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मातृत्व लाभ क्या है और इस मातृत्व लाभ के तहत महिलाओं को मिलने वाले लाभ क्या है ? Types of benefit women are entitled to get under Maternity benefit act 1961

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नमस्कार दोस्तों,
आज का यह लेख खास कर उन महिलाओं के लिए है जो किसी संस्थानों में कार्य कर रही है क्योकि आज के इस लेख में आप सभी को "मातृत्व लाभ " के बारे में बताने जा रहा हु। 
मातृत्व लाभ क्या है और इस मातृत्व लाभ के तहत महिलाओं को मिलने वाले लाभ क्या है ? Types of benefit women are entitled to get under Maternity benefit act 1961.

मातृत्व लाभ क्या है और इस मातृत्व लाभ के तहत मिलने वाले लाभ क्या है ?
मातृत्व लाभ / प्रसूति लाभ अधिनियम क्या है ? 
मातृत्व लाभ अधिनियम का क्षेत्राधिकार ?
मातृत्व लाभ कहाँ -कहाँ लागु होगा ?
मातृत्व लाभ अधिनियम कहा लागु नहीं होगा ?
मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत महिलाओं के विशेषाधिकार क्या है ?
मातृत्व लाभ अधिनियम के अंतर्गत मातृत्व लाभ किन महिलाओं को मिलेगा ?
मातृत्व लाभ अधिमियम के अंतर्गत किन मातृत्व महिलाओ को नहीं मिलेगा ?

मातृत्व लाभ / प्रसूति लाभ अधिनियम क्या है ?
मातृत्व लाभ अधिनियम 1961, का मुख्य उद्देश्य प्रतिष्ठानों (संस्थानों ) में कार्य कर रही महिला कर्मचारियों को समाजिक न्याय प्रदान करना है और मातृत्व लाभ एवं अन्य लाभों की पूर्ण व्यवस्था भी करना है। अधिनियम के तहत मातृत्व लाभ का उद्देश्य यह भी है,भरण  कि जब कोई महिला कर्मचारी गर्भवती होने के कारण कार्य करने के असमर्थ होती है तो ऐसे में महिलाओं और उनके बच्चों का भरण पोषण हो सके और रखरखाव के लिए पूर्ण व्यवस्था का प्रावधान भी करती है। भरण पोषण और रखरखाव की व्यवस्था इसलिए की जाती है ताकि प्रसव काल के दौरान आयी कमजोरी को दूर कर पुनः शक्ति प्राप्त कर सके। 
यह अधिनियम खानों, फैक्टरियों, सर्कस उद्योग, बागान, दुकानों और प्रतिष्ठानों में जहाँ दस या उससे अधिक व्यक्तियों को कार्य के लिए लगाया जाता है। यह अधिनियम राज्य सरकार द्वारा अन्य प्रतिष्ठानों तक विकसित किया जा सकता है। 

अधिनियम का क्षेत्राधिकार कहाँ तक है ?
मातृत्व लाभ अधिनियम 1961, समान रूप से सम्पूर्ण भारत वर्ष में लागु है। शुरवात में यह अधिनियम जम्मू कश्मीर में लागु नहीं था , लेकिन 1970 में अधिनियम में एक संशोधन हुआ जो कि अधिनियम की धारा 51 के तहत इस अधिनियम को जम्मू कश्मीर राज्य में भी समान रूप से लागु किया गया। अब इस तरह से यह अधिनियम का क्षेत्र राष्ट्रव्यापी हो गया है। केंद्रीय सरकार और राज्य सरकार किसी भी समय इस अधिनियम को अधिसूचना जारी कर अपने अधीन उद्योगों के लिए लागु कर सकती है।

मातृत्व लाभ अधिनियम कहाँ लागु होगा ?
मातृत्व  अधिनियम की धारा 2 के अनुसार यह अधिनियम सरकार के अधीन स्थापनों सहित समस्त प्रकार के प्रतिष्ठानों में लागु किया जायेगा।
  1. सरकार द्वारा स्थापित किये गए कारखानों से सम्बंधित किसी भी प्रतिष्ठान, खदान या वृक्षारोपण सहित उस हर अन्य प्रतिष्ठान में जिसमे हर व्यक्ति घुड़सवारी, कलाबाजी और अन्य प्रदर्शन के लिए कार्यरत है। 
  2. राज्य की किसी भी दुकानों और प्रतिष्ठानों में जिसमे पूर्वर्ती 12 महीनों के किसी भी दिन 10 या अधिक व्यक्ति कार्यरत है या कार्यरत थे। 
मातृत्व लाभ अधिनियम कहाँ लागु नहीं होगा ?
मातृत्व लाभ अधिनियम 1961 के तहत मातृत्व लाभ ऐसे कारखानों या अन्य स्थापनों में लागु नहीं मने जायेंगे जहाँ पर श्रमिक राज्य बीमा, 1948 लागु है। ऐसा इसलिए की यह अधिनियम दोहरा लाभ देने से इंकार करता है। क्योकि दूसरे अधिनियम भी महिला कर्मचारीयो को मातृत्व / प्रसूति लाभ प्रदान करते है। वह चाहे पुरुष कर्मचारी हो या महिला कर्मचारी हो एक बार में केवल एक ही लाभ प्राप्त कर सकती है।

मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत महिलाओं के विशेषाधिकार क्या है ?
मातृत्व लाभ अधिनियम जो कि महिलाओं कर्मचारीयों को अधिनियम के तहत मातृत्व लाभ प्रदान करती है , यह लाभ महिलाओं को उनके प्रसव काल के दौरान मिलता है, जिसमे नियोक्ता के द्वारा गर्भवती महिलाओं के और इनके बच्चों के भरण पोषण की पूर्ण व्यवस्था की जाती है।

इस अधिनियम के तहत महिलाओं को कुछ विशेषाधिकार दिए गए है जैसे कि :-
  1. प्रसव काल के दौरान महिला कमर्चारी से किसी भी प्रकार का कोई भी काम नहीं लिया जायेगा, ऐसा इसलिए कि प्रसव काल की अवस्था में कार्य करना, उठना बैठना, लगातार खड़े रहकर कार्य करना महिलाओं  के संभव नहीं क्योकि यह असुविधाजनक होता है। 
  2. प्रसव हो जाने के बाद भी कुछ समय तक उनसे कोई कार्य नहीं लिया जायेगा क्योकि प्रसव के बाद भी कुछ समय उनको स्वस्थ्य होने में लगता है। 
  3. प्रसव काल के पूर्व भी महिला कर्मचारी से किसी भी प्रकार का कोई काम नहीं लिया जायेगा। 
मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत मातृत्व लाभ पाने की अधिकारिणी महिलाएं कौन है ?
मातृत्व लाभ अधिनियम कि धारा 5 मातृत्व लाभ के भुगतान का अधिकार का प्रावधान करती है, जिसके तहत हर एक महिला कर्मचारी मातृत्व लाभ पाने की हक़दार होगी। महिला कर्मचारी के नियोक्ता को उसकी वास्तविक अनुपस्थिति की अवधि के लिए औसत दैनिक मजदूरी की दर पर मातृत्व लाभ का भुगतान करना होगा। अवधि से मतलब महिला कर्मचारी की प्रसव का वास्तविक दिन या उस दिन के तुरंत बाद का कोई भी अवधि। 
  1. इस अधिनियम के अंर्तगत वे ही महिला कर्मचारी मातृत्व लाभ पाने करने की हक़दार होंगी जो स्थापना में नियोजित है और प्रसव काल के तुरंत पहले 12 महीनो में कम से कम 160 दिनों की अवधि तक नियोजक के अधीन कार्य कर चुकी है। इन 160 दिनों में वे दिन भी जोड़े जायेंगे जिन दिनों उनको काम पर से लौटाया गया था। 
मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत कौन महिला कर्मचारी मातृत्व लाभ पाने की अधिकारिणी नहीं है ?
  1. मातृत्व लाभ अधिनियम की धारा 18 के अंतर्गत मातृत्व लाभ के समाप्ति का प्रावधान किया गया है। यदि कोई महिला कर्मचारी अधिनियम की धारा 6 की तहत मातृत्व लाभ और उसके भुगतान के दावे और अवकाश प्राप्त करने के लिए अपने नियोक्ता को सूचना देती और इस सूचना के आधार पर इस बात की अनुमति दी गयी है कि वह अपने आपको निर्धारित अवधि के लिए जो की  6 सप्ताह तक अवकाश प्राप्त कर अनुपस्थित कर सकती है फिर भी वह महिला कर्मचारी इन 6 सप्ताह के अवकाश के बीच किसी अन्य स्थान पर काम करती है, तो ऐसा गंभीर दुराचरण की दोषी पायी जाने वाली महिला कर्मचारी मातृत्व लाभ पाने की अधिकारिणी नहीं होंगी। 
  2. गलत /जाली प्रमाण पत्र देकर मातृत्व लाभ पाने के लिए आवेदन करने वाली महिला कर्मचारी मातृत्व लाभ पाने की अधिकारिणी नहीं है। 
  3. यदि कोई महिला कर्मचारी कृत्रिम /नकली गर्भपात कराती है या करती है तो ऐसा करने वाली महिला कर्मचारी भी मातृत्व लाभ पाने की अधिकारिणी नहीं होगी, और ऐसा करने वाली महिला कर्मचारी को भारतीय दंड संहिता की धारा 312 के तहत दण्डित किया जायेगा। 
मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत प्रसव काल के दौरान कितने समय के लिए अवकाश मिलता है ?

  1. मातृत्व लाभ अधिनियम 1961 के तहत मातृत्व अवकाश 12 सप्ताह तक प्रदान किये जाने का प्रावधान है, जिसमे 6 सप्ताह प्रसव से पहले और 6 सप्ताह प्रसव के बाद। लेकिन अब  मातृत्व लाभ (संशोधन ) अधिनियम के तहत यह 12 सप्ताह का मातृत्व अवकाश बढ़ा कर 26 सप्ताह तक कर दिया गया है और इस 26 सप्ताह के मातृत्व अवकाश का देना अनिवार्य कर दिया गया है। इस अवकाश का लाभ प्रसव की संभावित तिथि से 8 सप्ताह पलहे लिया जा सकता है। 
  2. यदि किसी महिला कर्मचारी के दो या दो से अधिक बच्चें है तो ऐसे में उसे केवल 12 सप्ताह का ही मातृत्व अवकाश मिलेगा। इस अवकाश का लाभ प्रसव की संभावित तिथि से 6 सप्ताह पहले लिया जा सकता है। 
  3. कर्मचारी महिलाओं में जिहोंने 3 महीने से कम उम्र के बच्चें को गोद लिया है, उनको 12 सप्ताह का मातृत्व अवकाश का लाभ मिलेगा। यह अवकाश गोद लिए जाने की तिथि से माना जायेगा। 
  4. सरोगेसी के माध्यम से संतान का सुख पाने वाली महिला कर्मचारी 12 सप्ताह का मातृत्व अवकाश लाभ प्राप्त होगा। यह मातृत्व अवकाश लाभ उस तिथि से माना जायेगा जब सरोगेसी के माध्यम से संतान पाने वाली महिला को बच्चा सौंप दिया जायेगा। 
अन्य अवकाश 

1. गर्भपात के लिए अवकाश। 
प्रसूति लाभ अधिनियम की धारा 9 के तहत गर्भपात के मामले में उसे गर्भपात के तुरंत बाद 6 सप्ताह का अवकाश लाभ प्राप्त होगा और साथ में मजदूरी दर पाने की भी हक़दार होगी लेकिन इसके लिए उसको गर्भपात का साक्ष्य प्रस्तुत करना होगा जैसा निर्धारित हो सके। 

2. गर्भावस्था, प्रसव काल, समय से पहले बच्चे का जन्म, या प्रसव से होने वाली बीमारी, गर्भपात  के लिए अवकाश। 
प्रसूति लाभ अधिनियम की धारा 10 के तहत गर्भावस्था, प्रसव काल, समय से पहले जन्म, प्रसव से होने वाली बीमारी या गर्भपात के अवकाश लाभ प्राप्त होगा। लेकिन उनको इस बात का प्रमाण पत्र भी देना होगा जैसा अधिनियम में निर्धारित किया गया है। यह अवकाश अधिकतम 1 महीने तक का मिलेगा।  

3. भरण पोषण के लिए अवकाश। 
प्रसूति लाभ अधिनियम की धारा 11 तहत प्रसव हो जाने के बाद कार्य पर लौटने पर बच्चे के भरण पोषण के लिए अन्य ब्रेक के अलावा प्रतिदिन 2 ब्रेक भरण पोषण के लिए उपलब्ध होंगे। यह ब्रेक तब तक मिलेगा जब तक बच्चा 15 महीने की उम्र प्राप्त नहीं कर लेता।

प्रसव काल के कारण अनुपस्थित होने पर क्या महिला कर्मचारी को उसका वेतन मिलेगा ?
हाँ, प्रसव काल के कारण अनुपस्थित होने पर भी महिला कर्मचारी को 2 सप्ताह का वेतन प्राप्त होगा। यह वेतन अधिनियम की धारा  5 के तहत उसके द्वारा 3 महीने के पहले अर्जित वेतन का औसत वेतन होगा।
उदाहरण - जैसे मान ले कि प्रतिदिन का औसत लगाने पर 1 रु से अधिक आता है, तो उसी दर पर 12 सप्ताह का वेतन का भुगतान होगा।


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