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नमस्कार दोस्तों,
आज के इस पोस्ट में आप सभी को यह बताने जा रहा हु की कौन व्यक्ति अपनी खेती की भूमि पट्टे पर उठा सकता है?
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006, की धारा 95 में यह बताया गया है की कौन व्यक्ति अपनी खेती की भूमि पट्टे पर उठा सकता है। संहिता की धारा 95 में कुछ ऐसी दशाओ का उल्लेख किया गया है जिनके आधार पर व्यक्ति अपनी खेती को पट्टे पर उठा सकता है। कोई भी भूमिधर या असामी अपने गुजारे के लिए अपनी भूमि के जोत या उसके किसी एक भाग को पट्टे पर उठा सकता है, लेकिन ऐसा करने के लिए वह निम्न दशाओं में आता हो।
1. ऐसा व्यक्ति को अंधेपन या किसी ऐसी शारीरक दुर्बलता के कारण खेती करने में असमर्थ हो।
वह व्यक्ति जिसके पास खेती की भूमि है और वह अन्य किसी शारीरक दुर्बलता के कारण से अपनी भूमि पर खुद खेती बाड़ी का कार्य नहीं नहीं कर सकता, तो वह व्यक्ति अपनी खेती की भूमि को पट्टे सकता है क्यों न वह व्यक्ति खेती की देखभाल करने के सक्षम हो।
असक्षमता से मतलब यह है की :-
- दमें की बीमारी से ग्रस्त होना जिसके कारण व्यक्ति खुद खेती बाड़ी का कोई कार्य नहीं कर सकता।
- लकवा या पक्षघात से पीड़ित होना।
- कोढ़ की बीमारी से ग्रसित होना जिसमे व्यक्ति की हाथ पैर की उँगलियों की हड्डियों का गलना शुरू हो जाना।
- टी० बी० की बीमारी से ग्रसित होना।
- हृदय रोग।
- वृद्धावस्था के कारण खेती के काम में असमर्थ होना।
- वृद्धावस्था में मोतियाबिंद होना जिसके कारण आँखों से साफ न दिखाई देना।
- अधिक मोटापा जिसके कारण शारीरक परिश्रम न हो पाना।
- कमजोरी के कारण।
- गठिया की बीमारी से ग्रसित होना जिसके कारण शारीरक दुर्बलता।
- अन्य गंभीर बिमारी के कारण का कार्य न हो पाना।
2. ऐसा व्यक्ति जो पागल या जड़ हो।
राजस्व संहिता की धारा 95 के अंतर्गत एक पागल और जड़ व्यक्ति अपनी खेती की भूमि को पट्टे पर उठा सकता है। भारतीय लुनैसी अधिनयम 1912 की धारा 3 के अनुसार पागल वह व्यक्ति होता है जिसके सोचने और समझने की शक्ति अस्थायी तौर से समाप्त गयी होती है। जड़ उस व्यक्ति को कहा जाता है जिसमे विचार करने की शक्ति नहीं होती है, जिसका पूर्ण मानसिक विकास नहीं हुआ होता है। जड़ जन्मजात रोग होता है।
अब सवाल यह उठता है की एक पागल और जड़ व्यक्ति खेती की भूमि को पट्टे पर कैसे उठा सकता है, तो जवाब यह है की उस पागल और जड़ व्यक्ति के संरक्षक द्वारा खेती की भूमि को पट्टे पर उठाया जा सकता है।
3. निरोधन या कारावासभोगी।
राजस्व संहिता की धारा 95 के अनुसार वह व्यक्ति असक्षम माना जायेगा और अपनी खेती की भूमि को पट्टे पर दे सकता है जो:-
- जो व्यक्ति कारावास की सजा काट रहा है।
- केंद्रीय या प्रांतीय निरोधन अधिनयम के तहत निरोधन में रखा गया है।
4. प्रतिरक्षा कर्मचारी।
राजस्व संहिता की धरा 95 के अनुसार प्रतिरक्षा कर्मचारी अपनी खेती की भूमि को पट्टे पर उठा सकता है। इस संहिता के अनुसार केवल वही व्यक्ति अपनी खेती को भूमि को पट्टे पर उठा सकता है जो भारत की स्थल सेना, नौ सेना और वायु सेना का कर्मचारी है, तो वह असक्षम व्यक्ति है वह व्यक्ति चाहे लड़ाकू पद पर हो या न हो।
5. स्त्री।
राजस्व संहिता की धारा 95 के अंतर्गत केवल वही स्त्री अपनी खेती की भूमि को पट्टे पर दे सकती है:-
- अविवाहिता स्त्री।
- विधवा।
- तलाकशुदा स्त्री।
- वह स्त्री जो अपने पति से अलग हो गयी हो।
- वह स्त्री जिसका पति पागल, जड़, अंधेपन या शारीरिक दुर्बलता से पीड़ित हो।
6. विद्यार्थी।
एक विद्यार्थी को खेती करने में असक्षम तब ही मन जायेगा जब:-
- उसकी उम्र 25 वर्ष से कम हो।
- उस विद्यार्थी के पिता की मृत्यु हो चुकी हो।
- यदि विद्यार्थी के पिता जीवित हो तो वह किसी शारीरिक दुर्बलता से असमर्थ हो, पागल हो, अंधेपन से पीड़ित हो।
- यदि विद्यार्थी किसी मान्यता प्राप्त संस्था में शिक्षा प्राप्त कर रहा हो।
7. नाबालिग।
एक नाबालिग लड़का खेती की भूमि को पट्टे पर तब दे सकता है जब उस नाबालिग के पिता की मृत्यु हो गयी हो या वह किसी शारीरिक दुर्बलता से असमर्थ हो या गंभीर बीमारी से ग्रसित हो या पालग हो। खेती की भूमि को पट्ट पर देने पर इस बात का कोई असर नहीं पड़ेगा की वह नाबालिग संयुक्त परिवार में पिता के साथ रह रहा है या अलग। यदि संविदा अधिनयम की बात आती है, तो उसमे साफ यह कहा गया है की एक नाबालिग किसी भी प्रकार की संविदा नहीं कर सकता यदि उसके द्वारा किसी भी प्रकार की संविदा की जाती है तो वह संविदा शून्य होगी।
लेकिन राजस्व संहिता की धारा 95 नाबालिग को इस बात की आज्ञा देती है की वह अपनी खेती को पट्टे पर दे सकता है लेकिन यह पट्टा नाबालिग के संरक्षक के द्वारा किया जाना चाहिए। पट्टे का नाबालिग पर बाधित होने के लिए यह भी जरुरी है की जिला जज की आज्ञा प्राप्त कर ली गयी हो।
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