भारतीय दंड संहिता के तहत विवाह सम्बन्धी अपराध की धारा 493 से धारा 498 तक।
- धारा 493 पुरुष द्वारा स्त्री को इस विश्वास में रखकर सहवास करना कि वह उससे विधिपूर्वक विवाहित है।
- धारा 494 पति पत्नी के जीवन काल में पुनः विवाह करना।
- धारा 495 एक पक्ष द्वारा अपने पहले विवाह को छिपाकर पुनः विवाह करना।
- धारा 496 विधिपूर्ण विवाह के बिना कपटपूर्वक विवाह कर्म पूरा कर लेना।
- धारा 497 जारकर्म।
- धारा 498 विवाहिता स्त्री को आपराधिक आशय से फुसलाकर ले जाना या निरुद्ध रखना।
1. धारा 493 पुरुष द्वारा स्त्री को इस विश्वास में रखकर सहवास करना कि वह उससे विधिपूर्वक विवाहित है :-
भारतीय दंड संहिता की धारा 493 के तहत आरोप उन पुरुषो पुरुषो पर लगता है, जो किसी स्त्री को यह विश्वास दिलाएगा की वह उस स्त्री से विधिपूर्वक विवाहित है, और इस विश्वास में उस स्त्री के साथ सहवास या मैथुन केरगा, तो ऐसा अपराध करने वाले पुरुष को कारावास से दण्डित किया जायेगा जिसकी अवधि 10 साल तक की हो सकेगी और जुर्माने से भी दण्डित किया जायेगा।2. धारा 494 पति पत्नी के जीवनकाल में पुनः विवाह करना :-
भारतीय दंड संहिता की धारा 494 के तहत आरोप उन पति व् पत्नियों पर लगता है जो कि, पति या पत्नी एक दूसरे के जीवित रहते हुए भी किसी ऐसी दशा में विवाह करते है , जिसमे ऐसा किया गया विवाह इस कारण शून्य है कि वह विवाह ऐसे पति व् पत्नी के जीवन काल में होता है। ऐसा अपराध करने वाले पति व् पत्नी को कारावास से दण्डित किया जायेगा जिसकी अवधि 7 साल तक की हो सकेगी और जुर्माने से भी दण्डित किया जायेगा।- ऐसे पति पत्नी का विवाह सक्षम अधिकारिता वाले न्यायालय के द्वारा शून्य घोषित किया गया है,
- पति व् पत्नी में से कोई भी उस पहले विवाह के समय से सात साल तक लगातार अनुपस्थित रहा हो, और उस काल के भीतर पति या पत्नी ने यह नहीं सुना हो कि वह जीवित है।
धारा 494 के तहत किया गया अपराध असंज्ञेय अपराध है, ऐसे अपराध को जमानतीय अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसा अपराध प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट के द्वारा विचारणीय होगा।
3. धारा 495 एक पक्ष द्वारा अपने पहले विवाह को छिपाकर कर पुनः विवाह करना:-
धारा 495 के तहत किया गया अपराध असंज्ञेय अपराध है। ऐसे अपराध जमानतीय होगा और प्रथम वर्ग के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय होगा।
4. धारा 496 विधिपूर्वक विवाह के बिना कपटपूर्वक विवाह कर्म पूरा करना :-
धारा 496 के तहत किया गया अपराध असंज्ञेय अपराध है व् जमानतीय अपराध है और प्रथम वर्ग के मजिस्ट्रेट के द्वारा विचारणीय होगा।
5. धारा 497 जारकर्म :-
धारा 497 के तहत किया गया अपराध असंज्ञेय अपराध व् जमानतीय अपराध है और प्रथम वर्ग के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय होगा।
धारा 498 विवाहित स्त्री को आपराधिक इरादे से फुसलाकर ले जाना या निरुद्ध रखना :-
भारतीय दंड संहिता की धारा 498 के तहत आरोप उन व्यक्ति पर लगता है जो कोई किसी स्त्री को, जो किसी अन्य पुरुष की पत्नी है और जिसका किसी अन्य पुरुष की पत्नी होना वह जनता है या विश्वास करने का कारण रखयता है, उस पुरुष के पास से या किसी ऐसे व्यक्ति के पास से जो की उस पुरुष की तरफ से उसकी देख रेख करता है इस इरादे से ले जायेगा या फुसलाकर ले जायेगा कि वह किसी व्यक्ति के साथ अनुचित सम्भोग करे या इस इरादे से ऐसी किसी स्त्री को छिपायेगा या निरुद्ध केरगा, तो ऐसा अपराध करने वाले व्यक्ति को कारावास से दण्डित किया जायेगा जिसकी अवधि 2 साल तक की सकेगी और जुर्माने से या दोनों से दण्डित किया जायेगा।धारा 498 के तहत किया गया अपराध असंज्ञेय अपराध व् जमानतीय अपराध है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय होगा।
Army wala Koi Kisi ldki ko Dokha Dekr shadi k liye Mna krdy or uske grh walo ko Pta ho To.. Kia sja hogi
ReplyDeleteपूरा मामला क्या है ?
ReplyDelete504 506 420 496 dhara lgne pe court se bahar ke bahar bail ka koi pravdhan h
ReplyDeleteकोई प्रावधान नहीं है ।
Delete493 me kya samjhota ho skta h bad me
ReplyDeleteमामले मे अभी क्या कार्यवाही हो रही है ?
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