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नमस्कार मित्रों,
आज के इस लेख में आज हम बात करेंगे "जल प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम 1974 के उद्देश्य व् मुख्य प्रावधान" के बारे में जो कि अत्यंत महत्वपूर्ण है। आप सभी को जल की महत्वता के बारे में मालूम ही होगा की हमारे जीवन में जल का क्या महत्त्व है। इस संसार में जीव को जीने के लिए रोटी कपड़ा माकन की आवश्यकता होती है वैसे ही जल, वायु भी व्यक्ति के जीवन के लिए अनिवार्य है।
प्रत्येक व्यक्ति की शारीरिक रचना ऑक्सीजन, कार्बन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, कैल्शियम,और फ़ास्फ़रोस इन छह तत्वों से मिलकर कर बनती है, जिनका अनुपात अपना अपना अलग मात्रा में होता है, वही ऑक्सीजन जो की व्यक्ति के शरीर में 65 % के अनुपात में पाया जाता है। प्रत्येक व्यक्ति अपने को हृष्ट पुष्ट देखना चाहता है जिसके लिए वह यह आशा करता है कि शुद्ध खाने के साथ साथ स्वच्छ जल भी पीने ही चाहता है परन्तु जल की स्वछता पर ध्यान व् विचार नहीं करता है।
क्या है जल (प्रदूषण निवारण तथा नियन्त्र ) अधिनयम 1974 ?
1960 के दशक में जल प्रदूषण की समस्या ने भारत सरकार का ध्यान इसके नियंत्रण ओर आकर्षित किया, 7 सितंबर 1963 को स्वास्थ्य मत्रालय की केंद्रीय सरकार समीति ने यह विचार प्रकट किया कि जल प्रदूषण के नियंत्रण के लिए एक केंद्रीय विधि का निर्माण जाये। जल राज्य सरकार का विषय होने के कारण 1965 में राज्य सरकार से अनुरोध किया गया कि वे जल प्रदूषण के निवारण व् नियंत्रण के लिए विधि का निर्माण के लिए केंद्र सरकार को अधिकृत करे। राज्य सरकार द्वारा जल प्रदूषण निवारण व् नियन्त्र के लिए विधि बनाने के लिए अधिकार प्रदान करने के बाद सन 1969 में केंद्र सरकार ने एक विधेयक तैयार किया जल (प्रदूषण निवारण तथा नियन्त्र) विधेयक अगस्त 1970 में सभा के समक्ष प्रस्तुत किया गया, संसद की संयुक्त समिति ने निरीक्षण के बाद नवंबर 197 2 को इस विधेयक को संसद को सौंप दिया ,जनवरी1974 में विधयेक संसद में पेश किया गया। संसद द्वारा पारित होते ही 23 मार्च 1974 को राष्ट्रपति ने इस पर हस्ताक्षर किया और उसी दिन से यह जल प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण अधिनयम 1974 लागु हुआ।जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण ) अधिनियम 1974 के उद्देश्य क्या है ?
जल प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण अधिनियम 1974 के उद्देश्य निम्नलिखित प्रकार से स्पष्ट होते है :-
- जल प्रदूषण का निवारण करना,
- जल प्रदूषण को नियंत्रित करना,
- जल की स्वास्थ्यप्रदता बनाये रखना,
- जल को उसकी पहली जैसी अवस्था में लाना,
- जल प्रदूषण निवारण तथा नियन्त्र बोर्ड की स्थापना,
- जल प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण बोर्ड की शक्तियां एवं उनके कार्यो का उल्लेख।
जल प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण अधिनियम 1974 के मुख्य प्रावधान
जल प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण अधिनियम 1974 के मुख्य प्रावधान निम्न प्रकार से है :-
- अधिनियम के द्वारा जल प्रदूषण समस्या की रोकथाम के लिए केंद्रीय, संयुक्त तथा राज्य बोर्ड की स्थापना की गयी है।
- इन बोर्डों को प्रमुख रूप से जल निवारण तथा नियन्त्र के सम्बन्ध में कार्य सौपें गए।
- इन बोर्डों को जल प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण के लिए जाँच शक्ति, प्रवेश शक्ति, सैंपल लेने की शक्ति व् अन्य शक्तियां सौपीं गयी है।
- बोर्डों को कार्य करने हेतु उनके लिए कोषों की स्थापना की गयी है जिससे किवे अपने आवश्यक कार्यों का सम्पादन कर सके।
- इस अधिनियम के जरिये औद्योगिक संयंत्रों पर कुछ नियंत्रण लगाए गए है जिससे कि जल प्रदूषण की रोकथाम की जा सके।
- इस अधिनियम में जल प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण के प्रावधानों के उल्लंघन करने पर दण्डित करने का भी प्रावधान दिया गया है।
- इस अधिनियम में जल प्रदूषण के परिस्खन के लिए केंद्रीय तथा राज्य जल प्रयोगशालाओं का निर्माण किया गया है।
- इस अधिनयम में विश्लेषण की रिपोर्ट को साक्ष्य के रूप में ग्रहण करने की अनुमति दी गयी है।
- केंद्रीय सरकार को केंद्रीय बोर्ड तथा संयुक्त बोर्ड को अधिक्रान्त करने का अधिकार दिया गया है।
- इस अधिनयम में सद्द्भावनापूर्वक किये गए कार्यों को संरक्षित किया गया है।
- इस अधिनियम में सिविल न्यायालय के क्षेत्राधिकार को बाहर रखा गया है।
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