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नमस्कार दोस्तों,
आज के इस लेख में आप सभी को बताने जा रहा हु कि सिविल वादों / मामलों में दिए जाने वाले प्रार्थना पत्र कितने प्रकार के होते है।
जब दो पक्षों के मध्य किसी संपत्ति को लेकर किसी भी प्रकार का कोई भी वाद -विवाद उतपन्न होता है, तो पीड़ित पक्ष अपने अधिकारों की प्राप्ति के लिए सिवल वाद न्यायालय में संस्थित (दर्ज) करवाता है। वाद दर्ज हो जाने पर न्यायालय वाद से सम्बंधित न्यायिक प्रक्रिया शुरू कर देती है। न्यायिक प्रक्रिया के शुरू होने से लेकर वाद के अंतिम निर्णय से पहले तक वाद में कई प्रकार के प्रार्थना पत्र देने पड़ जाते है, जिनका अपना महत्व है।
सिविल मामलों में दिए जाने वाले प्रार्थना पत्र
सिविल वादों के संस्थित होने से लेकर वाद के अंतिम निर्मय होने से पहले तक वाद में कई प्रकार के प्रार्थना पत्र वाद से सम्बंधित दोनों पक्षकारों की तरफ से प्रस्तुत किये जाते है। ये सिविल प्रार्थना पत्र निम्न प्रकार से है :-
- वाद में किसी व्यक्ति को पक्षकार बनाने के लिए प्रार्थना पत्र।
- वाद से सम्बंधित अभिवचनों के संशोधन करने के लिए प्रार्थना पत्र।
- वाद से सम्बंधित अधिक अच्छे कथनों और विशिष्टियों के लिए प्रार्थना पत्र।
- जवाबुल जवाब के लिए प्रार्थना पत्र।
- वाद से सम्बंधित कमीशन निकलवाने के लिए प्राथना पत्र।
- वाद के प्रत्यावर्तन के लिए प्रार्थना पत्र।
- वाद से सम्बंधित विधिक प्रतिनिधियों को अभिलेख (record) पर लाने के लिए प्रार्थना पत्र।
- वाद से सम्बंधित निर्णय से पहले कुर्की या गिरफ़्तारी के लिए प्राथना पत्र।
- वाद से सम्बंधित दस्तावेजों के अभिलेख में लाने हुतु प्रार्थना पत्र।
- वाद से सम्बंधित डिक्री के निष्पादन के लिए प्रार्थना पत्र।
- अस्थायी व्यादेश के लिए प्रार्थना पत्र।
- रिसीवर की नियुक्ति के लिए प्रार्थना पत्र।
- विवाधको में संशोधन के लिए प्रार्थना पत्र।
- दाम्पत्य अधिकारों के पुनः स्थापना के लिए प्रार्थना पत्र।
- एक पक्षीय आदेश या डिक्री को अपास्त कराये जाने हेतु प्रार्थना पत्र।
ऊपर बताये गए निम्न प्रार्थना पत्र के अलावा भी कई प्रकार के प्रार्थना पत्र है, जिन्हे वाद की न्यायिक प्रक्रिया के दौरान समय समय पर वाद के सम्बन्ध में न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने पड़ते है।
बहुत ही सहरानीय कदम
ReplyDeleteधन्यवाद ।
Deleteजिल्हा जज साहब निकाल नही दे रहे एक साल हो गया पूछने पर बोलते है मेरे आगे बहुत काम है अग्नि तारीख पर निकाल दुंगा केस 2017 से चालू है
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