सिविल प्रक्रिया संहिता आदेश 6 अभिवचन के मूल सिद्धांत व् नियम cpc order 6 pleading and rule of pleading while drafting plaint and written statement.
- अभिवचन / प्लीडिंग में तथ्यों का उल्लेख किया जाना चाहिए न की विधि का उल्लेख।
- अभिवचन / प्लीडिंग में सारभूत तथ्य की घटनाओं का उल्लेख किया जाना चाहिए न की जिन पर वाद आधारित है।
- अभिवचन / प्लीडिंग में केवल तथ्यों का उल्लेख किया जाना चाहिए न की उस साक्ष्य जिसके माध्यम से उक्त तथ्यों को साबित करना है।
- अभिवचन में घटनाओं का संक्षित्प स्पष्ट औरनिश्चित उल्लेख किया जाना चाहिए।
द्वेषपूर्ण अभियोजन में केवल इतना अभिकथन यह महत्वपूर्ण होगा कि वादी का अभियोजन करने में प्रतिवादी द्वेष से प्रेरित है।
जहाँ कहीं यह अभिकथन करना आवश्यक है कि किसी तथ्य, बात या वस्तु की सूचना किसी व्यक्ति को थीवहां जब तक की ऐसी सूचना का प्रारूप या उसके सटीक शब्द या वे परिस्थितियां, जिनसे ऐसी सूचना का अनुमान किया जाना है, आवश्यक न हो, ऐसी सूचना को तथ्य के रूप में अभिकथन करना पर्याप्त होगा।
जहाँ पक्षकारों के बीच किसी संविदा का बातचीत से विवक्षित किया जाना है तो ऐसी संविदा का एक तथ्य के रूप में अभिकथन करना चाहिए और ऐसी परिस्थ्तित में इस प्रकार अभिकथन करने वाला व्यक्ति परिस्थितियों से विवक्षित किये जाने वाले एक या अधिक संविदा का सहारा लेना चाहता है तो वह विकल्प रूप में उन सभी का अभिकथन कर सकता है।
उदाहरण -
धन सम्बन्धी वाद में वादी द्वारा यह बयान दिया गया कि प्रतिवादी ने अमुक तारीख में 1000 रुपया वादी से उधार के रूप में लिया था, जिसका प्रतिवादी ने अभी तक भुगतान नहीं किया, यह एक तथ्य की घटना है।
यदि वादी यह भी साथ ही साथ कहे कि प्रतिवादी एक बेईमान व्यक्ति है और बेईमानी से लिए हुए कर्ज जो अदा नहीं करना चाहता तो यह तथ्य की घटना नहीं कही जाएगी, ऐसे कथन को अभिवचन में नहीं लिखना चाहिए।
विवाह के मामले में दोनों पक्षों में विवाह का होना और एक दूसरे का पति पत्नी के समान रहना एक तथ्य की घटनाएँ है।
कभी कभी अभिवचन लिखते समय ऐसा अनुभव होता है कि कोई घटना आवश्यक नहीं है, लेकिन मुकदमा चलने के बाद उसकी कमी लगती है और उस घटना की आवश्यकता होती है, तो ऐसी स्थिति में यदि घटना के विषय में यह संदेह है कि यह मुक़दमे से सम्बंधित सारभूत तथ्य है या नहीं, तो यह अच्छा होगा की उसको भी अभिकथन में लिख दिया जाये, ताकि आगे आवश्यकता पड़ने पर अभिवचन को ठीक करने में कोई भी दिक्कत न उत्पन्न हो।
अभिवचन में केवल तथ्यों का अभिकथन किया जाना चाहिये न की उस साक्ष्य का जिसके माध्यम से उक्त तथ्य साबित किये जाने है-
अभिवचन का मुख्य सिद्धांत व् नियम यह भी है कि अभिवचन में केवल तथ्यों का अभिकथन किया जाना चाहिये न की उन साक्ष्यों का जिनके माध्यम से उक्त तथ्यों को साबित किया जाना है।
तथ्य दो प्रकार के होते है -
- सिद्ध किये जाने वाले तथ्य,
- तथ्यों का साक्ष्य जिनके द्वारा उन्हें सिद्ध करना है।
लेकिन जिन साक्ष्य के द्वारा इन तथ्यों को सिद्ध किया जाना है उन साक्ष्य को अभिकथन में उल्लिखित नहीं किया जाना चाहिए।
सिविल प्रक्रिया संहिता आदेश 6 नीयम 2 के अनुसार यह पूर्ण रूप से स्पष्ट किया गया है कि अभिवचन करने वाला पक्षकार जिन सारभूत तथ्यों का अपने दावे या प्रतिरक्षा के लिए सहारा लेता है, अभिवचन में उन तथ्यों का अभिकथन करे जिससे सिद्ध किया जा सके न की उन साक्ष्यों का जिनके माध्यम से सिद्ध किया जाना है।
उदाहरण -
यदि वादी अपने वाद में कहता है कि उसके मकान के कुछ दरवाजे पुराने व् प्राचीन है, तो प्रतिवादी को अपनी प्रतिरक्षा में यह अभिवचन नहीं करना चाहिए कि एक पिछले वाद में वादी ने यह स्वीकारा था कि उसके मकान के दरवाजे पुराने व् प्राचीन नहीं है, क्योकि यह तथ्य केवल एक साक्ष्य है जिसके माध्यम से वादी का दावा असिद्ध साबित होता है।
वादी को प्रतिवादी के दोषपूर्ण कार्य से हानि हुई है, तो ऐसे में यह कहना पर्याप्त होगा कि अमुक कार्य प्रतिवादी द्वारा दोषपूर्ण किया गया था और जिससे वादी को हानि हुई।
अभिवचन में घटनाओं का संक्षिप्त स्पष्ट और निश्चित उल्लेख किया जाना चाहिए-
अभिवचन का मुख्य सिद्धांत व् नियम यह भी है कि अभिवचन में सारभूत तथ्यों ला उल्लेख संक्षिप्त स्पष्ट व् निश्चित किया जाना चाहिए। अभिवचन में तथ्यों का उल्लेख करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना उपयोगी होगा जैसा कि:-
- पक्षकारों के नाम, स्थान पूर्ण रूप से स्पष्ट व् सही लिखा जाना चाहिए।
- अभिवचन में लिखे जाने वाले तथ्यों या बातों को पैराग्राफ में विभाजित किया जाना चाहिए।
- इन पैराग्राफों को क्रमानुसार संख्यांकित किया जाना चाहिए।
- अभिवचन में तारीख, राशियाँ, और संख्याएँ अंकों में लिखित जाने चाहिये।
- अभिवचन में उन तथ्यों का उल्लेख नहीं किया जाना चाहिए जिन तथ्यों की आवश्यकता नहीं है जैसे कि विधि व् साक्ष्य में विषय से संबधित।
- अभिवचन में तथ्यों तथ्यों का उल्लेख करते वक़्त जिन विवरण की आवश्यकता नहीं है उनका विवरण नहीं करना चाहिए।
- अभिवचन में सारभूत तथ्यों का उल्लेख करते वक़्त तथ्यों की भाषा का विशेष ध्यान देना चाहिए।
- अभिवचन में लिखे जाने वाले तथ्यों या बातों को पुनः दोहराना नहीं चाहिए।
विधिक साक्षरता विधिक शिक्षा जागरूकता की दृष्टि से आपकी सामग्री उपयोगी साबित हो रही है।मैं अंशकालीन विधि व्याख्याता भी हूँ।सोसियो लीगल एक्टिविस्ट हूँ।फील्ड में विषय समझाने में हमे आपकी सामग्री अनुभव का लाभ मिल रहा है।
ReplyDeleteप्रह्लाद जी धन्यवाद अपना मूल्य समय देने के लिए ॥
Deleteप्रह्लाद जी धन्यवाद अपना मूल्य समय देने के लिए ॥
Delete