जीवन बीमा, अग्नि बीमा और समुद्री बीमा में बीमायोग्य हित क्या है ? What is Insurable Interest in life-insurance fire-insurance and marine-insurance ?
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नमस्कार दोस्तों,
आज के इस पोस्ट में आप सभी को " बीमायोग्य हित " के बारे में बताने आज रहा हु कि बीमायोग्य हित (insurable interest )क्या है ? क्या बीमायोग्य हित जीवन, अग्नि,और समुद्री बीमा में भी लागु होता है ?
बीमा के बारे में पहले भी कई पोस्ट लिखे जिसमे मेने बिमा के बारे में बताया है। लेकिन यहाँ में एक बार फिर से आप को बीमा के बारे में बता दू की बीमा जोखिमों को कम करता है और आर्थिक मदद करता है। यदि किसी भी व्यक्ति को दुर्घटना से हुई क्षति में आर्थिक मदद कर उस पीड़ित व्यक्ति की मदद करता है और यदि व्यक्ति की दुर्घटना में मृत्यु हो जाती है, तो उसके परिवार जनों बीमा की राशि देकर आर्थिक रूप से मदद करती है।
तो चलिए अब हम जानेंगे की "बीमायोग्य हित के बारे में।
बीमायोग्य हित क्या है ? What is Insurable Interest ?
हम आप सभी अपने जीवन और संपत्ति और अन्य चीजों का बीमा कराते है, ताकि भविष्य में होने वाली हानि से बचा जा सके और बिमा कंपनी से कुछ हद तक आर्थिक साहायता मिल जाये। सामान्यता किसी भी बिमा संविदा का लीगल होना इसके लिए यह बहुत ही जरुरी है कि बिमादार का बीमित विषय वस्तु में किसी प्रकार का बीमायोग्य हित जरूर हो, यदि बीमित विषय वस्तु में बीमादार का कोई बिमायोग्य हित मौजूद नहीं होगा , तो वह बीमा संविदा जुआ या बाजी की संविदा कही जाएगी और संविदा मूलयहीन और विधिहीन हो जाएगी।
और आसान से शब्दो में हम आपको बीमायोग्य हित के बारे समझाते है।
आपने अपनी सम्पति का बिमा करवाया और आपका उस बीमित वस्तु के साथ ऐसा सम्बन्ध है कि यदि भविष्य में कभी भी उस बीमित वस्तु में क्षति होती है उस क्षति से आपको आर्थिक हानि होती है तो यह कहा जायेगा की आपका उस बीमित वस्तु में आपका बीमायोग्य हित मौजूद है।
यदि बीमित वस्तु में किसी भी प्रकार की हानि होने से बीमीदार को की हानि नहीं होती है , तो यह कहा जायेगा की बीमित वस्तु में बिमदार का बीमायोग्य हित मौजूद नहीं है।
न्यायधीश लॉरेन्स ने बीमायोग्य हित के बारे ने यह कहा कि बीमायोग्य हित वह हित है यदि बीमित वस्तु के अस्तित्व में रहते बिमदार को लाभ होता है और यदि बीमित वस्तु नष्ट होती है तो बिमादार को हानि होती है।
बिमायोग्य हित की शर्ते क्या है ?
यदि किसी बीमा संविदा में ये निम्नलिखित शर्ते है, तो यह माना जायेगा कि बिमादार का बीमित विषय वस्तु में बीमायोग्य हित उस्पस्थित है :-
- बीमा की विषयवस्तु सपष्ट / निश्चित होनी चाहिए।
- बीमायोग्य हित विधि पूर्ण होना चाहिए।
- बीमायोग्य हित किसी संपत्ति से सम्बंधित संविदा से उत्पन्न होने वाले अधिकार से सम्बंधित होना चाहिए।
- बीमादार का बीमित विषय वस्तु में आर्थिक हित का होना बहुत जरुरी है।
- बीमादार का उसकी बीमित विषयवस्तु से ऐसा विधिक सम्बन्ध होना चाहिए की यदि उस बीमादार की बीमित वस्तु से बीमादार का लाभ होता है और उसके नुकसान से हानि होती है।
इन शर्तो का होना जरुरी है, तभी बीमायोग्य हित बीमादार का उस विषयवस्तु में माना जायेगा।
बीमायोग्य हित की उपयोगिता को हम निम्न बीमा से स्पष्ट कर के समझा रहे है।
बीमायोग्य हित की उपयोगिता को जीवन, अग्नि और समुद्री बीमा से स्पष्ट कर समझा रहे है।
1. जीवन बीमा में बिमायोग्य हित।
जीवन बिमा में बीमायोग्य हित का होना बहुत है। जिस व्यक्ति का जीवन बीमा कराया रहा हो उस व्यक्ति का उस बिमा हित आर्थिक रूप से मौजूद होना चाहिए। यदि बीमा कराने वाले का प्रस्तावित जीवन से इस प्रकार सम्बन्ध है कि उसकी मृत्यु से उसको आर्थिक हानि हो या उसके जीवित रहते आर्थिक लाभ हो ,तो वह उस जीवन का बीमा करा सकता है। यहाँ एक बात ध्यान रखने वाली है कि प्रस्तावित जीवन का बीमा कराने वाले का आर्थिक सम्बन्ध होना जरुरी है, केवल रक्त सम्बन्ध, प्रेम स्नेह, भावुकता आदि के कारण बीमा हित नहीं हो सकता है।
कुछ ऐसे उदहारण आपको जीवन बिमा हित के बारे बता रहे है जिससे आपको समझने मे आसानी होगी।
जीवन बिमा में बीमायोग्य हित का होना बहुत है। जिस व्यक्ति का जीवन बीमा कराया रहा हो उस व्यक्ति का उस बिमा हित आर्थिक रूप से मौजूद होना चाहिए। यदि बीमा कराने वाले का प्रस्तावित जीवन से इस प्रकार सम्बन्ध है कि उसकी मृत्यु से उसको आर्थिक हानि हो या उसके जीवित रहते आर्थिक लाभ हो ,तो वह उस जीवन का बीमा करा सकता है। यहाँ एक बात ध्यान रखने वाली है कि प्रस्तावित जीवन का बीमा कराने वाले का आर्थिक सम्बन्ध होना जरुरी है, केवल रक्त सम्बन्ध, प्रेम स्नेह, भावुकता आदि के कारण बीमा हित नहीं हो सकता है।
कुछ ऐसे उदहारण आपको जीवन बिमा हित के बारे बता रहे है जिससे आपको समझने मे आसानी होगी।
- हम आप सभी का अपने जीवन में असीमित हित होता है।
- पत्नी का पति के जीवन पर और पति का पत्नी के जीवन बिमा में हित होता है।
- पिता का पुत्र के जीवन बिमा में हित होता है, यदि पिता अपने पुत्र पर निर्भर है।
- पुत्र का पिता के जीवन बीमा में हित होता है, यदि पुत्र अपने पिता पर निर्भर है।
- साहूकार का अपने कर्जदार के जीवन बीमा में हित होता है और वह बीमे के प्रीमियम और ब्याज सहित ॠण की राशि के लिए बीमा करा सकता है।
- एक कर्मचारी का अपने नियोजक के जीवन में बीमा हित होता है, यदि कर्मचारी की नियुक्ति एक नियमित वेतन पर संविदा द्वारा एक नियमित अवधि के लिए की गयी है।
समुद्री बीमा में बीमायोग्य हित का होना बहुत जरुरी होता है, सामुद्रिक बीमा में बीमायोग्य हित केवल क्षति के दौरान होना अनिवार्य है क्योकि इसमें जहाज के माल का सौदा अनेक बार होता है। सामुद्रिक बीमा में बीमायोग्य निम्न लोगो का होता है।
- जहाज के मालिक का अपने जहाज में।
- माल के मालिक का अपने माल में।
- भाड़े के अधिकारी का भाड़े में।
- ऋणदाता का जहाज बंधक या माल बंधक के आधार पर दिए गए ऋण में।
- बंधकगृहिता का बंधक में रखे गए माल में।
- पुनर्बीमा कराने वाली बीमा कंपनी का बीमा किये गए माल में।
- जहाज के कप्तान और कमचारियों का अपने वेतन में।
अग्नि बीमा में बीमायोग्य हित होना बहुत जरूरी है। अग्नि बीमा में बीमा करवाते दौरान और क्षति होने के दौरान दोनों समय ही बीमायोग्य हित होना अनिवार्य है। यदि दोनों समय बीमायोग्य हित न हो तो लोग इससे अनुचित लाभ उठाने की कोशिश करेंगे। अग्नि बीमा में बीमायोग्य हित निम्न लोगो का होता है।
- माल या संपत्ति के मालिक का अपने माल या संपत्ति में।
- साझेदारों का फर्म की संपत्ति में।
- गोदाम के मालिक का गोदाम में रखे माल में।
- एजेंट का प्रधान के मॉल में।
- ट्रस्टी का ट्रस्ट की संपत्ति में।
- बीमा कंपनी का पुनर्बीमा की गयी सम्पति में।
- गिरवीकर्ता का अपने गिरवी रखी गयी संपत्ति में।
- एक सार्वजानिक वाहन का वाहन में रखे गए माल में।
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