भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 के तहत साक्ष्य के प्रकार type of evidence under Indian evidence act 1972
साक्ष्य के बारे में अब हम विस्तार से जानने की कोसिस करते है।
साक्ष्य (evidence) क्या होता है ?
साक्ष्य जिसको हम आप सभी सबूत कहते है, जो कि किसी मामले या तथ्य की सच्चाई को साबित करने में सहायक होता है, जो कि किसी मामले या तथ्य की सच्चाई को स्पष्ट करता है, साक्ष्य प्रस्तुत करने की स्वीकृति न्यायालय द्वारा साक्षियों को दी जाती है।
साक्ष्य (evidence) कितने प्रकार के होते है।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 के साक्ष्य के विभिन्न प्रकार निम्नलिखित है,
- प्रत्यक्ष साक्ष्य।
- परिस्थितिजन्य साक्ष्य।
- वास्तविक साक्ष्य।
- सुना सुनाया साक्ष्य।
- प्राथमिक साक्ष्य।
- द्वितीयक साक्ष्य।
- मौखिक साक्ष्य।
- दस्तावेजी साक्ष्य।
1. प्रत्यक्ष साक्ष - direct evidence :- प्रत्यक्ष साक्ष्य वह साक्ष्य कहलाता है, जब किसी मामले से सम्बंधित घटना किसी व्यक्ति के आंखों के सामने घटित होती है, जिसका वह प्रत्यक्ष प्रमाण होता है की वह अमुक घटना उसकी आँखों के सामने घटित हुई है।
उदाहरण -
दो गुटों में किसी बात को लेकर विवाद हुआ और यह विवाद इतना गंभीर हो गया की दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर लाठी, डंडो, भाले चाकू से प्रहार किया, इन प्रहारों से पक्षकारों में से किसी पक्षकार को गंभीर चोटे आ जाती है। वहाँ पर मौजूद किसी व्यक्ति ने इस सम्पूर्ण घटना को अपने आँखों के सामने घटते देखा। अपनी आँखों के सामने घटना घटित होते देखने वाला व्यक्ति यदि गवाही देता है ,तो ऐसा साक्ष्य प्रत्यक्ष साक्ष्य कहा जायेगा।
उदाहरण :-
हत्या के मामले में उपयोग किये जाने वाला हथियार जैसे कि चाकू, कुल्हाड़ी, फरसा, बन्दूक, बन्दूक की गोली, खून से सने कपडे आदि साक्ष्य।
4. सुना-सुनाया साक्ष्य - hearsay evidence :- जब किसी घटना के घटित होने से सम्बंधित जानकारी गवाही देने वाले व्यक्ति द्वारा किसी अन्य व्यक्ति से घटना की जानकारी सुनता है या उसकी सूचना के आधार पर जानकारी होने के बाद गवाही देता है, तो ऐसे साक्ष्य को सुना सुनाया साक्ष्य कहा जायेगा।
सुनी सुनाई बात पर कोई विश्वास नहीं करता, ऐसे में इस साक्ष्य का कोई अधिक महत्व नहीं होता है, ऐसे साक्ष्यों को असंगत साक्ष्य माना जाता है।
उदाहरण:-
हत्या के मामले में जिस व्यक्ति के सामने हत्या हुई है इस बात की जानकारी वह दूसरे व्यक्ति को देता है, तो यहाँ पर दूसरे व्यक्ति ने इस जानकारी को सुना है न की स्वयं देखा है। यदि इस हत्या के मामले को सुनने के बाद वह गवाही देता है तो ऐसे गवाह के द्वारा दिए गए साक्ष्य को सुना सुनाया साक्ष्य कहा जायेगा।
5. प्राथमिक साक्ष्य - primary evidence :- प्राथमिक साक्ष्य ऐसे मूल दस्तावेज होते है, जो कि न्यायालय के सामने पेश किये जाते है, ऐसे साक्ष्यों को सर्वश्रेष्ठ साक्ष्य कहा जाता है, ऐसे साक्ष्यों का प्रभाव मुकदमे में प्रभवशाली होता है।
6. द्वितीयक साक्ष्य - secondary evidence:- प्राथमिक या मूल दस्तावेजों के अभाव के कारण न्यायालय के सामने पेश किये जाने वाले साक्ष्य को द्वितीयक साक्ष्य कहा जाता है। ऐसे साक्ष्यों को पेश करने के लिए न्यायालय केवल विशेष परिथतियों में ही अनुमति देती है।
7. मौखिक साक्ष्य - oral evidence :- मौखिक साक्ष्य वे साक्ष्य होते है, जिसे गवाह ने खुद न्यायालय के सामने पेश होकर अपने मुँह से कहकर घटना या विवाद से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी के बारे में बताया है।
8. दस्तावेजी साक्ष्य - documentary evidence :- दस्तावेजी साक्ष्य वे साक्ष्य होते है , जब कोई साक्ष्य दस्तावेज के माध्यम से या दस्तावेज के रूप में न्यायालय के सामने पेश किये जाते है, तो ऐसे साक्ष्यों को दस्तावेज साक्ष्य कहा जाता है।
Agar pita ne kisi vajah se kisi Duarte mundane me bhai ko malika banaya ho to kya hamare property me hissa nahi milega kya
ReplyDelete