कर्मचारी की ड्यूटी में रहते क्षति के परिणामस्वरूप मृत्यु स्थायी पूर्ण विकलांगता स्थायी आंशिक विकलांगता पूर्ण / आंशिक अस्थायी विकलांगता पर प्रतिकर की रकम कितनी मिलेगी ? Amount of compensation under compensation act 1923
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नमस्कार दोस्तों,
आज के इस लेख में आप सभी को " कर्मचारी प्रतिकर अधिनियम 1923" के बारे में बताने जा रहा हु, की कर्मचारी पप्रतिकर अधिनियम क्या है ? यदि कोई भी कर्मचारी कार्य के दौरान हुई दुर्घटना में क्षतिग्रस्त होता है, और उस दुर्घटना से उत्पन्न होने वाली क्षति के बाद जीवित रहता है और यदि उस दुर्घटना से उतपन्न क्षति से उस कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है, तो ऐसी दशा में उस मृतक कर्मचारी के आश्रितों को प्रतिकर की कितनी रकम मिलेगी।
तो चलिए हम जानते है कि :-
कर्मचारी प्रतिकर अधिनियम 1923, क्यों बना और इसके बनने के पीछे का उद्देश्य क्या है ?
कर्मचारी प्रतिकर अधिनियम 1923, बनाने के पीछे सरकार का मुख्य उदेशय यह है की, यदि कार्य के दौरान हुई दुर्घटना में कर्मचारी को किसी भी प्रकार की क्षति होती है, तो उसको क्षति के आधार पर प्रतिकर की रकम दी जाएगी। कार्य के दौरान कई प्रकार की दुर्घटना हो सकती है जिसके कारण कर्मचारी की मृत्यु भी हो सकती है या विकलांग / असमर्थ हो सकता है। यह विकलांगता स्थायी या पूर्ण भी हो सकती है।
ऐसे में इन कर्मचारियों और इनके आश्रितों की आर्थिक मदद के लिए "कर्मचारी प्रतिकर अधिनयम " बनाया गया है।
सन 2009 में कर्मचारी प्रतिकर अधिनियम में संशोधन हुआ और संशोधित अधिनयम के अंतर्गत कर्मचारी प्रतिकर की रकम में कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन किये गए, जिसके अनुसार वर्तमान समय में प्रतिकर की रकम निम्नलिखित होगी।
1. क्षति के परिणामस्वरूप मृत्यु हो जाने पर :- जहाँ कोई भी कर्मचारी कार्य कर रहा है और कार्य के दौरान ड्यूटी में रहते किसी प्रकार की दुर्घटना से उतपन्न हुई क्षति के परिणामस्वरूप उस कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है, तो वहाँ मृतक के परिवार के आश्रितों और सम्बन्धी को मृतक कर्मचारी की मासिक मजदूरी को सुसंगत गुणक से गुणा करके प्राप्त रकम से "पचास प्रतिशत / 50% के बराबर रकम या एक लाख बीस हजार " की रकम या इसमें से जो प्रतिकर की रकम अधिक हो, वह रकम दी जाएगी।
एक उदाहरण के द्वारा आपको समझाता हु की मृत्यु पर मिलने वाली प्रतिकर की रकम।
मृत्यु पर देय प्रतिकर = मासिक वेतन x 50/100 x सुसंगत गुणांक
2. क्षति के परिणामस्वरूप स्थायी पूर्ण विकलांगता होने पर :-जहॉ कोई भी कर्मचारी कार्य के दौरान हुई दुर्घटना से उतपन्न हुई क्षति के परिणामस्वरूप स्थायी पूर्ण विकलांग , वहाँ कर्मचारी को उसकी मासिक मजदूरी को सुसंगत गुणांक से गुना करके प्राप्त रकम के "साठ प्रतिशत / 60%" के बराबर रकम या " एक लाख चालीस हजार" की रकम, इनमें से जो प्रतिकर की रकम अधिक हो वह रकम दी जाएगी।
स्थायी पूर्ण विकलांगता पर मिलने वाले प्रतिकर की रकम।
स्थायी पूर्ण विकलांगता पर देय प्रतिकर = मासिक वेतन x 60 /100 x सुसंगत गुणांक
लेकिन केंद्रीय सरकार, रजपत्र में अधिसूचना द्वारा समय समय पर मृत्यु पर मिलने वाले प्रतिकर की रकम और स्थायी पूर्ण विकलांगता पर मिलने वाली प्रतिकर रकम में वृद्धि कर सकेगी।
3. क्षति के परिणामस्वरूप स्थायी आंशिक विकलांगता होने पर :- जहॉ कोई कर्मचारी कार्य के दौरान हुई दुर्घटना से उतपन्न क्षति के परिणामस्वरूप स्थायी आंशिक विकलांग हो जाता है,तो वहाँ कर्मचारी की स्थायी आंशिक क्षति के आधार पर प्रतिशत के अनुसार ही प्रतिकर की रकम मिलती है। जो की इस अधिनियम की अनुसूची 1 में दी गयी है की किस क्षति पर कितने प्रतिशत प्रतिकर की रकम मिलेगी।
(ii). जहॉ कर्मचारी को ऐसी क्षति होती है, जो की इस अधिनयम की अनुसूची 1 में नहीं है, उस प्रतिकर का, जो स्थायी पूर्ण विकलांगता की दशा में जो प्रतिकर की रकम देय होगी, ऐसा प्रतिशत, जो उस क्षति द्वारा स्थायी रूप से करीत उपार्जन -सामर्थ्य की जैसे चिकित्सा उपचार व्यवसायी द्वारा निर्धारित किया जाये, हानि का अनुपातिक हो पाने का हक़दार होगा।
विभिन्न क्षतियो के सम्बन्ध में उपार्जन सामर्थ्य की हानि के प्रतिशत का सम्यक ध्यान रखेगा।
जहॉ एक ही दुर्घटना के परिणामस्वरूप एक से अधिक क्षतियां होती है, वहां इस शीर्षक अधीन दी जाने वाली प्रतिकर की रकम संकलित कर ली जाएगी लेकिन किसी भी हालत में ऐसा नहीं होगा की वह दी जाने वाली उस रकम से बढ़ जाये जो की उन क्षतियो के प्रेणामस्वरूप स्थायी पूर्ण विकलांगता होने की हालत में दी जाने वाली होती।
4. क्षति के परिणामस्वरूप चाहे पूर्ण विकलांगता या आंशिक अस्थायी विकलांगता होने पर :-- जहॉ कोई कर्मचारी कार्य के दौरान हुई दुर्घटना से उतपन्न क्षति के परिणामस्वरूप चाहे पूर्ण विकलांग हो जाता है या आंशिक विकलांग हो जाता है, तो ऐसे में उस विकलांग कर्मचारी को उसकी मासिक मजदूरी के पच्चीस प्रतिशत / 25 % के समतुल्य रकम का अर्ध मासिक संदाय इस अधिनियम की धरा 4 उपधारा 2 के उपबंधों के अनुसार किया जायेगा।
अर्धमासिक भुगतान :-
- जहॉ ऐसी विकलांगता अट्ठाईस दिनों या इससे अधिक तक जारी रहती है, वहाँ विकलांगता की तिथि से सोलहवे दिन देय होगी।
- जहॉ ऐसी विकलांगता अट्ठाईस दिन से कम रहती है, वहाँ विकलांगता की तिथि से तीन दिन प्रतिरक्षा अवधि के अवसान के बाद सोलहवे दिन देय होगी, और उसके बाद विकलांगता के दौरान या पांच साल की कालावधि के दौरान इनमे से जो भी कालावधि कम हो, आधे आधे महीने पर देय होगी।
लेकिन,
किसी एकमुश्त या अर्धमासिक देयों, जिसका की कर्मचारी हक़दार है, ऐसे देयो में से कोई भी भुगतान या भत्ते की रकम जिसे कर्मचारी ने नियोजक से ऐसी एकमुश्त रकम या प्रथम अर्धमासिक भुगतान , जैसी वह स्तिथि हो प्राप्त करने के पहले विकलांगता के दौरान प्रतिकर के तौर पर प्राप्त किया है वह रकम काट ली जाएगी, और
कोई भी अर्धमासिक भुगतान किसी भी दशा में उस रकम से अधिक नहीं होगी , यदि कोई है, जितना की दुर्घटना के पहले कर्मचारी की मासिक मजदूरी की आधी रकम उस मजदूरी की आधी रकम से अधिक नहीं हैम, जिसे वह कर्मचारी दुर्घटना के बाद कमा रहा है।
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