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SC ST एक्ट के तहत लोक सेवक (पुलिस अधिकारी ) द्वारा कर्तव्यों के पालन न करने पर सजा का प्रावधान।

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नमस्कार मित्रों,
आज के इस लेख में आप सभी को " SC / ST ACT 1989, के तहत यदि कोई लोक सेवक इस अधिनियम के अधीन अपने कर्तव्यों का पालन नहीं करता ,तो क्या होगा ? 

SC /ST ACT 1989, जो कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के सस्दयो पर होने वाले अत्याचार, क्रूरता व् शोषण पर नियन्त्र व् रोकथाम लगाने के लिए पारित किया गया। इस अधिनियम के अंतर्गत अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के सस्दयों पर होने वाले अपराधों के विरुद्ध दंड व् जुर्माने का प्रावधान किया गया है। और इसी अधिनियम में लोकसेवक द्वारा अपने कर्तव्यों के पालन करने में असफल होने पर सजा का प्रावधान किया गया है, 

sec 4 punishment for neglect of duties by public servant under scst act 1989 SC ST एक्ट के तहत लोक सेवक (पुलिस अधिकारी ) द्वारा कर्तव्यों के पालन न करने पर सजा का प्रावधान।

तो चलिए,  जाने :-
  1. लोक सेवक के कर्तव्यों क्या है ?
  2. कर्तव्यों के पालन न करने में मिलने वाली सजा क्या होगी ?
उपरोक्त, निम्नलिखित को विस्तार से जाने, ताकि आसानी से समझ में आये। 

SC /ST एक्ट के अधीन लोक सेवक के कर्तव्य क्या है ?

 SC ST एक्ट की धारा 4 उपधारा 2 के अंतर्गत लोक सेवक द्वारा पालन किये जाने वाले कर्तव्यों के बारे में बताया गया है, SC ST एक्ट के अंतर्गत अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजति की श्रेणी में आने वाले किसी भी सस्दय के साथ अत्याचार व् शोषण होता, जैसा कि इस अधिनियम की धारा 3 में अपराधों को उपबंधित किया गया है, ऐसे किसी भी अपराध के घटित होने की सूचना मिलने पर पुलिस अधिकारी यानी लोक सेवक द्वारा निम्न कर्तव्यों का पालन करना होगा, जो कि निम्न लिखित है :-
  1. घटना की मौखिक सूचना मिलने पर थाना प्रभारी द्वारा उस घटना की जानकारी को लिखना होगा व् सूचना देने वाले व्यक्ति या शिकायतकर्ता के हस्ताक्षर लेने से पहले उस लिखित शिकायत को पढ़ कर सुनाना होगा। 
  2. इस अधिनियम और अन्य प्रासंगिक प्रावधानों के तहत शिकायत या प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करे इसे अधिनियम के उपयुक्त वर्गों के तहत पंजीकृत करना होगा। 
  3. सूचना देने वाले या शिकायत दर्ज करवाने वाले व्यक्ति को प्रथम सूचना रिपोर्ट की एक कॉपी निःशुल्क देना होगा। 
  4. पीड़ित / पीड़िता या गवाहों के  बयानों को घटना के आधार पर अभिलिखित करना होगा। 
  5. प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज हो जाने के 60 दिनों के भीतर अपराध की जाँच कर जांच और आरोप पत्र विशेष न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करनी होगी, यदि कोई देरी होती है, तो ऐसी देरी को समझाने के लिए कारण लिखित रूप में देना होगा। 
  6.  किसी भी दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को तैयार करना और इन दस्तावेजों और इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड का सटीक अनुवाद करना। 
  7. इस अधिनियम या इसके तहत बनाये गए नियमो में दिए गए किसी अन्य कर्तव्यों का पूरा पालन करना होगा। 

लोक सेवक द्वारा कर्तव्यों के पालन न करने पर सजा का प्रावधान। 

SC ST एक्ट की धारा 4 के अंतर्गत लोक सेवक द्वारा कर्तव्यों के पालन न करने पर सजा का प्रावधान किया गया है। कोई लोक सेवक, जो अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के का सस्दय नहीं है, इस अधिनियम की धारा 4 उपधारा 2 के अधीन उपबंधित कर्तव्यों के या इस अधिनियम के तहत बनाये गए नियमो का पालन जानभूझकर  नहीं करेगा, तो ऐसे लोक सेवक को कारावास की सजा से दण्डित किया जायेगा, जो कि 6 महीने तक कारावास या 1 वर्ष कारावास तक की सजा से दण्डित किया जायेगा। 

बशर्ते, कि लोक सेवक के खिलाफ अधिनियम में उपबंधित कर्तव्यों के पालन न करने के सम्बन्ध में आरोप एक प्रशासनिक जाँच के बाद दर्ज किया जायेगा। 
अधिनियम की धारा 4 उपधारा 3 के तहत किसी लोक सेवक द्वारा उपधारा 2 में उपबंधित कर्तव्यों के पालन न करने के सम्बन्ध में संज्ञान विशेष न्यायालय द्वारा लिया जायेगा और ऐसे लोक सेवक के विरुद्ध दंडात्मक कार्यवाही करने के लिए दिशा-निर्देश देंगे। 


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