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नमस्कार दोस्तों,
आज के का यह लेख आप सभी के लिए खास है क्योकि आज के इस लेख में आप सभी को राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा / NALSA ) के बारे में बताने जा रहा हु जिसका गठन विधि सेवा परधिकरण अधिनियम 1987,के अंतर्गत किया गया ताकि समाज के ग़रीब व् कमज़ोर वर्गों को कानूनी सेवाएं निःशुल्क प्रदान की जा सके और उनके विवादों के सौहार्दपूर्ण निपटारे के लिए लोक अदालतों (lok adalat) का आयोजन किया जा सके।
भारतीय संविधान के अनुछेद 14 में विधि के समक्ष समता का अधिकार दिया गया है और भारतीय संविधान में राज्य की निति के निदेशक तत्व के बारे में बताय गया है जिसमे संविधान के अनुछेद 39 क के तहत राज्य का यह कर्तव्य है कि वह राज्य में यह सुनिश्चित करेगा की विधिक प्रणाली इस प्रकार कार्य करे कि सामान अवसर के आधार पर न्याय शुलभ हो और यह भी सुनिश्चित करे कि आर्थिक या किसी अन्य असमर्थता/ निर्योग्यता के कारण से समाज का कोई भी नागरिक न्याय प्राप्त करने के अवसर से वंचित न रह जाये, इसके लिए उपयुक्त विधान या स्कीम या किसी अन्य रीती से सामान न्याय और निःशुल्क विधिक सहायता प्रदान करने की व्यवस्था करेगा।
राष्ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण के बारे में बात करेंगे जिसमे हम आपको इसके बारे में हर एक जानकारी देने जा रहे, जो आपके लिए उपयोगी साबित होगी।
- राष्ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण क्या ?
- निःशुल्क कानूनी सेवाएं कौन सी है ?
- निःशुल्क कानूनी सेवाओं का लाभ कौन उठा सकता है ?
- निःशुल्क कानूनी सेवाओं का विशेषताएं क्या है ?
- निःशुल्क कानूनी सेवा प्राप्त करने के लिए आवेदन कैसे करे ?
- आवेदन दाखिल करने के बाद की प्रक्रिया क्या है ?
- लोक अदालत क्या है ?
तो, शुरू करते है विस्तार से आपके इन हर एक सवालो के जवाबों को।
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) क्या है ?
विधि सेवा प्राधिकरण अधिनियम,1987 के तहत राष्ट्रीय विधि सेवा प्राधिरकण का गठन किया गया,जिसके अंतर्गत समाज के गरीब व् कमजोर वर्गों को बिना किसी शुल्क मतलब की निःशुल्क कानूनी सेवाएं प्रदान करना है और उनके विवादों का सौहार्दपूर्ण निपटारे के लिए लोक अदालतों का आयोजन करना है।
- NALSA मुख्य कार्यालय 12 /11 जाम नगर हाउस नई दिल्ली में स्थित है।
- माननीय श्री रंजन गोगोई, भारत के मुख्य न्यायाधीश पैट्रन- इन- चीफ है।
- माननीय श्री शरद अरविंद बोबड़े जज, भारत के सर्वोच्च न्यायालय, प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष है।
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण।
भारत के हर एक राज्य में NALSA की नीतियों और निर्देशों को प्रभावशाली बनाए रखने के लिए और समाज के गरीब व् कमजोर वर्गों को निःशुल्क कानूनी सेवाएं पदान कराने के लिए और राज्य में लोक अदालतों का संचालन करने के लिए राज्य में राज्य विधि सेवा प्राधिकरण का गठन किया गया है।
- राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की अध्यक्षता सम्बंधित कार्य उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश करते है, जो राज्य सेवा प्राधिकरण के संरक्षक-इन-चीफ है।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण।
हर जिले में, विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यक्रमों को जिले में लागु करने के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण का गठन किया गया है। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण हर एक जिले के जिला न्यायालय के परिसर में स्तिथ है और इसकी अध्यक्षता से सम्बंधित कार्य जिले के जिला न्यायाधीश के द्वारा किया जाता है।
तालुक विधिक सेवा समिति।
तालुक या मंडल में से हर एक के लिए या तालुक या मंडल के लिए तालुक विधिक सेवा समितियों का भी गठन किया जाता है ताकि तालुक में विधिक सेवाओं की गतिविधियों की वयवस्था की जा सके और लोक अदालतों का आयोजन किया जा सके।
हर एक तालुक विधिक सेवा समिति का संचालन एक वरिष्ठ सिविल जज करते है, जो कि इस समिति के पदेन अध्यक्ष होते है और जो समिति के अधिकार क्षेत्र में कार्यरत होते है।
नालसा की निःशुल्क कानूनी सेवाएं कौन सी है ?
- कानूनी कार्यवाहियों में अधिवक्ता/वकील/एडवोकेट उपलब्ध कराना।
- किसी कानूनी कार्यवाही में न्यायालय शुल्क, और देय अन्य अभी प्रभार अदा करना।
- कानूनी कार्यवाही में आदेशों आदि की प्रमाणित प्रतियों को प्राप्त कराना।
- कानूनी कार्यवाही में अपील और दस्तावेजों का अनुवाद कराना और छपाई सहित फाइल तैयार करना।
निःशुल्क विधिक सेवा पाने के पात्र कौन है ?
विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 की धारा 12 में पात्र व्यक्तियों को निःशुल्क कानूनी सेवाएं पाने के लिए कुछ मानदंड निर्धारित किये गए है। अधिनियम की धारा 12 के तहत जिस व्यक्ति को कोई मामला दर्ज करना हो या किसी मामले में अपना बचाव करना हो वह इस अधिनियम के तहत कानूनी सेवाओं का हकदार होगा यदि वह व्यक्ति निम्नलिखित श्रेणियों में आता होगा जैसे :-
- महिलाएं एवं बच्चे।
- औद्योगिक श्रमिक।
- हिरासत में रखे गए लोग।
- मानसिक रूप से बीमार या विकलांग व्यक्ति।
- अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के सदस्य।
- संविधान के अनुछेद 23 के तहत मानव तस्करी या बेगार शिकार।
- अवांछनीय परिस्थितयों में व्यक्ति जैसे सामूहिक आपदा, जातीय हिंसा, जातिगत अत्याचार, बाढ़, सूखा, भूकंप या औद्योगिक आपदा के शिकार हुए लोग।
- ऐसे व्यक्ति जिनकी वार्षिक आय नौ हजार रूपये से कम है या ऐसी अन्य उच्च राशि जो राज्य सरकार द्वारा निर्धारित की जा सकती है। यदि मामला उच्चतम न्यायालय के अलावा किसी अन्य न्यायालय के समक्ष है और बारह हजार रूपये से कम या इस तरह की अन्य उच्च राशि, यदि सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष मामला हो , तो केंद्रीय सरकार द्वारा निर्धारित राशि।
निःशुल्क कानूनी सेवाओं की विशेषताएं क्या है ?
निःशुल्क कानूनी सेवाएं समाज के उन ग़रीब एवं कमज़ोर वर्गों और हाशिये पर रहने वाले लोगो को के लिए दीवानी और फौजदारी के मामलो में निःशुल्क कानूनी सहायता प्रदान करने का प्रावधान करती है।
ग़रीब एवं हाशिये पर रहने वाले लोग जो किसी मामले के संचालन के लिए अधिवक्ता की सेवाएं या किसी अन्य न्यायालय, न्यायाधिकरण या किसी प्राधिकरण में समक्ष कानूनी कार्यवाही नहीं कर सकते उनके लिए यह निःशुल्क कानूनी सेवाएं है।
- किसी कानूनी मामले पर विधिक सलाह देना।
- कानूनी कार्यवाही में वकील/अधिवक्ता/एडवोकेट द्वारा प्रतिनिधितत्व करना।
- कानूनी कार्यवाहियों में दस्तावेजों की छपाई और अनुवाद करना।
- कानूनी कार्यवाही के लिए अपील या ज्ञापन तैयार करना।
- कानूनी दस्तावेजों का प्रारूप तैयार करना विशेष रूप से अवकाश याचिका का तैयार करना।
- किसी भी न्यायालय या अन्य प्राधिकरण या न्यायाधिकरण के समक्ष किसी मामले या अन्य कानूनी कार्यवाही के संचालन में किसी भी सेवा का प्रतिपादन करना।
- निःशुल्क कानूनी सेवाओं के लाभार्थियों को केंद्र सरक्कार या राज्य सरकार द्वारा बनाई गई कल्याणकारी विधियों एवं योजनाओ के तहत लाभ पहुंचाने के लिए और किसी अन्य तरिके से न्याय तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए सहायता और सलाह देने का प्रावधान भी शामिल है।
निःशुल्क कानूनी सेवा प्राप्त करने के लिए आवेदन कैसे करना होगा।
निःशुल्क कानूनी सहायता प्राप्त करने के निम्न तरीके हो सकते है जैस :-
- जिन पात्र व्यक्तियों को निःशुल्क कानूनी सेवाओं की आवश्यकता है, वह एक आवेदन के माध्यम से लिखित रूप में भेजकर सम्बंधित प्राधिकरण या समिति से संपर्क कर निःशुल्क कानूनी सहायता प्राप्त कर सकते है।
- संक्षेप में कानूनी सहायता प्राप्त करने के कारण को उक्त अधिकारियों द्वारा तैयार किया गया प्रपत्रों को भरकर।
- मौखिक रूप से उस मामले से सम्बंधित विधिक सेवा प्राधिकरण या पैरालीगल स्वयंसेवक के अधिकारी व्यक्ति की सहायता से।
- ऑनलाइन आवेदन कर के पात्र व्यक्ति निःशुल्क सहायता प्राप्त कर सकता है, उसके लिए NALSA की अधिकृत वेबसाइट पर जा कर उपलब्ध कानूनी सहायता आवेदन पत्र भरना होगा और साथ में आवश्यक दस्तावेजों को भी अपलोड करना होगा।
आवेदन दाखिल करने के बाद की प्रक्रिया क्या होगी ?
1. राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिरकन, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, तालुक विधिक सेवा समितियों, उच्चतम न्यायालय विधिक सेवा समिति और उच्च न्यायालय विधिक सेवा समितियों सहित राष्ट्रीय से तालुका स्तरों तक मौजूद विधिक सेवा प्राधिकरणों के माध्यम से पात्र व्यक्तियों को कानूनी सहायता प्रदान की जाती है।
यदि कानूनी सहायता के लिए एक आवेदन या अनुरोध राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के द्वारा प्राप्त किया, तो राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण से सम्बंधित प्राधिकारी को उस आवेदन के लिए प्रेषित किया जाता है।
2. एक बार उचित प्राधिकारी के पास आवेदन प्रस्तुत करने के बाद, सम्बंधित विधिक सेवा संस्थान द्वारा उस पर उचित आवश्यक कार्यवाही की जाएगी।
3. आवेदन के अलगे चरण के बारे जानकारी सम्बंधित पक्षों को भेजी जाएगी।
4. प्राप्त किये गए आवेदन पर की गयी कार्यवाही अलग अलग होगी, पक्षों को परामर्श प्रदान करने से लेकर न्यायालय में उनका प्रतिनिधित्व करने के लिए एक वकील प्रदान करना।
लोक अदालत क्या है ?
लोक अदालत एक ऐसा मंच है जहाँ न्यायालयों में विवादों, लंबित मामलो या पूर्व मुकदमेबाजी की स्थिति से जुड़े मामलों को समझौता या सौहार्दपूर्ण तरीके से उनका निपटारा या समाधान किया जाता है। विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 के अंतर्गत लोक अदालत को वैधानिक दर्जा दिया है। लोक अदालत के पास आये विवादों और लंबित मामलो का समझौता कर एक वैधानिक निर्णय दिया जाता है जो कि अंतिम निर्णय होता है और सभी पक्षकारों पर बाध्यकारी होता है। लोक अदालत द्वारा की गयी सभी कार्यवाही न्यायिक कार्यवाही मानी जाएगी और इसके द्वारा दिए गए किसी भी निर्णय के खिलाफ अपील नहीं की जा सकती ऐसा इसलिए क्योकि लोक अदालत में निर्णय पक्षों के समझौते पर दिया जाता है।
high curt allhabad rit disc fuse aapil dubara kese hogi old vakil ki pis bhot jayda thi 2015 pending kese up board se sambandht ha
ReplyDeleteयदि कोई जज, विधिक सेवा अधिकारी किसी महिला/पुरूष .करमचारी से बुरा बरताव करे तो वह कहा शिकायत. कर सकता है कृपया मदद करे
ReplyDeletePLV Lalita Shyam Dewda Mandsaur
पीएलवी ललिता श्याम द्वेड़ा जी,
Deleteआप इन दो लेख को पढे, आशा है कि आपके सवालों के जवाब मिल जाएंगे ।
1. न्यायालय में कार्यरत महिलाओं के साथ होने वाले यौन-उत्पीड़न के खिलाफ शिकायत कहाँ कैसे करे।
https://www.lawyerguruji.com/2019/08/how-to-do-complaint-against-sexual.html
2. कार्यस्थल पर किसी महिला के साथ यौन उत्पीड़न हो तो वह उसकी शिकायत कहाँ और कैसे करे।
https://www.lawyerguruji.com/2018/10/where-and-how-to-complaint-against.html
सर में तृतीय श्रेणी अधयापिका हू| व अभी मै पोबेशन ( Probation) मे हू | अभी मे अपने ससुराल के व पति के खिलाफ दहेज व घरेलू हिंसा court केस के लिए नि शुल्क sewaye le सकती हूँ या नहीं|
ReplyDeleteकैसी निशुल्क सेवाए लेना चाह रही है ।
ReplyDeleteअगर कोई झूठा application police station me de to use kaise police wale se le
ReplyDeleteयदि शिकायतकर्ता चाहे तो वह वापस ले सकता है लेकिन आप नहि ले सकते है ।
Deleteमेरा पैसा बहुत जगह फंसा हुआ है उसे किस तरीके से वापस मिलेगा इसके विषय में कानून में क्या उपाय है, और पैसा देतें समय भी मुझसे कुछ गलती हुई हैं, इस कारण मैं बहुत परेशान हूँ,
ReplyDeleteकिसे, कहा , कैसे दिया ?
Delete498 के केस में सजा 2 वर्ष की सुनाई गई है क्या इस केस में समझौता हो सकता है दोनों पक्ष पहले हैं आपसी समझौते से साथ साथ रहना है लेकिन कोर्ट में केस अभी भी चल रहा है इसे कैसे खत्म किया जाए वकील का कहना है कि केस गैर समझौता वादी है किस खत्म नहीं हो सकता कृपया मार्गदर्शन करें
ReplyDeleteसजा होने के बाद समझौता कैसा ?
ReplyDeleteसर् लोकआदलत में कोई राजीनामा हो गया उसके खिलाफ कोई आवेदन कर सकते हैं अगर कोई करे क्या करे
ReplyDeleteसर लोक अदालत में कोई राजीनामा हो गया है तो उसको कोई खारिज करा सकते हैं क्या अगर ADJ फ़ास्ट कोर्ट करती है क्या
ReplyDeleteसर लोक अदालत में कोई राजीनामा हो गया है तो उसको कोई खारिज करा सकते हैं क्या अगर ADJ फ़ास्ट कोर्ट करती है क्या
ReplyDeleteखारिज करवाना था तो राजीनामा क्यो किया ?
Deleteउपभोक्ता फोरम ने मेरे विरुद्ध एक पक्षीय फैसला दिया है एवं 7 लाख का भुगतान आदेश दिया है अपील के लिए तय रकम का 50 % जमा करने के पश्चात ही अपना पक्ष रख सकूंगा ऐसा वकील साहब का कहना है।
ReplyDelete2 साल से कोरोना के कारण आर्थिक स्थिति गड़बड़ा गई है क्या मुझे विधिक सेवा से कोई सहयोग मिल सकता है।
आपका मामला क्या है ?
DeleteMien ektarfa faisla ke baare mien jaanna chahti hoon
ReplyDeleteमुकदमे की पैरवी सही ढंग से न हो पाने पर, यानी मुकदमे की तारीख होने पर पक्षकार न्यायालय मे उपस्थित नही रहा जिसके परिणामस्वरूप Ex-Parte आदेश पारित होता है ।
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