुँचाने के इरादे से अधिकृत प्रवेश का उपयोग करते हुए कंप्यूटर सोर्स कोड में बदलाव या नष्ट करता है,
उपरोक्त सभी अपराधों के लिए 3 साल से 10 साल तक कारावास की सजा से और कम से कम 100000 रु-/ तक जुर्माने के साथ दण्डित किया जायेगा।
6. आधार अधिनियम 2016 की धारा 39 - केंद्रीय पहचान डाटा रिपॉजिटरी के डाटा के साथ छेड़खाड़ करने पर सजा।
आधार अधिनियम की 39 के तहत जो कोई भी प्राधिकरण द्वारा अधिकृत नहीं है, केंद्रीय पहचान डाटा रिपॉजिटरी के डाटा का इस्तेमाल या उसके साथ छेड़खाड़ करता है या आधार नंबर धारक से सम्बंधित जानकारी को बदलने के इरादे से किसी रिमूवल स्टोरेज का इस्तेमाल करता है या उसकी किसी भी जानकारी को खोजता है तो ऐसा करने वाले व्यक्ति को 10 साल तक कारावास की सजा से और 10000 रु -/ जुर्माने के साथ दण्डित किया जायेगा।
7. आधार अधिनियम 2016 की धारा 40 ऑफलाइन सत्यापन मांग करने वाली संस्था द्वारा अनधिकृत उपयोग के लिए सजा।
आधार अधिनियम की धारा 40 के तहत अधिनियम की धारा 8 की उपधारा 3 के उलंघन में किसी व्यक्ति की पहचान की जानकारी का उपयोग करता है तो ऐसा करने वाले व्यक्ति को 3 साल तक कारावास की सजा और 10000 रु-/ जुर्माने के साथ दण्डित किया जायेगा और कंपनी के मामले में 100000रु -/ तक जुर्माने से दण्डित किया जायेगा।
आधार अधिनियम 2016 की धारा 8 उपधारा 3 आधार संख्या के प्रमाणीकरण के सम्बन्ध में प्रावधान करती है।
धारा 8 की उपधारा 3 के तहत जहाँ किसी व्यक्ति द्वारा अपनी पहचान को प्रमाणित करने के लिए जानकारी दी जाती है, वहां आधार कार्ड संख्या प्रमाणित करने के लिए अनुरोध करने वाली संस्था को इस अधिनियम में निर्धारित विनियम के तहत प्रमाणीकरण के सम्बन्ध में निम्न जानकारी को सूचित करना होगा जैसे कि :
- पहचान प्रमाणित करने के लिए शेयर की जा सकने वाले जानकारी की प्रकृति क्या है इसको सूचित करना,
- पहचान प्रमाणित करने के दौरान प्राप्त की जाने वाली जानकारी को अनुरोध करने वाले संस्था द्वारा इन जानकारी को किन उपयोग में लाया जायेगा इसको सूचित करना,
- पहचान प्रमाणित करने के लिए अनुरोध करने वाली संस्था द्वारा पहचान की जानकारी प्रस्तुत करने के लिए विकल्प को सूचित करना होगा।
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