www.lawyerguruji.com
नमस्कार मित्रों,
आज के इस लेख में आप सभी को "आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के अधीन धारा 51 से लेकर धारा 60 तक के बारे में बताने जा रहा हु, कि इन सभी धाराओं में किस विषय के सम्बन्ध में प्रावधान किया गया है।
आपदा प्रबंधन अधिनियम ,2005 क्या है ?
आपदा प्रबंधन अधिनियम , 2005, की धारा 2 (घ) में आपदा शब्द को परिभाषित किया गया है , किसी भी क्षेत्र में होने वाली ऐसी तबाही, दुर्घटना, आपदा या गंभीर घटना जो प्राकृतिक या मानव निर्मित कारणों से या दुर्घटना या लापरवाही से उत्पन्न होती है, जिसके परिणामस्वरूप मानव जीवन की क्षति व् मानव पीड़ा होती है, संपत्ति का विनाश होता है, पर्यावरण की क्षति होती है।
धारा 2 (च) में आपदा प्रबंधन को परिभाषित किया गया है, प्राकृतिक या मानव कारणों से उत्पन्न आपदा के प्रबंध के लिए योजना तैयार करना, व्यवस्था करना, समन्वय और कार्यान्वय की एक सतत और एकीकृत प्रक्रिया, जो इसके लिए आवश्यक या उचित है, जैसे कि :-
- किसी भी आपदा के खतरे की रोकथाम,
- किसी भी आपदा या उसकी गंभीरता या परिणाम के जोखिम को कम करना,
- क्षमता निर्माण,
- किसी भी आपदा से निपटने की तैयारी,
- किसी भी खतरनाक आपदा की स्थिति या आपदा के लिए शीघ्र प्रतिक्रिया,
- किसी भी आपदा के प्रभाव की गंभीरता या परिणाम का अनुमान लगाना,
- निकासी, बचाव और राहत कार्य,
- पुनर्वास और पुनिर्माण।
जाने आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 51 से लेकर 60 तक ये 10 धाराएँ क्या कहती है ?
प्राकृतिक या मानव जनित आपदाओं के उत्त्पन्न होने की परिस्थित में आपदा प्रबंधन में लगे सरकारी अधिकारीयों के कार्यों में यदि कोई व्यक्यि बाधा उत्पन्न करता, झूठे दावे करता है, धन या सामग्री का दुरूपयोग करता है, झूठी चेतावनी फैलाता है,लोक सेवकों द्वारा कारित अपराध, लोक सेवको द्वारा कर्तव्यों का पालन न करना ,आदेश का उल्लंघन , कंपनियों द्वारा कारित अपराध, अभियोजन के लिए पिछली मंजूरी या अपराधों का संज्ञान लेने सम्बंधित प्रावधान किये गए है।
आईये सभी धाराओं के बारे में एक -एक कर अधिक विस्तार से जाने।
1. आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 51 - बाधा उत्पन्न करने के लिए सजा।
जो कोई भी व्यक्ति उचित कारण के बिना, आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत केंद्र सरकार या राज्य सरकार के किसी भी अधिकारी या कर्मचारी, या राष्ट्रीय प्राधिकरण या राज्य प्राधिकरण या जिला प्राधिकरण द्वारा अधिकृत व्यक्ति को अपने कार्यो के पालन करने में बाधा उत्पन्न करता है, या
आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत केंद्र सरकार या राज्य सरकार या राष्ट्रीय कार्यकारी समिति या राज्य कार्यकारी समिति या जिला प्राधिकरण की और से दिए गए किसी अभी निर्देशों का पालन करने से इंकार करता है तो वह व्यक्ति दण्डित किया जायेगा।
दंड - सरकारी अधिकारी या प्राधिकृत व्यक्ति के कार्यों में बाधा उत्पन्न करना या निर्देशों के पालन करने से इंकार करने में,1 वर्ष तक कारावास की सजा से दण्डित किया जा सकता है और जुर्माने से भी या दोनों से।
यदि सरकारी अधिकारी या कर्मचारियों या प्राधिकृत व्यक्ति के कार्यों में बाधा उत्पन्न करने या निर्देशों के पालन न करने के कारण से मानवीय जीवन को क्षति होती है या नुकसान होता है ,तो ऐसा करने वाले व्यक्ति को 2 वर्ष तक कारावास की सजा से दण्डित किया जा सकता है।
2. आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 52 - झूठे दावे के लिए सजा।
जो कोई जानभूझकर झूठा दावा करता है जिसे वह जनता है या विश्वास करने का कारण है कि उसके द्वारा केंद्रीय सरकार, राज्य सरकार ,राष्ट्रीय प्राधिकरण, राज्य प्राधिकरण या जिला प्राधिकरण के किसी भी अधिकारी से आपदा परिणामस्वरूप कोई रहत, सहायता, मरम्मत, पुनिर्माण या अन्य लाभों को प्राप्त करता है, तो दोषी पाए जाने पर ऐसा झूठा दावा करने वाले व्यक्ति को दण्डित किया जायेगा।
दंड - झूठा दावा कर सरकार के किसी भी अधिकारी से राहत, सहयता, मरम्मत अन्य लाभों प्राप्त करने का दोषी पाए जाने पर उस व्यक्ति को 2 वर्ष तक कारावास की सजा या जुर्माने से या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
3. आपदा प्रबंधन असधिनियम की धारा 53 - धन या सामग्री आदि के दुरूपयोग के लिए सजा।
किसी भी व्यक्ति को जिसे भयंक आपदा की स्थिति में राहत कार्यों या प्रयासों के लिए धन या सामग्री सौंपी जाती है या उसकी अभिरक्षा में है। यदि वह इन धन या सामग्री का दुरूपयोग करता है या स्वयं के उपभोग के लिए उपयोग करता है या आपदा राहत सामग्री की बिक्री करता है या ऐसा करने के लिए अन्य किसी व्यक्ति को मजबूर करता है, तो दोषी पाए जाने पर दण्डित किया जायेगा।
दंड - आपदा राहत कार्यों के लिए सौंपी गयी धन या सामग्री के दुरूपयोग का दोषी पाए जाने वाले उस व्यक्ति को 2 वर्ष तक कारावास की सजा से या जुर्माने से या दोनों से दण्डित किया जा सकता है। .
4. आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 54 - झूठी चेतावनी के लिए सजा।
जो कोई भी व्यक्ति आपदा या इसकी गमभीरता के सम्बन्ध में झूठी चेतावनी को प्रसारित करता है जिसके परिणामस्वरूप समाज में लोगो के बीच घबराहट फैलती है, ऐसी झूठी चेतावनी फ़ैलाने वाले व्यक्ति को 1 वर्ष तक कारावास की सजा और जुर्माने से दंडित किया जा सकता है।
5. आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 55 - सरकारी विभागों द्वारा अपराध के सम्बन्ध में।
1. जहाँ इस अधिनियम के तहत सरकार के किसी भी विभाग द्वारा अपराध किया गया है, तो विभाग के प्रमुख अधिकारी को उस अपराध के लिए दोषी माना जायेगा और उसके विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी और उसके अनुसार दण्डित किया जायेगा जब तक कि वह यह साबित नहीं कर देता कि अपराध उसकी जनकारी के बिना किया गया था और इस तरह के अपराध को रोकने के लिए उन्होंने सभी उचित परिश्रम किया था।
2. उपधारा 1 में किसी बात के होते हुए भी, जहाँ इस अधिनियम के तहत अपराध सरकार के एक विभाग द्वारा किया गया साबित होता है कि अपराध सहमति के साथ किया गया है या किसी भी अनदेखी के लिए जिम्मेदार है, कोई भी अधिकारी, विभाग के प्रमुख के अलावा, ऐसे अधिकारी को उस अपराध के लिए दोषी माना जायेगा और उसके अनुसार कार्यवाही की जाएगी और उसके अनुसार दण्डित किया जायेगा।
6. आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 56 - ड्यूटी में अधिकारी की विफलता और
प्रावधानों के उल्लंघन के सम्बन्ध में।
कोई भी अधिकारी, जिसपर इस अधिनियम के तहत कोई ड्यूटी लगाई गयी है, और वह अपनी ड्यूटी के कर्तव्यों के पालन करने से स्वयं पीछे हटता है या अपने कर्तव्यों के पालन करने से इंकार करता है , ऐसा करने से पहले उसके द्वारा अपने अधिकारी से कोई लिखित अनुमति प्राप्त नहीं की गयी है या ऐसा करने के लिए उसके पास कोई अन्य कानूनी कारण नहीं है , तो ऐसा अधिकारी जो अपने कर्तव्य-पालन और अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन का दोषी पाया जाता है ,तो उस अधिकारी को 1 वर्ष तक कारावास की सजा या जुर्माने के साथ दण्डित किया जा सकता है।
7. आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 57 - आवश्यकता के सम्बन्ध में किसी भी आदेश के उल्लंघन के लिए सजा।
यदि कोई व्यक्ति इस अधिनियम की धारा 65 के तहत किये गए किसी भी आदेश का उल्लंघन करता है तो ऐसे आदेशों के उल्लंघन पर उस व्यक्ति को 1 वर्ष तक कारावास से या जुर्माने से या दोनों से दण्डित किया जायेगा।
जाने आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 65 क्या है ?
आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 65 के तहत बचाव कार्यों के लिए संसाधनों, प्रवाहनो, वाहन आदि की आवश्यकता की शक्ति।
यदि राष्ट्रीय कार्यकारी समिति या जिला प्राधिकरण या किसी अधिकारी को इस आवश्यकता के सम्बन्ध में इसके द्वारा अधिकृत किया जा सकता है , यह प्रतीत होता है कि किसी भी प्राधिकरण के पास या व्यक्ति के पास कोई संसाधन है जो व्यक्तियों को शीघ्र प्रतिक्रिया के लिए आवश्यक है या बचाव कार्यो के लिए किसी भी परिसर की आवश्यकता है या सम्भावना है या आपदा प्रभावित क्षेत्रो से संसाधनों के परिवहन के उद्देश्य के लिए किसी वाहन की आवश्यकता है या होने की सम्भावना है या आपदा प्रभावित क्षेत्रो में संसाधनों के परिवहन या बचाव या पुनर्वास या पुनर्निर्माण के सम्बन्ध में परिवहन की आवश्यकता है, तो ऐसा प्राधिकरण लिखित में इस तरह के संसाधनों या परिसर या ऐसे वाहनों के सम्बन्ध में जैसा मामला हो आवश्श्ता के सम्बन्ध में इस तरह के आवश्यकता के आदेश दे सकता है।
- संसाधनों में पुरुष और भौतिक संसाधन शामिल है,
- सेवाओं ,में सुविधाएँ शामिल है,
- परिसर में भूमि, भवन, भवन का हिस्सा, झोपडी, शेड, अन्य संरचना या उसका कोई भाग शामिल है ,
- वाहन से मतलब किसी वाहन का उपयोग परिवहन के उद्देश्य के लिए उपयोग किये जाने में सक्षम हो,चाहे वह यांत्रिक शक्ति द्वारा संचालित हो या अन्य।
8. आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 58 -कंपनी द्वारा अपराध के सम्बन्ध में।
1. जहाँ इस अधिनियम के तहत कंपनी या निगमित निकाय फर्म या व्यक्तियों के अन्य संघ के द्वारा कोई अपराध किया गया है, उस समय प्रत्येक व्यक्ति जो अपराध किया गया था, उसके लिए दोषी व् जिम्मदेदार माना जायेगा। कमपनी के व्यवसाय के संचालन के साथ ही साथ कंपनी को उल्लंघन का दोषी माना जायेगा, उसके अनुसार कार्यवाही की जाएगी और उसके अनुसार दण्डित किया जायेगा।
परन्तु, इस उपधारा में कुछ भी इस अधिनियम में प्रदान की गयी सजा के लिए किसी व्यक्ति को उत्तरदायी नहीं ठहराएगा , यदि वह सबित्त करता है कि अपराध उसके ज्ञान के बिना किया गया था या उसने इस तरह के अपराध को रोकने के लिए उचित परिश्रम किया था।
2. उपधारा 1 में किस भी बात के होते हए भी, जहाँ इस असधिनियम के तहत कंपनी द्वारा अपराध किया गया साबित हो जाता है कि अपराध सहमति के साथ किया गया था या किसी की तरफ से किसी भी गलती के लिए जिम्मेदार है, तो निदेशक, प्रबंधक सचिव या कंपनी के अन्य अधिकारी ऐसे निदेशक, प्रबंधक, सचिव अन्य अधिकारी को भी उस अपराध के लिए दोषी माना जायेगा और उसके विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी और उसके अनुसार दण्डित किया जायेगा।
9. आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 59 - अभियोजन के लिए पूर्व मंजूरी।
इस अधिनियम की धारा 55 जो की सरकार के विभाग द्वारा अपराध से सम्बंधित है और धारा 56 जो कि अधिकारी अपने कर्तव्यों के अनुपालन या आदेश का उल्लंघन करता है, इन धाराओं के तहत दंडनीय अपराध के लिए कोई अभियोजन स्थापित नहीं किया जायेगा जब तक कि केंद्रीय सरकार या राज्य सरकार से पहले मंजूरी न ले ली गयी हो या किसी अन्य अधिकारी से जो कि इस सम्बन्ध में ऐसी सरकार द्वारा साधारण या विशेष आदेश द्वारा प्राधिकृत किया गया है।
10. आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 60 - न्यायालय द्वारा अपराधों के संज्ञान के सम्बन्ध में।
इस अधिनियम के तहत न्ययालय अपराध का संज्ञान तभी लेगी जब शिकायत निम्नलिखित द्वारा दर्ज कराइ जाएगी यानी इस अधिनियम के तहत न्यायालय किसी भी मुक़दमे में संज्ञान तभी लेगी जब वह मुकदमा सरकार या प्रशासन द्वारा कराया गया होगा।
- राष्ट्रीय प्राधिकरण, राज्य प्राधिकरण, केंद्रीय सरकार, राज्य सरकार, जिला प्राधिकरण या सरकार द्वारा इस सम्बन्ध में अधिकृत कोई अन्य प्राधिकरी या अधिकारी जैसा भी मामला हो शिकायत दर्ज कराती है।
- कोई भी व्यक्ति जिसने किये गए अपराध के लिए निर्धारित तरीके से 30 दिनों का नोटिस दिया है और राष्ट्रीय प्राधिकरण, राज्य प्राधिकरण, केंद्रीय सरकार, राज्य सरकार , जिला प्राधिकरण या अन्य कोई प्राधिकरण या पूर्वोक्त रूप में अधिकृत अधिकारी को शिकायत दर्ज कराने का उसका इरादा है।
No comments:
lawyer guruji ब्लॉग में आने के लिए और यहाँ पर दिए गए लेख को पढ़ने के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद, यदि आपके मन किसी भी प्रकार उचित सवाल है जिसका आप जवाब जानना चाह रहे है, तो यह आप कमेंट बॉक्स में लिख कर पूछ सकते है।
नोट:- लिंक, यूआरएल और आदि साझा करने के लिए ही टिप्पणी न करें।