कन्या भूर्ण हत्या क्या है और कन्या भूर्ण हत्या अपराध के लिए सजा क्या होगी ? What is female foeticide or gender inquiry and punishment for female foeticide
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नमस्कार मित्रों,
आज के इस लेख में आप सभी को "कन्या भूर्ण हत्या क्या होती है और कांय भूर्ण हत्या के इस अपराध को करने वाले व्यक्ति को सजा क्या होगी ?
लिंग जाँच क्या है और लिंग जाँच पर सजा कितने साल की होती है /
आज कल हम आप सभी टीवी, समाचारपत्र और मोबाइल के माध्यम से सुनने और पढ़ने वाली खबरों में "कन्या भूर्ण " हत्या के बारे में सुनते और पढ़ते रहते है। कही किसी गावं या शहर में किसी गर्भवती महिला के गर्भ में पल रही बच्ची की हत्या उसके जन्म लेने से पहले ही कर दी जाती है, उस जन्म लेने वाली बच्ची को उसको जन्म लेने पहले ही उसके जीवन को समाप्त कर देना जो कि एक अपने में ही बहुत ही गंभीर और दंडनीय अपराध है।
गावं या शहर के किसी अनजान रस्ते पर किसी नवजात बालिका को जन्म लेने के तुरंत बाद रस्ते में छोड़ देना जैसे अन्य खबरे आप लोग सुना व् पढ़ा करते है।
तो चलिए इन सभी को विस्तार से समझे।
कन्या भूर्ण हत्या क्या है ? What is Female Foeticide
कन्या भूर्ण हत्या क्या है , इसको बहुत सी सरल शब्दों में समझाने की कोसिस करूंगा। जब कोई भी स्त्री /महिला गर्भवती होती है तो अधिकतर हर उस गर्भवती महिला के पति व् उसके सास ससुर और सभी परिवार वालों की यही इच्छा होती है कि लड़का ही पैदा हो और इसकी जाँच के लिए की उस गर्भवती महिला की कोख में लड़का है या लड़की यह जानने के लिए गैरकानूनी ढंग से लिंग की जाँच करवाते है, जो कि एक समाज और कानून की नजरो में एक गंभीर अपराध है और इस अपराध की सजा भी गमभीर है।
गैरकानूनी ढंग से गर्भवती महिला की कोख में पल रहे शिशु की लिंग जाँच करा कर इस बात को मालूम करना कि लड़का है या लड़की, जहाँ यह मालूम होता है कि गर्भ में पल रहा शिशु लड़की है तो इस दुनिया में जन्म लेने से पहले ही गर्भवती महिला की इच्छा या उसकी इच्छा के बिना या गर्भवती महिला के उसके पति या परिवार वालो के द्वारा ही उस लड़की की जन्म लेने से पहले ही गर्भ में हत्या करवा देना ही कन्या भूर्ण हत्या कहा जायेगा।
ऐसा कार्य अपराध की श्रेणी में आता है जो की जुर्माने और कारावास दोनों से दाण्डीय होता है।
कन्या भूर्ण हत्या अपराध के लिए सजा क्या होगी ?
कन्या भूर्ण हत्या यानी गर्भ में पल रही बच्ची को उसके जन्म लेने से पहले ही उसका जीवन समाप्त करवा देना कन्या भूर्ण हत्या कहा जायेगा जो कि एक गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है और ऐसे अपराध के लिए कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान भी किया गया है।
भारतीय दंड संहिता 1860 धारा 313, धारा 314 व् धारा 315 में गर्भपात किये जाने के सम्बन्ध में सजा का प्रावधान किया गया है जो कि :-
1. धारा 313 - स्त्री की सहमति के बिना गर्भपात करने पर सजा -
जहाँ कोई स्त्री गर्भवती है और वह अपने गर्भ में पल रहे शिशु को जन्म देना चाहती है लेकिन उस गर्भवती स्त्री की स्वतंत्र सहमति के बिना उसका गर्भपात कर दिया जाता है यानी उसके गर्भ में पल रहे शिशु को उसके जन्म से पहले ही गर्भ में मार दिया जाता है तो यह अपराध होगा और ऐसे अपराध करने वाले व्यक्ति को दण्डित किया जायेगा। लेकिन जहाँ किसी स्त्री के द्वारा गर्भपात किये जाने के लिए सहमति भी दी जाती है तो ऐसी सहमति तभी वैध होगी जब गर्भवती महिला के जीवन को खतरा हो और उस गर्भवती महिला के जीवन को बचाने के उद्देश्य से सदभावपूर्वक गर्भपात किया गया है।
स्त्री की सहमति के बिना किया जाने वाला गर्भपात दाण्डीय अपराध होगा जिसमे दोषी व्यक्ति को आजीवन कारावास की सजा से या 10 साल तक कारावास की सजा से और जुर्माने से भी दण्डित किया जायेगा।
2. धारा 314 -गर्भपात किये जाने के इरादे से किये गए कार्य से मृत्यु हो जाना -
जहाँ कोई स्त्री गर्भवती है और उसका गर्भपात किये जाने के इरादे से कोई ऐसा कार्य करेगा, जिसके परिणामस्वरूप उस गर्भवती महिला की मृत्यु हो जाती है तो ऐसे अपराध किये जाने वाले व्यक्ति को दण्डित किया जायेगाजहाँ , जहाँ उस दोषी व्यक्ति को 10 साल तक कारावास की सजा से और जुर्माने से भी दण्डित किया जायेगा।
3. धारा 315 -शिशु के जन्म को रोकने व् जन्म के बाद हत्या पर सजा -
जहाँ कोई स्त्री गर्भवती है और जो कोई भी व्यक्ति गर्भवती महिला के गर्भ में पल रहे शिशु के जन्म लेने से पहले ऐसा कोई कार्य इस इरादे से करेगा कि उस गर्भ में पल रहे शिशु को जीवित पैदा होने से रोका जाये या ऐसा कोई कार्य जिससे शिशु के जन्म के बाद उस नवजात शिशु की मृत्यु हो जाये और ऐसे कार्य से उस शिशु को जीवित पैदा होने से रोकेगा या उस शिशु के जन्म के बाद उसकी मृत्यु कर देगा, यदि ऐसा कार्य माता के जीवन को बचाने के उद्देश्य से सदभावपूर्वक नहीं किया गया है, तो ऐसा कार्य दंडनीय अपराध होगा, जो कि दोषी व्यक्ति को 10 साल तक कारावास की सजा से या जुर्माने से या दोनों दंड से दण्डित किया जायेगा।
जहाँ कोई स्त्री गर्भवती है और प्रसव के दौरान चिकित्सक व्यवसायी को ऐसा पूर्ण विश्वास है और युक्तियुक्त कारण है कि यदि पैदा होने वाले शिशु को पैदा होने से रोका नहीं गया तो माता के जीवन को खतरा है ऐसे में माता के जीवन को बचाने के उद्देश्य से सदभावपूर्वक किया गया गर्भपात अपराध नहीं माना जायेगा।
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