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नमस्कार दोस्तों,
आज के इस लेख में आप सभी को दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 2 के तहत संज्ञेय और असंज्ञेय अपराधों में क्या अंतर है उसके बारे में बताने जा रहा हु। संज्ञेय और असंज्ञेय अपराधों के बीच क्या अंतर् है इसके बारे में सभी को मालूम होना चाहिए वो चाहे विधि की पढाई कर रहा हो या जिसने अभी हाल ही में विधि की परीक्षा पास कर न्यायालय में अधिवक्ता (lawyer) के रूप में पंजीकरण कराया है। एक सफल अधिवक्ता बनने के लिए कानून का पूर्ण ज्ञान होना अतिआवश्यक है। एक सफल अधिवक्ता बनने और कानून का ज्ञान होने के लिए समय लगता है।
तो, अब हम बात करते है संज्ञेय और असंज्ञेय अपराधों के बेच अंतर के बारे में।
संज्ञेय अपराध।
1.संज्ञेय अपराध गंभीर प्रकृति के अपराधों की श्रेणी में आते है। जैसे:-
- भारतीय दण्ड संहिता की धारा 302 हत्या।
- भारतीय दण्ड संहिता की धारा 304b दहेज़ मृत्यु।
- भारतीय दण्ड संहिता की धारा 376 बलात्कार।
2.संज्ञेय अपराधों में अधिक सजा का प्रावधान है, अर्थात कुछ अपवादों के अलावा संज्ञेय अपराध में 3 साल या 3 साल से अधिक कारावास का प्रावधान है।
3.संज्ञेय अपराधों के मामलो में पुलिस को पूरा अधिकार है कि वह अपराधी / अभियुक्त को बिना किसी वारण्ट के गिरफ्तार कर सकती है।
4.संज्ञेय अपराधों के मामलो में पुलिस को यह पूरा अधिकार है कि वह संज्ञेय मामलो में मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना ही मामलें जाँच कर सकते है।
5.संज्ञेय अपराधों के मामलो में अपराध की कार्यवाही करने के लिए शिकायत (complaint) नहीं करनी पड़ती।
असंज्ञेय अपराध।
1.असंज्ञेय अपराध गंभीर प्रकृति के अपराधों की श्रेणी में न आकर ये सामान्य प्रकृति के होते है जैसे :-
- भारतीय दण्ड संहिता की धारा 193 झूठे साक्ष्य देना।
- भारतीय दंड संहिता की धारा 323 स्वेच्छा उपहति करीत करना।
- भारतीय दण्ड संहिता की धारा 352 आक्रमण, आपराधिक बल प्रयोग करने के लिए दण्ड।
- भारतीय दण्ड संहिता की धारा 417 छल के लिए दण्ड।
- भारतीय दण्ड संहिता की धारा 465 धोखाधड़ी के लिए दण्ड।
- भारतीय दण्ड संहिता की धारा 497 जारकर्म या व्यभिचार।
- भारतीय दण्ड संहिता की धारा 500 मानहानि।
2.असंज्ञेय अपराधों में कम सजा का प्रावधान है, अर्थात कुछ अपवादों के अलावा 3 साल से कम कारावास का प्रावधान है।
3.असंज्ञेय अपराधों के मामलों पुलिस अपराधी / अभियुक्त को बिना वारण्ट के गिरफ्तार नहीं कर सकती है।
4.असंज्ञेय अपराधों के मामलों में पुलिस मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना जाँच नहीं कर सकते है।
5.असंज्ञेय अपराधों में मामलों में अपराध की कार्यवाही शिकायत से ही शुरू होती है।
Yes
ReplyDeleteJarakram kya hota h
ReplyDeleteभारतीय दंड संहिता की धारा 497 व्यभिचार, जिसका मतलब विवाहित पुरुष व स्त्री का किसी अन्य के साथ शारीरिक सम्बंध बनाना ।
ReplyDeleteMarpit hone me khun ajana kaunsidhara lagti hai
ReplyDeleteथाने मे एफ़आईआर दर्ज कराओ ।
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