Narco analysis test क्या होता है नार्को टेस्ट क्यों होता है नार्को टेस्ट कैसे होता है नार्को टेस्ट किन अपराधियों पर होता है
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नमस्कार दोस्तों,
आज के इस लेख में आप अभी को "नार्को टेस्ट" के बारे में बताने जा रहा हु, क्योकि आप सभी ने नार्को टेस्ट शब्द को कई बार टेलीविज़न में न्यूज़ या फिल्मो को देखते समय सुना होगा या फिर समाचार पत्र पढ़ते होंगे तो अवश्य पढ़ा होगा। अमुक अपराध में पड़के गए दोषी के दोष को सिद्ध करने के लिए उस पर नार्को टेस्ट किया किया और वह अमुक अपराध का दोषी पाया गया, जिसके अंतर्गत उस व्यक्ति को कठिन कारावास की सजा से दण्डित किया गया है।
नार्को टेस्ट को लेकर आपके मन में कई प्रकार के सवाल उठ रहे होंगे और इन सवालो के जवाब जानने की उत्सुकता भी हो रही होगी, आपके मन में आने वाले सवाल जैसे कि :-
- नार्को टेस्ट क्या होता है ?
- नार्को टेस्ट क्यों होता है ?
- नार्को टेस्ट कैसे होता है ?
- नार्को टेस्ट कौन करवाता है ?
- नार्को टेस्ट किन पर होता है ?
- क्या नार्को टेस्ट करवाने से पहले व्यक्ति की सहमति आवश्यक है ?
- क्या नार्को टेस्ट वैध है ?
तो चलिए जवाब जान ले, आपके सवाल हमारे जवाब।
1.नार्को टेस्ट क्या होता है ?
नार्को टेस्ट एक ऐसा टेस्ट है, जो कि किसी अपराधी के ऊपर उन परिस्थितियों में किया जाता है, जब उसके द्वारा किये गए अपराध की घटना को वह सच न बता कर अपने दिमाग का पूर्ण इस्तेमाल कर घटना की कूट रचना कर अपने हिसाब से घटना के तथ्यों में अपने हिसाब से फेर बदल कर, या घटना में अपने हिसाब से कुछ तथ्यों को अलग से जोड़ कर या कुछ हटा कर ऐसा बताता है कि उसने वह अमुक अपराध किया ही नहीं है।
इस नार्को टेस्ट का इस्तेमाल तब होता है, जब पुलिस किसी अपराधी से उसके अपराध की सच्चाई जानने के लिए हर प्रकार से पूर्णता प्रयास कर होती है लेकिन फिर भी अपराधी अपने किये हुए अपराध का सच बताने से इंकार करता है, तो पुलिस अभियुक्त द्वारा किये गए अपराध की सचाई जानने के लिए उस अभियुक्त से उस अपराध की सचाई जानने के लिए नार्को टेस्ट का सहारा लेती है।
इस नार्को टेस्ट में अभियुक्त के शरीर में एक केमिकल इंजेक्शन के द्वारा डाला जाता है, जिससे अभियुक्त के शरीर की नशों में जाते ही , यह केमिकल अपनी क्रिया में लग जाता है, जिसका परिणाम अभियुक्त गहरी नींद में जाने लगता है, जिसको बेहोशी की हालत भी कहा जा सकता है, इस हालत में व्यक्ति को न तो पूरी बेहोशी ही आती है और न ही पूरा होश में रहता है।
नार्को टेस्ट एक अनुभवी चिकित्सक की द्वारा उसी की देख रेख में होता है। इस नार्को टेस्ट की एक वीडियो रिकॉर्डिंग भी होती रहती है। जो कि न्यायालय के समक्ष पेश होती है।
2.नार्को टेस्ट क्यों होता है ?
नार्को टेस्ट बहुत ही गंभीर प्रकृति के अपराध को कारित करने वाले अपराधियों के ऊपर किया जाता है जो की पुलिस द्वारा पूछताछ किये जाने पर अपने द्वारा किये गए अपराध की घटना को अपने मन मुताबिक बना कर झूठ बताते है, ऐसे में पुलिस इनके अपराध को सिद्ध करने में असफल रहती है, लेकिन घटना स्थल से मिले साक्ष्य के आधार पर पुलिस को पूर्ण विश्वास करने का कारण होता है कि अमुक अपराध इसी व्यक्ति द्वारा किया गया है।
तो ऐसे में अपराधी से अपराध की सच्ची घटना की जानकारी जानने के लिए उस पर नार्को टेस्ट का प्रयोग किया जाता है। इस टेस्ट में व्यक्ति बेहोसी की हालत में रहता और उससे घटना के सम्बन्ध में जो जानकारी पूछी जाती है वह लगभग कुछ प्रतिशत तक सही बताता है।
3.नार्को टेस्ट कैसे होता है ?
नार्को टेस्ट किसी भी अपराधी के ऊपर किये जाने से पहले उस व्यक्ति का शारीरक परिक्षण किया जाता है, कि क्या वह व्यक्ति इस नार्को टेस्ट को झेल पायेगा, उसकी शारीरिक क्षमता इस नार्को टेस्ट को बर्दास्त कर पायेगी, क्योंकी यह टेस्ट बहुत ही जोखिम भरा होता है, यदि इस टेस्ट में सावधानी न बरती गयी ,तो व्यक्ति की जान भी जा सकती है।
नार्को टेस्ट बहुत ही गंभीर प्रकृति के अपराध को कारित करने वाले अपराधियों के ऊपर किया जाता है जो की पुलिस द्वारा पूछताछ किये जाने पर अपने द्वारा किये गए अपराध की घटना को अपने मन मुताबिक बना कर झूठ बताते है, ऐसे में पुलिस इनके अपराध को सिद्ध करने में असफल रहती है, लेकिन घटना स्थल से मिले साक्ष्य के आधार पर पुलिस को पूर्ण विश्वास करने का कारण होता है कि अमुक अपराध इसी व्यक्ति द्वारा किया गया है।
तो ऐसे में अपराधी से अपराध की सच्ची घटना की जानकारी जानने के लिए उस पर नार्को टेस्ट का प्रयोग किया जाता है। इस टेस्ट में व्यक्ति बेहोसी की हालत में रहता और उससे घटना के सम्बन्ध में जो जानकारी पूछी जाती है वह लगभग कुछ प्रतिशत तक सही बताता है।
3.नार्को टेस्ट कैसे होता है ?
नार्को टेस्ट किसी भी अपराधी के ऊपर किये जाने से पहले उस व्यक्ति का शारीरक परिक्षण किया जाता है, कि क्या वह व्यक्ति इस नार्को टेस्ट को झेल पायेगा, उसकी शारीरिक क्षमता इस नार्को टेस्ट को बर्दास्त कर पायेगी, क्योंकी यह टेस्ट बहुत ही जोखिम भरा होता है, यदि इस टेस्ट में सावधानी न बरती गयी ,तो व्यक्ति की जान भी जा सकती है।
4.नार्को टेस्ट कैसे होता है, इसको हम आसान से स्टेप में जानेगे।
- नार्को टेस्ट सरकारी चिकिस्तालय में न्यायालय के आदेश पर ही होता है।
- नार्को टेस्ट करने से पहले व्यक्ति की उसकी स्वतंत्र सहमति अति आवश्यक है।
- नार्को टेस्ट करने से पहले न्यायालय की अनुमति अति आवश्यक है।
- नार्को टेस्ट करने से पहले व्यक्ति का पूर्ण शारीरिक परीक्षण किया जाता है, क्या वह इसको बर्दास्त कर सकता है।
- उम्र, सेहत और लिंग के आधार पर नार्को टेस्ट में इस्तेमाल होने वाला इंजेक्शन दिया जाता है।
- नार्को टेस्ट के फोरेंसिक टेस्ट होने के कारण, इसको अपराध की जाँच करने वाले अधिकारी, डॉक्टर, मनोवैज्ञानिक और फॉरेंसिक विशेषज्ञ की देखरेख में किया जाता है।
- नार्को टेस्ट करने के लिए अपराधी को एक साइकोएक्टिव दवा इंजेक्शन के माध्यम से दिया जाता है।
- इंजेक्शन के लगने के कुछ ही समय के भीतर यह अपना असर करने लग जाता है और व्यक्ति धीरे धीरे ऐसी अवस्था में पहुंच जाता है जिसमे न तो वह पूरा बेहोश ही होता है न पुरे होश में होता है।
- इस अवस्था में मनुष्य के मष्तिक का तुरंत प्रक्रिया करने वाला भाग काम करना बंद कर देता जिससे की उस व्यक्ति की ज्यादा सोचने और समझने की क्षमता कम हो जाती है।
- बेहोशी की हालत में होने कारण अपराधी से अपराध की घटना के सम्बन्ध में पूछे जाने वाले सवालों के जवाबों को घुमा फिरा कर नहीं बता पता है।
- बेहोशी की अवस्था में होने के कारण अपराधी अधिक न बोल पाने के कारण पूछे जाने वाले सवालो का जवाब सही व् सटीक देता है।
- नार्को टेस्ट के दौरान व्यक्ति से पूछे जाने वाले सवालो और जवाबों की आवाज सहित वीडियो रिकॉर्डिंग की जाती है।
- नार्को टेस्ट विशेषज्ञ द्वारा तैयार की गयी रिपोर्ट का इस्तेमाल साक्ष्य को एकत्र करने की प्रक्रिया में किया जाता है।
- नार्को टेस्ट द्वारा तैयार की गयी रिपोर्ट को साक्ष्य के रूप में न्यायालय में पेश किया जाता है।
4.नार्को टेस्ट कौन करवाता है ?
जब पुलिस अपराधी से उसके द्वारा किये गए अपराध की सच्ची घटना के बारे में जानने के लिए इन्वेस्टीगेशन के हर तरीके को आजमा लेती है, फिर अपराधी घटना की सच्चाई या अपराध से सम्बंधित पूछे जाने वाले सवालों के जवाब नहीं देता है, तो ऐसे में पुलिस न्यायालय से अनुरोध करती है कि न्यायालय अपराधी के ऊपर नार्को टेस्ट करने का आदेश पारित करने की कृपा करे।
किसी भी अपराधी के ऊपर नार्को टेस्ट का परीक्षण तभी किया जा सकता है, वह अपराधी स्वयं उस टेस्ट के लिए सहमत हो और न्यायालय से आदेश पारित हुआ हो।
5.नार्को टेस्ट किन अपराधियों पर होता हे ?
नार्को टेस्ट का परीक्षण गंभीर प्रकृति के अपराध कारित करने वाले अपराधियों के ऊपर ही किया जाता है, जो की बहुत चालाकी से अपराध को अंजाम देते है। अपराध में इस्तेमाल किये जाने वाली हथियार या साक्ष्यों को नष्ट कर देते है। यदि वे पकडे भी जाते है , तो आसानी से अपने अपराध को कबूल नहीं करते है। पुलिस इन्वेस्टीगेशन , में उनके द्वारा किये गए अपराध से सम्बंधित पूछे जाने वाले सवालों के जवाब वे बहुत सोच समझकर व् अपने हिसाब से तोड़ मड़ोड़कर देते है।
नार्को टेस्ट का परीक्षण किन अपराधियों पर होता है इसका कोई स्पष्ट जवाब नहीं पर कुछ ऐसे अपराध है जिन पर नार्को टेस्ट का परीक्षण समय पड़ने पर किया जा सकता है, जैसे कि:-
जब पुलिस अपराधी से उसके द्वारा किये गए अपराध की सच्ची घटना के बारे में जानने के लिए इन्वेस्टीगेशन के हर तरीके को आजमा लेती है, फिर अपराधी घटना की सच्चाई या अपराध से सम्बंधित पूछे जाने वाले सवालों के जवाब नहीं देता है, तो ऐसे में पुलिस न्यायालय से अनुरोध करती है कि न्यायालय अपराधी के ऊपर नार्को टेस्ट करने का आदेश पारित करने की कृपा करे।
किसी भी अपराधी के ऊपर नार्को टेस्ट का परीक्षण तभी किया जा सकता है, वह अपराधी स्वयं उस टेस्ट के लिए सहमत हो और न्यायालय से आदेश पारित हुआ हो।
5.नार्को टेस्ट किन अपराधियों पर होता हे ?
नार्को टेस्ट का परीक्षण गंभीर प्रकृति के अपराध कारित करने वाले अपराधियों के ऊपर ही किया जाता है, जो की बहुत चालाकी से अपराध को अंजाम देते है। अपराध में इस्तेमाल किये जाने वाली हथियार या साक्ष्यों को नष्ट कर देते है। यदि वे पकडे भी जाते है , तो आसानी से अपने अपराध को कबूल नहीं करते है। पुलिस इन्वेस्टीगेशन , में उनके द्वारा किये गए अपराध से सम्बंधित पूछे जाने वाले सवालों के जवाब वे बहुत सोच समझकर व् अपने हिसाब से तोड़ मड़ोड़कर देते है।
नार्को टेस्ट का परीक्षण किन अपराधियों पर होता है इसका कोई स्पष्ट जवाब नहीं पर कुछ ऐसे अपराध है जिन पर नार्को टेस्ट का परीक्षण समय पड़ने पर किया जा सकता है, जैसे कि:-
- मृत्यु कारित करने वाले अपराधी पर ।
- बलात्संग / बलात्कार / रेप करने वाले अपराधियों पर।
- आतंकवादियों पर।
- आतंकवादी गतिविधियों में सम्मिलित व्यक्तियों पर।
5.क्या नार्को टेटस परीक्षण करने से पहले अपराधी /अभियुक्त की सहमति आवश्यक है ?
हाँ, जिस व्यक्ति पर नार्को टेस्ट का परीक्षण किया जाना है उस व्यक्ति की सहमति अति आवश्यक है। यदि व्यक्ति की सहमति के बिना नार्को टेस्ट का परीक्षण किया जाता है, तो संविधान के अनुछेद 20 (3) अपराधों के लिए दोषसिद्ध के सम्बन्ध में संकरण का उल्लंघन होगा। अनुछेद 20 (3) के तहत किसी भी अपराध के लिए अपराधी / अभियुक्त को स्वयं अपने विरुद्ध साक्षी होने के लिए बाध्य नहीं किया जायेगा।
6.क्या नार्को टेस्ट वैध है ?
नार्को टेस्ट का परीक्षण वैध तभी माना जायेगा जब अपराधी / अभियुक्त की उसकी सहमति होगी, और न्यायालय द्वारा नार्को टेस्ट के परीक्षण का आदेश पारित किया गया है।
नार्को टेस्ट का परीक्षण वैध तभी माना जायेगा जब अपराधी / अभियुक्त की उसकी सहमति होगी, और न्यायालय द्वारा नार्को टेस्ट के परीक्षण का आदेश पारित किया गया है।
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