तीन तलाक़- मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण बिल 2019 के मुख्य प्रावधान। Triple talaq - Muslim women Protection of right of marriage bill 2019
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नमस्कार दोस्तों,
आज के इस लेख में आप सभी को "तीन तलाक़ बिल 2019 " के बारे में बताने जा रहा हु। जो की तीन तलाक़ मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण ) बिल 2019 के नाम से जाना जायेगा। जो की मुस्लिम महिलाओ के विवाह अधिकार को बनाये रखेगा।
तीन तालक क्या है ?
तीन तलाक़ यानी कोई मुस्लिम पति अपनी पत्नी को मौखिक या लिखित रूप से या किसी अन्य तरीके से तीन देता है,तो उन दोनों के मध्य स्थापित पति -पत्नी का रिश्ता समाप्त हो जाता है।
बिना किसी विधिक / उचित कारण के मुस्लिम पतियों का अपनी पत्नियों को तीन तालक मौखिक, लिखित या अन्य किसी प्रकार से देना मुस्लिम महिलाओं के विवाह अधिकार को समाप्त करने लगा। इस तीन तलाक़ के कारण महिलाओ को कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। वे मुस्लिम पत्नियां जो की अपने पति पर निर्भर रहती है, तीन तालक के कारण उनको भरण पोषण की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। अपना और बच्चो का भरण पोषण कैसे करेंगी, जब उनको और कोई बाहरी कार्य नहीं आता है।
तीन तलाक़ बिना किसी उचित /विधिक कारण के मुस्लिम पतियों का अपनी पत्नियों को दे देना, जो कि मुस्लिम महिलओं को उनके विवाह अधिकार से वंचित रखता है साथ ही साथ पति पर निर्भर रहने वाली महिलाओ को अपने और अपने बच्चोके भरण पोषण के लिए समाज में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
ऐसे ही कई मामलो को देखते हुए केंद्रीय सरकार ने तीन तलाक़ बिल 2019 को राज्य सभा और लोक सभा में पेश कर मंजूरी दिलाई और राष्ट्रीय पति की मुहर लगनी बाकी उसके बाद यह तीन तलाक़ विधेयक अधिनियम बन कानून के रूप में लागु किया जायेगा।
तीन तलाक़ बिल 2019 - मुस्लिम महिला ( विवाह अधिकार संरक्षण ) 2019 के मुख्य प्रावधान क्या है।
1.तीन तलाक़ होना शून्य और अवैध होगा - यदि कोई मुस्लिम पति अपनी पत्नी को मौखिक, लिखित या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से या किसी अन्य रूप तीन तलाक़ देता है, तो उसके द्वारा की गयी तलाक़ के लिए कोई भी उद्घोषणा शून्य और अवैध होगी।
2. तलाक़ उद्घोषणा करने पर सजा - यदि कोई भी मुस्लिम पति अपनी पत्नी को धारा 3 में वर्णित तलाक़ के उच्चारण की उद्द्घोषणा करता है , तो ऐसा करने पर उस मुस्लिम पति को दण्डित किया जायेगा, जो कि तीन साल तक कारावास और जुर्माने से भी दण्डित किया जायेगा।
3. जीवन निर्वाह के लिए बत्ता - एक विवाहित मुस्लिम महिला जिसको तीन तलाक़ सुनाया जाता है वह अपने पति से जीवन निर्वाह भत्ता पाने की अधिकारिणी होगी। उसके और उसके बच्चो के जीवन निर्वाह भत्ता मजिस्ट्रेट द्वारा निर्धारित किया जायेगा।
4. अवयस्क बच्चे की कस्टडी - मुस्लिम पति द्वारा अपनी पत्नी को तीन तलाक़ की उद्घोषणा करने के बाद जब तक मामले का फैसला नहीं हो जाता तब तक बच्चा महिला के पास रहेगा जिसकी वह हक़दार होगी, जो की मजिस्ट्रेट के द्वारा निर्धारित जायेगा।
5. संज्ञेय अपराध - इस अधिनियम के तहत दण्डित किया जाने वाला अपराध संज्ञेय अपराध होगा।
6. सुलह करने योग्य अपराध - इस अधिनियम के तहत दण्डित किये जाने वाला अपराध सुलह करने योग्य होगा, उसके लिए पीड़ित विवाहित महिला से अनुरोध करना होगा साथ ही मजिस्ट्रेट से अनुमति लेनी होगी, सुलह की नियम व् शर्ते जैसी हो वह मजिस्ट्रेट द्वारा निर्धारित किया जायेगा।
7. शिकायत कौन दर्ज करा सकता है -केवल पीड़ित विवहित महिला जिसपर तीन तलाक़ सुनाया गया है या उसके रक्त सम्बन्धो या उसके विवाह रिश्तेदारों द्वारा ऐसी घटना से सम्बंधित सूचना थाने के प्रभारी अधिकारी को देने पर इस शिकायत के आधार पर प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की जाएगी।
8. जमानत पर रिहा करने का अधिकार किसको होगा - इस अधिनियम के तहत दण्डित किये जाने वाले अभियुक्त को जमानत पर रिहा करने का अधिकार केवल मजिस्ट्रेट को ही होगा। जिसके लिए अभियुक्त द्वारा जमानत के लिए आवेदन करना होगा। पीड़ित विवाहित महिला के पक्ष को सुना जायेगा जिस पर तीन तलाक़ सुनाया गया है। मजिस्ट्रेट के संतुष्ट होने पर ऐसे व्यक्ति को जमानत पर रिहा करने के उचित आधार है, तभी जमानत पर रिहा किया जायेगा।
6. सुलह करने योग्य अपराध - इस अधिनियम के तहत दण्डित किये जाने वाला अपराध सुलह करने योग्य होगा, उसके लिए पीड़ित विवाहित महिला से अनुरोध करना होगा साथ ही मजिस्ट्रेट से अनुमति लेनी होगी, सुलह की नियम व् शर्ते जैसी हो वह मजिस्ट्रेट द्वारा निर्धारित किया जायेगा।
7. शिकायत कौन दर्ज करा सकता है -केवल पीड़ित विवहित महिला जिसपर तीन तलाक़ सुनाया गया है या उसके रक्त सम्बन्धो या उसके विवाह रिश्तेदारों द्वारा ऐसी घटना से सम्बंधित सूचना थाने के प्रभारी अधिकारी को देने पर इस शिकायत के आधार पर प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की जाएगी।
8. जमानत पर रिहा करने का अधिकार किसको होगा - इस अधिनियम के तहत दण्डित किये जाने वाले अभियुक्त को जमानत पर रिहा करने का अधिकार केवल मजिस्ट्रेट को ही होगा। जिसके लिए अभियुक्त द्वारा जमानत के लिए आवेदन करना होगा। पीड़ित विवाहित महिला के पक्ष को सुना जायेगा जिस पर तीन तलाक़ सुनाया गया है। मजिस्ट्रेट के संतुष्ट होने पर ऐसे व्यक्ति को जमानत पर रिहा करने के उचित आधार है, तभी जमानत पर रिहा किया जायेगा।
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