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नमस्कार मित्रों,
आज के इस लेख में आप सभी को " दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 176 के बारे में बताने जा रहा हु, कि कब मजिस्ट्रेट द्वारा किसी व्यक्ति की मृत्यु के कारणों की जाँच की जाती है।
जाने मजिस्ट्रेट द्वारा मृत्यु के कारण की जाँच कब होती है ?
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 176 के तहत मजिस्ट्रेट को यह शक्ति प्रदान की गयी है, कि जब किसी व्यक्ति की मृत्यु पुलिस की अभिरक्षा में हो जाती है, व्यक्ति गायब हो जाता है या किसी स्त्री के साथ बलात्संग होता है तो, इन कारणों की जाँच मजिस्ट्रेट द्वारा अपनी शक्तियों का पूर्ण उपयोग करते हुए की जाएगी। मजिस्ट्रेट द्वारा ही इसकी जाँच क्यों हो, वह इसलिए क्योकि सिर्फ किसी पुलिस अधिकारी द्वारा पुलिस अभिरक्षा में हुई मृत्यु, व्यक्ति का गायब होना या किसी स्त्री के साथ बलात्संग होने की जाँच करना न्यायोचित नहीं होगा।
न्याय हित में यह अति आवश्यक होता है कि, कोई अन्य व्यक्ति जो कानून द्वारा इस कार्य के लिए अधिकृत हो, वही सही जाँच करें।
इसलिए ऐसे मामले में जाँच प्रक्रिया जो बनाई गयी है, उसला उल्लेख दंड प्रक्रिया संहिता 1973, की धारा 176 में किया गया है।
इसलिए ऐसे मामले में जाँच प्रक्रिया जो बनाई गयी है, उसला उल्लेख दंड प्रक्रिया संहिता 1973, की धारा 176 में किया गया है।
मजिस्ट्रेट द्वारा किसी व्यक्ति के मृत्यु कारणों की जाँच करने की प्रक्रिया ?
दंड प्रक्रिया संहिता 1973, की धारा 176 में मजिस्ट्रेट द्वारा मृत्यु के कारणों की जाँच करने की प्रक्रिया का प्रावधान किया गया, जो कि इस प्रकार से है :-
1. उपधारा 1 - जब मामला धारा 174 की उपधारा 3 के खंड 1- जब किसी मामले में किसी स्त्री द्वारा अपने विवाह की तिथि से सात वर्ष की भीतर आत्महत्या कर ली है, या खंड 2 के अनुसार जब मामला किसी स्त्री के अपने विवाह के 7 वर्ष के भीतर ऐसी परिस्थ्तितयों से सम्बंधित मृत्यु होती है, जिसमे यह उचित कारण संदेह पैदा होता है, कि किसी अन्य व्यक्ति ने ऐसी स्त्री के सम्बन्ध में कोई अपराध किया है , तब मृत्यु के कारणों की जाँच पुलिस अधिकारी द्वारा किये जाने के बजाय या उसके अलावा, वहाँ के निकटतम मजिस्ट्रेट द्वारा की जाएगी, जो मृत्यु के कारणों की जाँच करने के लिए अधिकृत है, और धारा 174 की उपधारा1 में उल्लिखित किसी अन्य स्थिति में इस प्रकार अधिकृत किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा जाँच की जाएगी। मजिस्ट्रेट द्वारा मृत्यु की जाँच करने में वे सभी शक्तियां प्राप्त होंगी, जो उसे किसी अपराध की जाँच करने में होती है।
उपधारा 1 में संशोधन कर एक उपखण्ड 1 - क जोड़ा गया जो कि :- (दंड प्रक्रिया संहिता (संशोधन) अधिनियम,2005, की धारा 18)
1. उपधारा 1 क - पुलिस अभिरक्षा यानी कस्टडी में या इस संहिता के अधीन मजिस्ट्रेट या न्यायालय द्वारा अधिकृत किसी अन्य व्यक्ति की अभिरक्षा यानी कस्टडी में और ऐसी कस्टडी के दौरान में जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, व्यक्ति गायब हो जाता है या, किसी स्त्री के साथ बलात्संग होता है, तो पुलिस अधिकारी के द्वारा मृत्यु, गायब या बलात्संग के कारणों की जाँच या की गयी छान बीन के अतिरिक्त, जैसी स्थिति हो ऐसे कारणों की जाँच न्यायिक मजिस्ट्रेट या महानगर मजिस्ट्रेट द्वारा जिसके अधिकारिता की स्थानीय क्षेत्रीय सीमा के भीतर अपराध किया है।
2. उपधारा 2 - ऐसे मामलो की जाँच करने वाले मजिस्ट्रेट द्वारा उस मामले के सम्बन्ध में लिए गए साक्ष्य को अधिनियम में उल्लिखित किसी भी तरीके से, मामले की परिस्थतियों के अनुसार अभिलिखित करेगा।
3. उपधारा 3 -जब कभी मजिस्ट्रेट को अपने विचार में यह उचित लगता है कि गाड़ दिए गए मृतक व्यक्ति के शव यानी उसके मृतक शरीर की परीक्षा इसलिए कराई जाए कि उस मृतक व्यक्ति की मृत्यु के कारणों का उचित व् सपष्ट कारण पता चले तब मजिस्ट्रेट उस मृतक व्यक्ति के शरीर को निकलवा सकता है और उसकी परीक्षा करा सकता है, ताकि मृत्यु के सही कारणों का पता चल सके।
4. उपधारा 4- जहाँ मृत्यु के कारणों की जाँच मृतक व्यक्ति के शव को खुदवाकर की जाए, तो ऐसी स्थिति में जहाँ तक संभव हो, मजिस्ट्रेट उस मृतक व्यक्ति के माता-पिता, संतान, भाई, बहिन और पति पत्नी, जिनके नाम और पते ज्ञात है, उनको सूचना देगा और उन्हें जाँच के दौरान उपस्थ्ति रहने की अनुमति देगा।
5. उपधारा 5- उपधारा 1 क के अधीन जहाँ किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, गायब हो जाता है या किसी स्त्री के साथ बलात्संग, पुलिस अभिरक्षा यानी कस्टडी में या मजिस्ट्रेट या न्ययालय द्वारा प्राधिकृत किसी व्यक्ति की अभिरक्षा यानी कस्टडी में ऐसा होता है, तो जाँच या छानबीन करने वाले न्यायिक मजिस्ट्रेट या महानगर मजिस्ट्रेट या कार्यपालक मजिस्ट्रेट या पुलिस अधिकारी, ऐसे व्यक्ति की मृत्यु के 24 घण्टे के भीतर मृतक के शरीर की परीक्षा किये जाने के लिए शरीर को नजदीकी सिविल सर्जन या अन्य योग्य सर्जन जिसको इस कार्य के लिए राज्य सरकार द्वारा नियुक्त किया गया है, तभी भेजेगा जब तक कि लेखबद्ध किये जाने वाले कारणों से ऐसा करना सम्भव न हो।
1. उपधारा 1 - जब मामला धारा 174 की उपधारा 3 के खंड 1- जब किसी मामले में किसी स्त्री द्वारा अपने विवाह की तिथि से सात वर्ष की भीतर आत्महत्या कर ली है, या खंड 2 के अनुसार जब मामला किसी स्त्री के अपने विवाह के 7 वर्ष के भीतर ऐसी परिस्थ्तितयों से सम्बंधित मृत्यु होती है, जिसमे यह उचित कारण संदेह पैदा होता है, कि किसी अन्य व्यक्ति ने ऐसी स्त्री के सम्बन्ध में कोई अपराध किया है , तब मृत्यु के कारणों की जाँच पुलिस अधिकारी द्वारा किये जाने के बजाय या उसके अलावा, वहाँ के निकटतम मजिस्ट्रेट द्वारा की जाएगी, जो मृत्यु के कारणों की जाँच करने के लिए अधिकृत है, और धारा 174 की उपधारा1 में उल्लिखित किसी अन्य स्थिति में इस प्रकार अधिकृत किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा जाँच की जाएगी। मजिस्ट्रेट द्वारा मृत्यु की जाँच करने में वे सभी शक्तियां प्राप्त होंगी, जो उसे किसी अपराध की जाँच करने में होती है।
उपधारा 1 में संशोधन कर एक उपखण्ड 1 - क जोड़ा गया जो कि :- (दंड प्रक्रिया संहिता (संशोधन) अधिनियम,2005, की धारा 18)
1. उपधारा 1 क - पुलिस अभिरक्षा यानी कस्टडी में या इस संहिता के अधीन मजिस्ट्रेट या न्यायालय द्वारा अधिकृत किसी अन्य व्यक्ति की अभिरक्षा यानी कस्टडी में और ऐसी कस्टडी के दौरान में जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, व्यक्ति गायब हो जाता है या, किसी स्त्री के साथ बलात्संग होता है, तो पुलिस अधिकारी के द्वारा मृत्यु, गायब या बलात्संग के कारणों की जाँच या की गयी छान बीन के अतिरिक्त, जैसी स्थिति हो ऐसे कारणों की जाँच न्यायिक मजिस्ट्रेट या महानगर मजिस्ट्रेट द्वारा जिसके अधिकारिता की स्थानीय क्षेत्रीय सीमा के भीतर अपराध किया है।
2. उपधारा 2 - ऐसे मामलो की जाँच करने वाले मजिस्ट्रेट द्वारा उस मामले के सम्बन्ध में लिए गए साक्ष्य को अधिनियम में उल्लिखित किसी भी तरीके से, मामले की परिस्थतियों के अनुसार अभिलिखित करेगा।
3. उपधारा 3 -जब कभी मजिस्ट्रेट को अपने विचार में यह उचित लगता है कि गाड़ दिए गए मृतक व्यक्ति के शव यानी उसके मृतक शरीर की परीक्षा इसलिए कराई जाए कि उस मृतक व्यक्ति की मृत्यु के कारणों का उचित व् सपष्ट कारण पता चले तब मजिस्ट्रेट उस मृतक व्यक्ति के शरीर को निकलवा सकता है और उसकी परीक्षा करा सकता है, ताकि मृत्यु के सही कारणों का पता चल सके।
4. उपधारा 4- जहाँ मृत्यु के कारणों की जाँच मृतक व्यक्ति के शव को खुदवाकर की जाए, तो ऐसी स्थिति में जहाँ तक संभव हो, मजिस्ट्रेट उस मृतक व्यक्ति के माता-पिता, संतान, भाई, बहिन और पति पत्नी, जिनके नाम और पते ज्ञात है, उनको सूचना देगा और उन्हें जाँच के दौरान उपस्थ्ति रहने की अनुमति देगा।
5. उपधारा 5- उपधारा 1 क के अधीन जहाँ किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, गायब हो जाता है या किसी स्त्री के साथ बलात्संग, पुलिस अभिरक्षा यानी कस्टडी में या मजिस्ट्रेट या न्ययालय द्वारा प्राधिकृत किसी व्यक्ति की अभिरक्षा यानी कस्टडी में ऐसा होता है, तो जाँच या छानबीन करने वाले न्यायिक मजिस्ट्रेट या महानगर मजिस्ट्रेट या कार्यपालक मजिस्ट्रेट या पुलिस अधिकारी, ऐसे व्यक्ति की मृत्यु के 24 घण्टे के भीतर मृतक के शरीर की परीक्षा किये जाने के लिए शरीर को नजदीकी सिविल सर्जन या अन्य योग्य सर्जन जिसको इस कार्य के लिए राज्य सरकार द्वारा नियुक्त किया गया है, तभी भेजेगा जब तक कि लेखबद्ध किये जाने वाले कारणों से ऐसा करना सम्भव न हो।
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