जाने भ्रामक विज्ञापनों के प्रचार पर कितने साल तक की सजा व् जुर्माने का प्रावधान है: उपभोक्ता संरक्षण अधिनयम
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नमस्कार मित्रों,
आज के इस लेख में आप सभी को यह बताने जा रहा हु कि " भ्रामक विज्ञापनों के प्रचार पर कितने साल तक की सजा व् जुर्माने का प्रावधान है"
आज कल हम आप सभी टेलीविज़न, स्मार्टफोन या समाचार पत्र में विभन्न प्रकार की कम्पनियों द्वारा चलाये जा रहे उनके विभिन्न प्रकार के प्रचारों को देखते व् सुनते है, जो की सभी कंपनी अपने अपने उत्पादों की बिक्री हेतु विभिन्न प्रकार से प्रचार व् प्रसार किया करती है। प्रत्येक कंपनी का अपने उत्पादकों का प्रचार करने के पीछे मुख्य कारण यह है कि उनके कंपनी के उत्पादन का प्रचार देश के हर एक कोने कोने हो, अधिक से अधिक व्यक्तियों की नजरों में पड़े व् अधिक से अधिक व्यक्तियों तक उनके उत्पादकों का प्रचार प्रसार हो, ताकि उनके उत्पादनों की बिक्री में बढ़त हो और इस बढ़त से उनको लाभ हो और कंपनी की शाखाओ में बढ़ोतरी हो।
लेकिन,इसमें से कई कंपनियां अपने उत्पादों की बिक्री हेतु भ्रामक विज्ञापनों का प्रचार करते है।जिसके लिए कंपनी अपने उत्पादन की बिक्री हेतु कई झूठे दावे करती है, लुभावने विज्ञापनों का प्रचार का सहारा लेती है, उत्पादनों में छूट का प्रलोभन देती या अन्य अदि तरीके जिससे ग्राहक आकर्षित होता हो प्रचार किया करती है ।
ऐसे भ्रामक विज्ञापनों के नियंत्रण व् निवारण के लिए सरकार द्वारा एक कानून पारित किया जो "उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम,2019" के नाम से जाना जाता है। इस अधिनियम की धारा 88 से लेकर धारा 93 तक भ्रामक विज्ञापनों के प्रचार के खिलाफ सजा व् जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
तो, चलिए विस्तार से जानते है कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के अनुसार भ्रामक विज्ञापनों के प्रचार के विरुद्ध जुर्माने व् सजा के प्रावधान के बारे में।
भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ जुर्माना व् सजा का प्रावधान :-
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम,2019 का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं का संरक्षण करना व् उनकी समस्याओं का निवारण करना व् भ्रामक उत्पादनों के खिलाफ जुर्माने व् सजा का प्रावधान करना। अधिनियम की धारा 88 से धारा 93 तक भ्रामक विज्ञापनों के सम्बन्ध में जुर्माने व् सजा का प्रावधान किया गया है। ये धाराएं निम्न है :-
1.धारा 88 केंद्रीय प्राधिकरण के दिशा निर्देश का अनुपालन न करने पर सजा व् जुरमाना :-
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 20 व् धारा 21 के तहत उपबंधित जो भी, केंद्रीय प्राधिकरण के किसी भी निर्देश का पालन करने में विफल रहता, वह एक ऐसी अवधि तक कारावास से दण्डित किया जा सकता है जो कि 6 महीने तक कारावास से या 20 लाख रूपये तक जुर्माने के साथ दण्डित किया जा सकता है, या दोनों से दण्डित हो सकता है।
2. धारा 89 गलत या भ्रामक विज्ञापनों के लिए सजा व् जुर्माना :-
उपभोक्ता संरक्षण अधिनयम की धारा 89 के तहत कोई भी निर्माता या सेवा प्रदाता जो किसी झूठे या भ्रामक विज्ञापनों को बनाता है , जो कि उपभोक्ता के हित पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है, वह ऐसी अवधि के कारावास से दण्डित किया जायेगा जो कि 2 साल तक कारावास से हो सकेगी और ऐसे जुर्माने से, जो कि 10 लाख रूपये तक जुर्माने से दण्डित हो सकेगा और अपराध के बार बार होने पर ऐसे अपराध के लिए ऐसी अवधि के कारावास से दण्डित किया जायेगा जो कि 5 साल तक कारावास से और ऐसे जुर्माने से को कि 50 लाख रूपये तक जुर्माने से दण्डित किया जायेगा।
3. धारा 90 मिलावट वाले उत्पादों की बिक्री या भण्डारण, वितरण या आयात करने के लिए विनिर्माण के लिए सजा व् जुर्माना :-
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019, की धारा 90 के तहत उपधारा 1 :- जो कोई स्वयं या उसकी तरफ से किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किसी भी मिलावट वाले उत्पादनो की बिक्री के लिए विनिर्माण करता है या भण्डारण करता है या उस उत्पादन की बिक्री करता है या आयात करता है,
खण्ड क़ :-ऐसे कार्य के परिणाम से उपभोक्ता को कोई क्षति होती है, तो वह व्यक्ति जो ऐसा कार्य करेगा, ऐसे अवधि के कारावास से दण्डित किया जायेगा जो कि 6 महीने तक कारावास की सजा से दण्डित होगा और ऐसे जुर्माने से जो कि 3 लाख रूपये तक जुर्माने तक से दण्डित होगा।
खण्ड ख :-कार्य के परिणाम से उपभोक्ता को ऐसी क्षति होती है, जो कि घोर अपहानि की कोटि में आती है, ऐसे में वह व्यक्ति ऐसी अवधि के कारावास से दण्डित होगा जो कि 1 साल तक कारावास की सजा होगी और ऐसी जुर्माने से जो कि 3 लाख रूपये तक जुर्माने से दण्डित होगा।
खण्ड ग :-ऐसी क्षति जिसके परिणाम से उपभोक्ता को घोर उपहति होती है, तो वह व्यक्ति ऐसी अवधि के कारावास से दण्डित होगा, जो कि 7 साल तक कारावास तक की सजा हो सकेगी और ऐसे जुर्माने से जो कि 5 लाख रूपये तक के जुर्माने से दण्डित होगा।
खण्ड घ :-ऐसी क्षति जिसका परिणाम उपभोक्ता की मृत्यु है, तो व्यक्ति ऐसी अवधि के कारावास से दण्डित किया जायेगा जो कि कम से कम 7 साल तक कारावास या आजीवन कारावास तक सजा हो सकेगी और जुर्माने से जो कि 10 लाख रूपये तक जुर्माने से दण्डित होगा।
उपधारा 2 :- उपधारा 1 के खंड ग और खडं घ के अधीन किये अपराध जो कि संज्ञेय अपराध होंगे तथा अजमानतीय अपराध होंगे।
उपधारा 3 :- उपधारा 1 के अधीन दंड होते हुए भी, न्यायालय पहली बार के दोषसिद्धि के मामले में तत्समय प्रवृत किसी विधि के अधीन इस उपधारा में उल्लिखित व्यक्ति को जारी किया गया लाइसेंस 2 साल तक की अवधी तक के लिए निलंबित कर सकेगा और दूसरी बार या उसके बाद दोषसिद्ध के मामले में लाइसेंस को रद्द कर सकेगा।
4. धारा 91 नकली माल की बिक्री के लिए विनिर्माण या उनके भंडारण या बिक्री या वितरण या आयात के लिए सजा व् जुर्माना ;-
उपभोक्ता संरक्षण अधिवियम की धारा 91 की उपधारा 1 के तहत जो कोई स्वयं या उसकी तरफ से अन्य व्यक्ति द्वारा किसी नकली माल की बिक्री के लिए विनिर्माण करता है या भंडारण करता है या बिक्री करता है या वितरण करता है या उसका आयात करता है, उसके इस कार्य से कोई क्षति होती है जैसे कि :-
खंड क:- ऐसी क्षति कारित करना जिसके परिमाण से उपभोक्ता को घोर उपहति होती है, जो की ऐसी क्षति घोर उपहति की कोटि में आता है, तो वह व्यक्ति ऐसी अवधि के कारावास से दण्डित होगा, जो कि 1 साल तक कारावास से दण्डित होगा और ऐसे जुर्माने से जो कि 3 लाख रूपये तक जुर्माने से दण्डित होगा।
खंड ख :- ऐसी क्षति जिसके परिणाम से उपभोक्ता को घोर उपहति होती है, तो वह व्यक्ति ऐसे अवधि के कारावास से दण्डित होगा जो कि 7 साल तक कारावास और 5 लाख जुर्माने से दण्डित होगा।
खंड ग :-ऐसी क्षति जिसके परिणाम से उपभोक्ता की मृत्यु होती है, तो ऐसे व्यक्ति को ऐसी अवधि की कारावास से दण्डित किया जायेगा, जो कि 7 साल तक कारावास से दण्डित होगा और ऐसे जुर्माने से जो कि 10 लाख रूपये तक जुर्माने से दण्डित होगा।
2. उपधारा 1 के खंड ग और खंड घ के अधीन किये जाने वाले अपराध संज्ञेय अपराध होंगे तथा अजमानतीय अपराध होंगे।
3. उपधारा 1 के अधीन दंड होते हुए भी, न्यायालय पहली बार की दोषसिद्ध के मामले में ततस्मय प्रवृत किसी विधि के अधीन उस अपराध में उल्लिखित व्यक्ति को जारी की गयी लाइसेंस को 2 साल तक के लिए निलंबित कर सकेगा और दूसरी बार अपराध या बाद में दोषसिद्व के मामले में लाइसेंस को रद्द कर दिया जायेगा।
5. धारा 92 न्यायालय द्वारा अपराध का संज्ञान :-
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 92 के तहत केंद्रीय प्राधिकरण या इस निमित्त उसके द्वारा प्राधिकृत किसी अधिकारी द्वारा दाखिल किये गए किसी परिवाद (शिकायत) पर धारा 88 और धारा 89 के अधीन किसी अपराध के समक्ष न्यायालय द्वारा ही संज्ञान लिया जायेगा अन्यथा नहीं।
6. धारा 93 तंग करने वाली तलाशी के लिए दंड व् जुरमाना :-
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 93 के तहत धारा 22 के अधीन शक्तियों का प्रयोग करने वाला महानिदेशक या कोई अन्य अधिकारी, जिसको यह जानकारी है कि ऐसा करने के लिए युक्तियुक्त कोई आधार नहीं और फिर भी :-
क :- किसी परिसर की तलाशी लेता है या तलाशी करवाई जाती है, या
ख:- किसी अभिलेख, रेजिस्टर या अन्य दस्तावेज या वस्तु को कब्जे में लेता है, तो ऐसे हर एक अपराध के लिए ऐसी अवधि के अकरावास से दण्डित होगा जो , कि 1 साल तक कारावास हो सकेगा और ऐसे जुर्माने से जो कि 10 हजार रूपये तक जुर्माने से दण्डित होगा।
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