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नमस्कार दोस्तों,
आज का यह लेख आप लोगो के लिए बहुत खास है और खास उन विधि के छात्रों के लिए है जो अपनी विधि की पढाई पूरी होने के बाद वकालत के पेशे में आना चाहते है या जज बनने के लिए न्यायिक परीक्षा की तैयारी कर रहे है क्योकि आज के इस लेख में याचिका / रिट के बारे में बताने जा रहा हु। याचिका (Writ/ petition) के बारे में पूर्ण जानकारी रहेगी तो वकालत में भी काम आएगी और न्यायिक परीक्षा में याचिका से सम्बंधित पूछे गए सवालो के जवाब आसानी दे सकेंगे।
याचिका / रिट क्या है ?
भारतीय संविधान द्वारा नागरिकों को कुछ
मौलिक अधिकार प्रदान किये गए इन अधिकारों से किसी को वंचित न किया जाये उसके लिए
संवैधानिक उपचारो का अधिकार प्रदान किया गया। भारतीय संविधान के तीसरे भाग में दिए गए मौलिक अधिकारों को लागु करने के लिए
अनुछेद 32के के तहत उच्चतम न्यायालय और अनुछेद 226 के तहत उच्च न्यायालय को ऐसे निदेश, आदेश या याचिका/रिट जिसके अंतर्गत बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, अधिकार पृच्छा और उत्प्रेषण रिट है इनमे से जो भी उचित हो रिट/याचिका निकालने की शक्ति होगी।
याचिका/रिट कितने प्रकार की होती है ?
भारतीय संविधान अनुछेद 32 के तहत उच्तम न्यायालय और 226 के तहत उच्च न्यायालय रिट/ याचिका निकालने की शक्ति प्रदान की गयी है जैसे :-
- बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट ,
- परमादेश रिट,
- प्रतिषेध रिट,
- अधिकार पृच्छा रिट,
- उत्प्रेषण रिट।
1.बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट ( habeas corpus):- बंदी प्रत्यक्षीकरण का अर्थ है कि हिरासत में लिए गए व्यक्ति को सक्षम न्यायालय के समक्ष पेश किया जाये। यह रिट एक आदेश के रूप में न्यायालय द्वारा उन व्यक्ति के खिलाफ जारी की जाती है जिसने किसी दूसरे व्यक्ति को बंदी बना कर रखा है या हिरासत में रखा है। बंदी बना कर रखने वाले और हिरासत में रखने वाले व्यक्ति को न्यायालय इस रिट के द्वारा यह आदेश देती है बंदी बनाये गए या हिरासत में रखे गए व्यक्ति को न्यायालय के समक्ष पेश किया जाये और यह कारण भी बताये की किस आधार पर उन्हें बंदी बनाया गया या हिरासत में रखा गया है, यदि बताये गये कारणों से यह स्पष्ट साबित होता है की कोई विधि योग्यता नहीं है तो न्यायालय बंदी या हिरासत में रखे व्यक्ति को रिहा करने का आदेश देती है।
बंदी प्रत्यक्षीकरण किसके खिलाफ जारी की जा सकती है ?
उदाहरण :- पुलिस द्वारा किसी व्यक्ति को अमुक अपराध के घटित होने पर गिरफ्तार कर जेल में बंदी बना कर रखा गया है, हिरासत में लेने के 24 घंटे के भीतर या अधिक समय तक उस व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के समक्ष हाजिर नहीं किया गया या अवैध तरीके से हिरासत में रखा गया है, तो हिरासत में लिए गए व्यक्ति के परिवार द्वारा न्यायालय में अधिवक्ता की मदद से यह याचिका दायर की जाती जिसके तहत न्यायालय हिरासत में रखने वाले व्यक्ति को यह आदेश देती है कि हिरासत में रखे गए व्यक्ति को न्यायालय के समक्ष पेश करे।
2.परमादेश रिट (mandamus):- परमादेश रिट का अर्थ है न्यायालय का वह आदेश जो किसी विशेष कार्य को करने या न करने के लिए जारी किया जाता है। यह एक न्यायिक उपचार है जो कि उच्च न्यायालय द्वारा किसी सरकार, निगम, अधिकारी या न्यायालय को ऐसा कोई विशेष कार्य करने से रोकने के लिए आदेश के रूप में जारी किया जाता है। यह परमादेश रिट वहां न्याय के रूप में काम कर करती है जहाँ पर न्याय देने से इंकार किया जाता है, न्याय देरी से दिया जाता है या पीड़ित पक्षकार के पास अन्य कोई उपचार नहीं उपलब्ध होता है।
परमादेश रिट जारी करने का मुख्य कारण यही है की दीवानी कार्यवाही में होने वाली त्रुटियों की पूर्ति करना क्योकि यह दीवानी कार्यवाही होती है।
3.प्रतिषेध रिट (prohibition) :- प्रतिषेध रिट का अर्थ है कि बंद करना या मना करना या ऐसा करने से रोकना। उच्चतर न्यायालय द्वारा प्रतिषेध रिट तब जरी की जाती है जब कोई निचली अदालत या अर्ध न्यायिक निकाय अपने क्षेत्राधिकार का अतिक्रमण कर किसी मुकदमें की सुनवाई करे या करता है तो इस स्थिति में उच्चमत न्यायालय या उच्च न्यायालय ऐसी निचली अदालत या अर्ध न्यायिक निकाय को अपने क्षेत्राधिकार का अतिक्रमण करने से रोकने के लिए प्रतिषेध रिट जारी करती है।
4.अधिकार पृच्छा रिट ( quo-warranto):- अधिकार पृच्छा का अर्थ है कसी अधिकार द्वारा। जब न्यायालय को ऐसा लगता है कि कोई ऐसा व्यक्ति किसी ऐसे पद पर नियुक्त है या हो गया है जिसका यह अधिकार है ही नहीं की वह ऐसे पद पर नियुक्त हो सके तब न्यायालय द्वारा यह रिट जारी कर उस व्यक्ति को उस पद पर कार्य करने से रोक दिया जाता है और उस व्यक्ति से यह सवाल किया जाता है कि किस अधिकार या शक्ति के तहत तुमने यह अमुक कार्य किया है या अमुक कार्य से सम्बंधित निर्णय लिया है।
5.उत्प्रेषण रिट (certiorari):- उत्प्रेषण रिट का अर्थ है सूचित करने के लिए एक आदेश जारी करना। उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय द्वारा या रिट जारी कर उसके अधीनस्थ न्यायालय या न्यायाधिकरण या प्रशासनिक निकाय से अभिलेख परिक्षण के लिए मांगना या सत्यापित करना होता है जिससे यह सुनिश्चित हो सके की वे सब अपने क्षेत्राधिकार में रहकर और विधि द्वारा निर्धारित सीमा के भीतर अपने कार्य को कर रही है।
- यह एक ऐसी याचिका है जो कि केवल न्यायिक और अर्ध न्यायिक निकायों के खिलाफ ही जारी की जा सकती है।
- कार्यपालिका या प्रशासनिक अधिकारियो के कार्यो को हटाने और रद्द करने के लिए भी जारी की जा सकती है।
उत्प्रेषण रिट जारी करने के आधार क्या है ?
- क्षेत्राधिकार की गलती,
- क्षेत्राधिकार का अभाव,
- न्याय क्षेत्र का दुरूपयोग,
- अभिलेख में विधि की गलती,
- नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के उल्लंघन होने पर।
Sir hc ki bhi ek rit or hoti h kya
ReplyDeleteसर आपका लेख काफी अच्छा है इससे मुझे रिट आसानी से समझ में आ गई
ReplyDeleteKoi petition file hone ke baad aage u s case ko nahi badhana hai uske liye kya kare
ReplyDeleteGuddu जी ,
Deleteआपने जिस अधिवक्ता से याचिका दायर करवाई है उसी से याचिका वापसी का प्रार्थना पत्र मय कारण न्यायालय में दाखिल करे ।
सर नमस्कार सर आसपण होत का एक दाखल गुन्हयाची दोन पोलिस रिपोर्ट जावक नंबर आणि दोन कोर्ट केस नंबर तरी पण काही तीन ते चार आरोपी फरार ते पण अटक आरोपींन माहिती असून.
ReplyDeleteआबादी भूमि के कुछ भाग दीवानी है भूमि के और भाग पर बोर्ड off revinv निर्माण के लिए अनुमति मिल सकता है मै CRPF कर्मचारी हूँ
ReplyDeleteआपको इसके लिए जिलाधिकारी कार्यालय में ए डी एम के यहां परमिशन के प्रार्थना पत्र देना पड़ेगा।
ReplyDeleteSir RIT kaha se ki gai h
ReplyDeleteकौन सी रिट ?
DeleteDear Sir, dindhare ek murder hua jisme panch logon ne milker property ko hadapne k liye nishantan ki hatya kar diya jb hmm police ke pass FIR kr rhe thee to police ne kewal do logo ka nam likha aur teen logon ka nam nhi likha to ab hme bache hue teeno ka nam dalwakaer kaise nyay paa sakte h
ReplyDeleteन्यायालय जाओ ।
Deleteमेरे खिलाफ चार्जशीट कोर्ट में पेश हो चुकी है मैं 4 सीट पर स्टे लेने के लिए हाई कोर्ट गया हाईकोर्ट में सेम डे का आर्डर किया है क्या मैं रिट दायर कर सकता हूं जिससे मुझे रिलीव मिल सके
ReplyDeleteक्या ऑर्डर किया ?
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