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नमस्कार दोस्तों,
आज के इस लेख में आप सभी को " सिविल प्रक्रिया संहिता आदेश 17 स्थगन " के बारे में बताने जा रहा हु। सिवल की वकालत में सिविल प्रक्रिया संहिता की हर एक धारा और आदेश के बारे में सिविल के अधिवक्ता को जानकारी होनी चाहिए तभी वह सिविल के मामलों को अच्छे से पकड़ पायेगा। सिविल मामलो में कई प्रकार की प्रक्रिया होती है, कई बार सिविल वाद में ऐसी परिस्थित आ जाती है कि वकीलों को सिविल प्रक्रिया संहता के आदेश 17 नियम 1 का कई बार सहारा लेना पड़ जाता है।
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cpc order 17 rule 1 adjournment application in hindi |
तो ,चलिए सिविल प्रक्रिया संहिता आदेश 17 के बारे में जान ले, लेकिन इससे पहले स्थगन क्या होता इसके बारे में थोड़ा जा जान ले।
आदेश 17 स्थगन क्या होता है ?
सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 के आदेश 17 के अनुसार स्थगन का अर्थ सिविल न्यायालय में दायर सिविल वादों को पार्यप्त कारण के आधार पर उस दिन की वाद से सम्बंधित कार्यवाही को रोक कर अगले नियत तिथि तक का समय पक्षकार के अधिवक्ता को दिया जाता है, ताकि जिस कारण उसने वाद से सम्बंधित होने वाली कार्यवाही को रोके जाने के लिए न्यायालय के समक्ष लिखित प्रार्थना पत्र दाखिल करते हुए प्रार्थना की है और वाद की कार्यवाही के सम्बन्ध के लिए जो समय माँगा है उस कार्य को अगली नियत तिथि तक पूर्ण कर ले। या जो कारण हो समय मांगे जाने का वह पूर्ण हो गया जाये।
सिविल प्रक्रिया संहिता आदेश 17 स्थगन
सिविल प्रक्रिया संहिता आदेश 17 नियम 1 - न्यायालय समय दे सकेगा और सुनवाई स्थगित कर सकेगा -
आदेश 17 नीयम 1 के अंतर्गत यदि वाद के किसी भी चरण में पर्याप्त कारण दर्शाया जाता है, यानी वाद के किसी भी पक्षकार जो कि वादी या प्रतिवादी है उनके अधिवक्ता द्वारा की जाने वाली वाद की कार्यवाही में से सम्बंधित किन्ही कार्यवाही में ऐसे कारणों से उपस्थित नहीं हो सकते जो उनके नियंत्रण से बाहर है तो न्यायालय के समक्ष पर्याप्त कारण लिखित में देकर समय मांगे जाने की प्रार्थना की जाती है, तो न्यायालय उन पर्याप्त कारणों आधार पर वाद के पक्षकारों को या उनमे से किसी को भी समय दे सकेगा और वाद की सुनवाई को समय समय स्थगित कर सकेगा।
न्यायालय वाद को अगली नियत तारीख पेशी में सुने जाने के लिए व् उससे सम्बंधित की जाने वाली कार्यवाही को आगे बढ़ने के लिए एक तारीख नियत कर आदेश पारित करेगा। यह अगली नियत तिथि न्यायालय की फाइल में स्वयं न्यायधीश द्वारा लिखी जाएगी और उनके इस पर हस्ताक्षर होंगे।
आदेश 17 नियम 1 का उपयोग कैसे होता है ?
आदेश 17 नियम 1 के तहत वाद के पक्षकारों को मौका/समय मांगने के लिए न्यायालय के समक्ष एक लिखित प्रार्थना पत्र देना होता है। यह प्रार्थना पत्र पक्षकार के विद्वान अधिवक्ता द्वारा उस दिन दिया जाता है जिस दिन पेशी होती है। प्रार्थना पत्र के तथ्यों में उन कारणों का उल्लेख आवश्यक है जिनके तहत न्यायालय के समक्ष मौका मांगने के लिए प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया जाता है।
लेकिन मौका /समय मांगे जाने वाली प्रार्थना पत्र न्यायालय में दाखिल करने से पहले वाद के वादी या प्रतिवादी जिसकी तरफ से मौका मांगे जाने का प्रार्थना दिया जा रहा है, वाद के विपक्ष के अधिवक्ता को दिखाना होगा जिसपर वह नो ऑब्जेक्शन या ऑब्जेक्शन जैसा हो लिख कर हस्ताक्षर करेगा।
यदि नो ऑब्जेक्शन लिखता है तो तारीख हो जाएगी अन्यथा ऑब्जेक्शन लिखने पर तारीख तो होगी पर न्यायालय ऐसे स्थगन के कारण हुए खर्चे के सम्बन्ध में जैसा ठीक समझे आदेश कर सकेगी।
आदेश 17 नियम 1 के तहत प्रार्थना पत्र किन कारणों से कब दिया जाता है ?
आदेश 17 नियम 1 के तहत मौका /समय मांगने के लिए न्यायालय के समक्ष दिए जाने वाले प्रार्थना पत्र का कोई एक निश्चित कारण नहीं हो सकता यह कारण समय पर ही मालूम होता है, लेकिन यहाँ हम आपको कुछ सामान्य कारणों से अवगत कराएँगे ताकि आपको आदेश 17 नियम 1 को समझने में आसानी हो।
- यदि वाद के किसी भी चरण में कोई प्रक्रिया अधूरी है।
- लिखित कथन का समय पर न तैयार होना।
- वाद से सम्बंधित आवश्यक दस्तावेज दाखिल करने के लिए समय।
- अधिवक्ता का स्वास्थ्य गड़बड़ होने पर वाद की कार्यवाही अगले नियत तिथि तक समय मांगना।
- पक्षकार का स्वास्थ्य गड़बड़ होने पर वाद की करयवाही अगले नियत तिथि तक समय मांगना।
- अन्य पर्याप्त कारण।
आदेश 17 नियम 1 के तहत मौका / समय मांगने के लिए प्रार्थना पत्र हिंदी में कैसे लिखे।
आदेश 17 नियम 1 के तहत वाद की कार्यवाही के किसी भी चरण में मौका/समय मांगने के लिए प्रर्थना पत्र लिखने से पहले हमे वाद की कार्यवाही के उन चरणों के बारे में ज्ञात होना चाहिए जिन चरण के वास्ते हम न्यायालय के समक्ष प्रार्थना पत्र दे रहे। कुछ चरण हम आपको बता रहे जिनके वास्ते प्राथना लिखा जाता है।
- लिखित कथन दाखिल करने वास्ते,
- साक्ष्य के वास्ते,
- दस्तावेज दाखिल करने वास्ते,
- वाद सम्बन्धी अन्य चरण ।
प्रार्थना पत्र के तथ्यों में उन करणों का उल्लेख अवश्य करे जिनके तहत न्यायालय के समक्ष मौका मांगने के लिए प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया जायेगा।
उदहारण स्वारूप निम्न प्रार्थना पत्र का अवलोकन करे।
आदेश 17 नियम 1 तहत स्थगन प्रार्थना पत्र का एक प्रारूप / नमूना
न्यायालय श्रीमान सिवल जज (जूनियर डिवीज़न /सीनियर डिवीजन / एफ० टी ० सी ० / डी ० जे ० ) कोर्ट नंबर -, . . . . . . . .
(टिकट )
वादी का नाम वादी /वादिनी
बनाम
प्रतिवादी का नाम प्रतिवादी / प्रतिवादिनी
प्रार्थना पत्र बाबत आदेश 17 नियम 1 व् धारा 151 जा. दी.
महोदय,
निवेदन है कि वाद उपरोक्त वास्ते जिरह नियत है परन्तु गवाह बीमार होने के कारण आज न्यायालय आने में असमर्थ है। न्याय हित में मौका दिया जाना आवश्यक है।
अतः श्रीमान जी से प्रार्थना है कि वास्ते जिरह साक्षी मौका दिए जाने की कृपा की जाये।
दिनांक - पक्ष का नाम {जिसकी तरफ से दिया जाना है )
अधिवक्ता के हस्ताक्षर
दिनांक -
नोट:- पार्थना पत्र लिखते समय ध्यान दे।
- ऊपर दिए गए प्रार्थना पत्र के उदाहरण में जिरह की जगह आपको वाद की कार्यवाही के अनुसार पर्याप्त कारण का उल्लेख करना है।
- गवाह बीमार होने के कारण की जगह आप अपने कारण का उल्लेख करेंगे जैसा पर्याप्त कारण परिस्थति के अनुसार हो।
वादी और प्रतिवादी के सिविल वाद में वादी की अपील पर प्रतिवादी दो बार अपील जीतने चुके है। इसके बाद वादी की तरफ से पुनः १/८० का नोटिस भेजा गया।करता वादी ऐसा कर सकता है। कृपया बताएं।
ReplyDeletePajisson ke liye kya chahiye
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