हिन्दू विवाह अधिनियम के तहत हिन्दू विवाह के लिए मान्य शर्ते क्या है और ये शर्ते क्यों बनाई गयी what is the valid condition of hindu marriage
हिन्दू विवाह अधिनियम के तहत हिन्दू विवाह के लिए मान्य शर्ते क्या है और क्यों बनाई गयी |
- हिन्दू विवाह अधिनियम के तहत हिन्दू विवाह के लिए शर्ते क्यों बनाई गयी ?
- हिन्दू विवाह अधिनियम की किस धारा में विवाह की शर्ते बताई गयी है ?
- हिन्दू विवाह अधिनियम के तहत वे शर्ते क्या है ?
- विवाह के लिए कोई निर्धारित उम्र की सीमा नहीं थी, जिसके चलते समाज में बाल विवाह पर अधिक जोर होने लगा,
- विवाह की उम्र सीमा तय न होने पर जो बाल विवाह होते थे उसमे खास कर लड़कियो को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता था, जो कि
- कम उम्र में माँ बनना,
- कम उम्र में माँ बनने से स्वयं माँ को और उसके होने वाले बच्चे को भी खतरे की अधिक सम्भावना होती थी,
- कम उम्र में विवाह हो जाने से लड़का और लड़की दोनों विवाह से सम्बंधित बातों का ज्ञान न होना।
- अधिनयम के बनने से पहले पहली पत्नी के जीवित रहते पुरुष दो या दो अधिक विवाह कर लेते थे , जिससे पहली पत्नी को यह डर रहता था की उसके अधिकारों का हनन न हो जाये।
- कही उसको घर से निकल न दिया जाये और स्वयं के और अपने बच्चो के भरण पोषण के लिए भटकना न पड़े।
- अधिनियम के बनने से पहले विवाह से सम्बंधित होने वाले अपराधों के लिए कोई कानून नहीं बना था, जिसके तहत अपराध करने वाले को दण्डित किया जा सके।
- अधिनियम के बनने से पहले लड़का और लड़की की मानसिक स्थिति पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता था, जिसका परिणाम दोनों में से किसी किसी एक को झेलना पड़ता था।
- अन्य ऐसे ही कई कारणों और समस्याओ को ध्यान में रखते हुए, सन 1955 में सरकार द्वारा विवाह से सम्बंसधित एक कानून पारित किया गया जिसको हम आप सभी "हिन्दू विवाह अधिनियम-1955 "के नाम से जानते है।
हिन्दू विवाह अधिनियम के तहत धारा 5 - विवाह की शर्तें क्या है ?
हिन्दू विवाह अधिनियम धारा 5 उन शर्तों का प्रावधान करती है, जिनके पुरे होने पर ही दो हिन्दुओ के बीच विवाह संपन्न हुआ माना जायेगा।
1. दोनों पक्षकारो (लड़का/लड़की) में से किसी का भी पति या पत्नी जीवित न हो,
2. (क)-विवाह के समय दोनों पक्षकारो में से कोई भी पक्ष (लड़का/लड़की) मानसिक रोगी न हो,
(ख) -दोनों विवाह से सम्बंधित विधि मान्य सम्मति देने में सक्षम हो,
(ग )दोनों पक्षकारों में से किसी भी पक्ष को बार बार पागलपन का दौरा न पड़ता हो,
3. विवाह के समय वर ने 21 वर्ष की उम्र और वधु ने 18 वर्ष की उम्र पूरी कर ली है,
4. दोनों पक्षकार प्रतिषिद्ध नातेदारी की डिग्रीयों के भीतर न आते हो,
5. दोनों पक्षकार एक दूसरे के सपिण्ड नहीं होने चाहिए।
अब इन्ही सब शर्तों को और विस्तार से समझते है।
1. एक विवाह की अनुमति:- हिन्दू विवाह अधिनयम की धारा 5 में वर्णित शर्तों में से एक शर्त केवल एक विवाह की ही अनुमति देता है और दो विवाह पर प्रतिबन्ध लगता है। इस अधिनियम के तहत एक विवाह तभी मान्य होगा जब दो पक्षकारो में से किसी का भी पति या पत्नी जीवित न हो। यानी :-
- विवाह के समय दोनों पक्षकार पहले से ही विवाहित न हो,
- यदि दोनों पक्ष पहले से विवाहित है तो दोनों पक्षकारों में से पति / पत्नी विवाह के समय जीवित न हो,
- यदि दोनो पक्षों में उनके पति / पत्नी जीवित है तो उनके मध्य विवाह विच्छेद यानी डाइवोर्स हो चुका है,
- यदि दोनों पक्षकारों में से किसी के बारे में 7 साल तक दोनों में से किसी के बारे में जीवित होने के बारे में न सुना हो।
2. मानसिक स्थिति :- हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 5 में वर्णित शर्तों के अनुसार दोनों पक्षकारों में से कोई भी मानसिक रोग से ग्रस्त न हो। विवाह के समय दोनों पक्षकारो की मानसिक स्थिति सही होनी चाहिए, क्योकि एक मानसिक रोगी व्यक्ति किसी बात को समझ पाने के काबिल नहीं होता है, क्योकि मांसक रोगी व्यक्ति सही और गलत की पहचान करने में असमर्थ होता।
- दोनों पक्षों की मानसिक स्वस्य्थ होनी चाहिए,
- दोनों पक्षों में से किसी को भी कोई मानसिक रोग न हो,
- दोनों पक्षों में से किसी को भी पागलपन के दौरे न पड़ते हो।
- दोनों पक्षकार विवाह की सहमति देने के लिए सक्षम होने चाहिए।
3. विवाह की उम्र:- हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 5 में वर्णित शर्तों के अनुसार दो पक्षकारो के बीच विवाह तभी होगा जब उन दोनों ने अधिनियम के तहत निर्धारित की गयी उम्र सीमा पूरी कर ली है। लड़के ने 21 वर्ष की उम्र और लड़की ने 18 वर्ष की उम्र पूरी कर ली है, तभी दोनों के बीच विवाह हो सकेगा। इस शर्त का मुख्य उद्देश्य बाल विवाह पर प्रतिबन्ध लगा इसको जड़ से समाप्त करना है। बच्चो का विवाह उनके खेलने कूदने और पढ़ने की उम्र में हो जाने के कारण उनके मानसिक स्थिति - विकास में और बाल जीवन पर बहुत बुरा प्रभाव डालता है। जिस उम्र में बच्चो को खेलना और पढ़ना चाहिए उस उम्र में विवाह हो जाने से वे विवाह से सम्बंधित बातों को क्या जाने। कम उम्र में माँ बनना जो दोनों को माँ और बच्चो के जीवन पर खतरा रहता है।
4. निषिद्ध सम्बन्ध/ नातेदारी की डिग्री :- हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 5 में वर्णित शर्तों के अनुसार दोनों पक्षकरो के बीच विवाह तभी सम्पन्न होगा जब वे प्रतिषिद्ध नातेदारी की डिग्री के भीतर न आते हो, मतलब की वे एक दूसरे के रिश्तेदार न हो। यह रिश्तेदारी से मतलब माँ की ऊपर वाली पीढ़ी से तीन पीढ़ी तक और पिता की ऊपर वाली पीढ़ी से 5 पीढ़ी तक से है इस रिश्तेदारी के भीतर नहीं होने चाहिए।
5. सपिण्ड रिश्तेदारी -हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 5 में वर्णित शर्तों के अनुसार दोनों पक्षकारो के बीच विवाह तभी होगा जब वे एक दूसरे के सपिण्ड रिश्तेदारी के भीतर न आते हो। इस रिश्तेदारी से मतलब माँ की पीढ़ी से तीन पीढ़ी तक और पिता की पीढ़ी से पांच पीढ़ तक से है, इस रिश्तेदारी से के भीतर नहीं आने चाहिए।
क्या कोई व्यक्ति अपनी बुआ की पुत्री की पुत्री से विवाह कर सकता है?
ReplyDeleteहिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 5 की उपधारा 4 व उपधारा 5 के तहत आप यह विवाह नहीं कर सकते है ? क्यो आइए समझ ले ,
ReplyDeleteबुवा जो की आपके पिता की बहन हुई,
बुआ की बेटी जो की आपकी बहन हुई,
बुआ की बेटी की बेटी आपकी भांजी हुई और उसके मामा हुये ।
Agar koi krna chahye toh koi toh rasta hoga
Deleteकोई रास्ता नहीं ।
Deleteअगर पापा की बहन मुस्लिम लड़के से शादी करती है और उसकी बेटी की बेटी से शादी करे तो 😔 क्योंकि....हम दोनों एक दूसरे से प्यार करते है...
Deleteपूरा मामला क्या है ?
Deleteपरन्तु दक्षिण भारत मे मैंने सुना है की वहां के लोग अपनी बुआ की बेटी या मामा के लड़के से शादी का चलन है....क्या वहां कोई अलग कानून है.....और एक ऐसी ही न्यूज़ देखी की आदिवासी लड़के ने सगी मौसी से शादी कर ली.. क्या उन पर भी करवाई हो गी....डॉउट क्लियर करें
Deleteदक्षिण भारत मे ऐसा पीढ़ी दर पीढ़ी होता आ रहा है ।
DeleteAAp muje ye bataiye kee india Mai marriage ke liye jo act he wo Hindu marriage act he ya fir shradha act he mainlly kon sa act main he
ReplyDeleteभारत मे हिन्दुओ के लिए हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 है, जिसके अंतर्गत धारा 5 मे विवाह की शर्ते बताई गयी है। इन सभी शर्तो का पालन करना आवश्यक है ।
DeleteSharda act main hai ya ye wala
ReplyDeleteSir kya cousin bhai hai or cousin bhen hai vo shaadi kar sakte hai kya.
ReplyDeleteएक बार लेख फिर से पढ़े और नियम 4और 5 को अवश्य पढ़े ।
Deleteबुवा की लड़की की लड़की से कर सकते है क्या
ReplyDeleteनही क्योंकि —- बुवा की लड़की आपकी बहन हुई , बहन की लड़की आपकी भांजी हुई । अब भांजी से विवाह कौन करता है ।
Deletenice information sir, isse logoko jarur madat hogi.
ReplyDeleteधन्यवाद जी ।
DeleteKya buaa ki ladki se shadi ho Shakti he kyu ki buaa sagi buaa nahi he vo Parivar me lagti he ager sub iske khilaf ho to kya Bhartiya kanun hme insaf dila shakta he hum bhaut pyar kerte he
ReplyDeleteतुम्हारे पिता जी के चाचा की बेटी है बुआ क्या ? या किस रिश्ते से बुआ लगती है ?
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