रैगिंग क्या है ?
रैगिंग यह शब्द सुनते ही आप सभी के मन में एक ऐसी छवि बनने लग जाती है, जहाँ कॉलेज में विद्यार्थियों के साथ होने वाले मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक और अन्य तरह से उनके साथ होने वाले दुर्व्यवहार जिससे वे प्रताड़ित और परेशान होते है। रैगिंग क्या है इसके अर्थ को हम ऐसे समझ सकते है जहाँ कॉलेज परिसर के भीतर या बाहर विद्यार्थियों द्वारा विद्यार्थियों के साथ होने वाले निम्न कृत्य है :-
- विद्यार्थियों से शब्दों, इशारों, नजरो, लिख कर या संकेतों के जरिये किसी ऐसे कार्य को करने के लिए कहना कहना, जोर-दबाव करना या लालचन देना कि अगर हमारे द्वारा कहे जाने पर करोगे तो रैगिंग नहीं होगी अन्य,जिससे कि उस कार्य को करने पर उस विद्यार्थी की गरिमा को ठेस पहुँचती है या अन्य विद्यार्थियों की नजरो में वह शर्मिदा होता है अपने को झुका हुआ मासूस करता है।
- अभद्र हरकत और अभद्र इशारों का प्रदर्शन करने के लिए कहना या जोर देना जिससे उस विद्यार्थी का अन्य विद्यार्थियों के मध्य उपहास होना।
- किसी भी तरह से मानसिक ,शारीरिक रूप से प्रताड़ित कर क्षति पहुँचाना।
- महिला विद्यार्थी के साथ होने वाला यौन उत्पीड़न या किसी अभद्र कार्य को करने के लिए डराना, धमकाना या मजबूर करना।
- कॉलेज हॉस्टल के रूम, शौचालय, या अन्य ऐसे कमरे में विद्यार्थी को बंद कर उसने अपमानजनक कार्य करने को कहना या धमकाना या जोर दबाव करना।
- विद्यार्थी के साथ किसी अन्यायपूर्ण कार्य करवाने को लेकर उस विद्यार्थी पर आपराधिक बल का प्रयोग करना जैसे मारना -पीटना, गाली गलोच आदि।
- अन्य ऐसे अनैतिक कार्य करने को लेकर जोर-जबरदस्ती करना जिससे विद्यार्थी को घोर मानसिक, शारीरिक क्षति होती है।
कभी -कभी यही रैगिंग इतनी भयावक हो जाती है, जिसका परिणाम बहुत बुरा होता है।
रैगिंग के खिलाफ शिकायत कहाँ दर्ज करे।
रैगिंग के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए देश के सभी शैक्षणिक संस्थाओं में एंटी रैगिंग कमेटी, एंटी रैगिंग स्कवाड व् एंटी रैगिंग मॉनिटरिंग सेल का गठन किया गया है। यदि कोई विद्यार्थी रैगिंग का शिकार होता है तो इसके सम्बन्ध में यहाँ शिकायत कर सकेगा।
यदि रैगिंग पीड़ित / पीड़िता संस्था की कमेटी से संतुष्ट नहीं है तो पुलिस स्टेशन में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करा आपराधिक मुकदमा दायर करा सकती या सकता है।
रैगिंग के लिए कानून क्या है ?
रैगिंग जो कि एक संज्ञेय व् दंडनीय अपराध इसलिए जो कृत्य रैगिंग में शामिल है वह पूर्णतः आपराधिक प्रकृति के होते है। कॉलेज / विश्वविद्यालय या विश्वविद्यालय से जुडी संस्था में विद्यार्थी लड़के और लड़की दोनों होते है,और ऐसे में एक दूसरे के सामने रैगिंग करना जहाँ आपत्तिजनक कार्य करने को लेकर जोर जबरदस्ती करना, धमकाना या आपराधिक बल का प्रयोग करना। जिससे विद्यार्थी की उसकी गरिमा, मान -प्रतिष्ठा को अपूरणीय क्षति होती है। यही रैगिंग मृत्यु का कारण भी बन जाती है क्योकि इसमें पीड़ित या पीड़िता इतना शर्मिंदा हो जाता है कि वह समाज में या अपनों विद्यार्थी साथियों के मध्य नजरो से नजर मिला पाने में हिम्मत नहीं जुटा पाते है।
कॉलेज / विश्विद्यालयों में होने वाली इस रैगिंग अपराध की रोकथाम के लिए व् इसपर नियंत्रण लगाने के लिए "विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम 1956 " के अधीन बनाये गए नियम जिसका अनुपालन करना हर एक कॉलेज / विश्वविद्यालय का कर्तव्य होगा और अनिवार्य होगा।
रैगिंग जैसे अपराध में लिप्त दोषी व्यक्ति को दण्डित किये जाने के सम्बन्ध में प्रत्येक राज्य की सरकार द्वारा उसके राज्य में संचालित निजी / सरकारी कॉलेज / विश्वविद्यालय में होने वाली रैगिंग पर रोकथाम लगाई जा सके और इसको नियंत्रित किया जा सके उसके लिए कानून पारित किया गया। जिसका पालन करना अति अनिवार्य है। दोषी व्यक्ति को दण्डित किये जाने का प्रावधान किया गया।
प्रत्येक राज्य में बने रैगिंग के सम्बन्ध में कानून में सजा का प्रावधान अलग हो सकता है।
इनके बारे में भी विस्तार से जाने।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग - UGC - उच्च शैक्षिक संस्थानों में रैगिंग के खतरे को रोकने के दिशा निर्देश।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वार रैगिंग के सम्बन्ध में इसकी रोकथाम व् नियंत्रण के लिए सभी कॉलेज /विश्वविद्यालय व् विश्वविद्यालय से जुडी संस्था के लिए दिशा निर्देश जारी किये गए जिनका अनुपालन अनिवार्य है, यदि किसी भी कॉलेज / विश्वविद्यालय या विश्वविद्यालय से जुडी संस्था के द्वारा रैगिंग के सम्बन्ध में जारी दिशा निर्देशों का अनुपालन न कर उल्लंघन किया जाता है तो उस कॉलेज / विश्वविद्यालय की मान्यता रद्द कर दी जाएगी।यह दिशा निर्देश जो कि निम्न है :-
1. एंटी रैगिंग कमेटी का गठन :- प्रत्येक कॉलेज / विश्वविद्यालयों और विश्वविद्यालय से जुडी संस्था में एंटी रैगिंग कमेटी का गठन संस्था के प्रमुख द्वारा किया जाएगा और जिसमे विश्वविद्यालय संकाय सदस्यों के प्रतिनिधि, विद्यार्थी के माता-पिता, नए विद्यार्थी के साथ सीनियर विद्यार्थी और गैर शिक्षण कर्मचारी शामिल होंगे। ये रैगिंग से सम्बंधित क्रियाकलापों पर नजर रखेंगे और एंटी रैगिंग स्क्वाड को सूचित करेंगे, ताकि रैगिंग करने वालो को दण्डित किया जा सके।
2. एंटी रैगिंग स्क्वाड - एंटी रैगिंग स्क्वाड संस्था के मुखिया द्वारा गठित किया जायेगा जिसके सदस्य कॉलेज /विश्वविद्यालय कैंपस के विभिन्न विभागों व्यक्ति होंगे। ये सदस्य कॉलेज / विश्वविद्यालय में चौकसी, निगरानी रखेंगे, व् गस्त लगाएंगे। अपने मोबाइल रखेंगे और ये हर समय चौकन्ने रहेंगे। इन सदस्यों को शक्ति होगी की ये संभावित रैगिंग क्षेत्र , हॉस्टल या अन्य क्षेत्र में अचानक छापा मार सकते है। यह स्क्वॉड रैगिंग की घटना कीजाँच करेगा और इसकी रिपोर्ट एंटी रैगिंग समिति को देगा और इस स्क्वाड द्वारा किये जाने वाला कार्य समिति की के दिशा निर्देश में किया जायेगा।
3. मॉनिटरिंग सेल ऑन रैगिंग - यदि संस्था विश्वविद्यालय से जुडी है तो इसमें रैगिंग की निगरानी के लिए एक मॉनिटरिंग सेल का होना अनिवार्य होगा। यह मॉनिटरिंग सेल विश्वविद्यालय से जुड़ी संस्था से समन्वय बनाये रखेगी। संस्था के प्रमुख से, एंटी रैगिंग समिति, एंटी रैगिंग स्क्वाड, और मॉनिटरिंग सेल, दिशानिर्देश के अनुपालन में ओरिएंटेशन कार्यक्रम के संचालन के सम्बन्ध में, परामर्श सत्र आदि के सम्बन्ध में और रैगिंग की घटना के सम्बन्ध में , वार्डन और अन्य कर्मचारीयों द्वारा समस्या का सामना करने के सम्बन्ध में रिपोर्ट मांग सकेगा। यह सेल या भी निरक्षण कर सकेगा की रैगिंग की रोकथाम के उपाय के लिए कितना प्रयास किया जा रहा है। यह सेल यह भी सत्यापन कर सकेगा कि विद्यार्थी और उनके माता-पिता / संरक्षक से हर साल एंटी रैगिंग शपथ पत्र भरवाया / माँगा जा रहा है या नहीं।
रैगिंग की रोकथाम के उपाय लागु करने के लिए किसी भी स्तर से विश्वविद्यालय अधिकारीयों द्वारा विधि, अध्यादेश और बाए-लॉज़ में संसोधन किया जा सकेगा।
दाखिले से पहले रैगिंग की रोखथाम के उपाय बारे में सूचित करना।
- कॉलेज /विश्वविद्यालय या विश्वविद्यालय से जुडी संस्था में दाखिले/प्रवेश सम्बंधित किये जाने वाले विज्ञापन में इस बात का जिक्र करना अनिवार्य होगा कि रैगिंग पूर्णतः प्रतिबंधित है रैगिंग करते या कराते हुए दोषी पाए जाने पर दण्डित किया जायेगा।
- रैगिंग सम्बंधित सभी दिशा निर्देशों व् नियमों को anexxure के साथ विद्यार्थी प्रवेश पत्र के ब्रॉउचर, बुकलेट में मोटे अक्षरों में छापा जायेगा।
- उच्चतम न्यायालय, केंद्रीय सरकार -राज्य सरकार के दिशा निर्देश के अनुसार प्रॉस्पेक्टस और दाखिले से सम्बंधित सभी दस्तावेजों के माध्यम से रैगिंग के प्रतिबन्ध और रैगिंग के परिणामों के बारे में विद्यार्थी के माता-पिता -संरक्षक को अवगत कराना होगा। यदि संस्था विश्वविद्यालय से जुड़ा है तो इसके प्रॉस्पेक्टस में रैगिंग के प्रतिबंध और परिणामों के बारे में दिया जाना अनिवार्य होगा।
- दाखिले या पंजीकरण पत्र के साथ रैगिंग शपथपत्र का हिंदी ,अंग्रेजी व् एक स्थानीय भाषा में छपा होना अनिवार्य होगा, जिस भाषा को संस्था व् विद्यार्थी समझ सके। इस रैंगिंग शपथपत्र को विद्यार्थियों व् उनके माता पिता द्वारा भी भरा जायेगा व् हस्ताक्षर किया जायेगा। यहाँ ये सशपथ बयान करेंगे कि उन्होंने रैगिंग निषेध विधि और दंड से अवगत है और यदि विद्यार्थी इस रैगिंग अपराध को करते हुए या कराते हुए दोषी पाए जाते है तो वे इस अपराध के लिए उचित दंड से दंडनीय होंगे और संस्था में प्रवेश लेने पर उनपर रोक लगा दी जाएगी।
- प्रवेश पत्र के साथ अन्य दस्तावेज जैसे कि विद्यालय छोड़ने का प्रमाणपत्र, स्थानांतरण प्रमाणपत्र, प्रवास प्रमाणपत्र और चरित्र प्रमाण पत्र दाखिल किये जायेंगे। जिससे उस विद्यार्थी के व्यावहारिक चरित्र के बारे में मालूम हो और संस्था द्वारा ख़राब छवि वाले विद्यार्थी पर पैनी नजर राखी जाये।
- रैगिंग की रोकथाम के लिए बड़ी कम्युनिटी बनायीं जाये कि जो विशेषकर विद्यार्थियों के मध्य रैगिंग के बुरे मानवीय प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाएगा और संस्था को रैगिंग की रोकथाम के लिए रैगिंग निषेध कानून और दंड प्रावधानों के बड़े बड़े पोस्टर, रैगिंग निषेध सूचना को संस्था के सभी विभाग के सूचना पट्ट पर, हॉस्टल और अन्य भवनों पर, सहज दिखने वाले स्थान पर इन पोस्टर व् सूचना को स्थायी रूप से लगाएगा।
- संस्था मीडिया से रैगिंग कानून के सम्बन्ध में पर्याप्त प्रचार करने के लिए अनुरोध कर सकती है कि वह रैगिंग निषेध कानून व् दंड के बारे में और रैगिंग के बुरे प्रभाव के बारे में बताये और यह भी बताये कि संस्था रैगिंग पर प्रतिबन्ध लगाने को लेकर भरपूर्ण उपाय कर रही है और दोषी पाए जाने वालो के खिलाफ बिना किसी डर या बिना पक्ष के दण्डित कर रही है।
- संस्था विशेषकर परिसर की ऐसी जगह पर जहाँ रैगिंग हों सकती है वहां पर शैक्षिक साल के आखिरी माह में कड़ी सुरक्षा के इंतज़ाम करेगी और आवश्कयता पड़ने पर पुलिस भी बुला सकती है।
- संस्था नए शैक्षिक साल की शुरुवात करने से पहले अवकाश अवधि में रैगिंग की रोकथाम के लिए पोस्टर ,पर्चो, सेमिनार, नुकड्ड- नाटक के माध्यम से जन प्रचार तक जागरूकता अभियान चलाया जायेगा।
विद्यार्थी के प्रवेश के समय रैगिंग की रोकथाम के लिए उपाय
- कॉलेज / विश्वविद्यालय में नए विद्यार्थियों के प्रवेश लेने पर उनको एक पत्रिका दी जाएगी जिसमे रैगिंग के खिलाफ शिकायत किससे और किसको करे इसकी जानकारी दी जाएगी, इस पत्रिका में संस्था के प्रमुख, वार्डन, एंटी रैगिंग कमेटी , जिला अधिकारी या पुलिस अधिकारी इन सभी के नाम, पता, टेलीफोन नंबर, पता आदि लिखे होंगे।
- संस्था में आय नए विद्यार्थियों को इनके अधिकारों के बारे में इस पत्रिका में जानकारी दी जाएगी और साफ साफ दिशा निर्देश दिए जायेंगे कि वे अपनी इच्छा के विरुद्ध किसी भी कार्य को करने से मना कर सकते है यहाँ तक की यदि उनके सीनियर भी कोई आदेश दे करने तो करने से मना कर सकते है। उनको डरने की जरुरत नहीं संस्था उनका ख्याल रखेगी और विद्यार्थियों पर होने वाले अत्याचारों को बर्दास्त नहीं किया जायेगा।
- नए विद्यार्थियों रैगिंग की घटना होने पर उसकी रिपोर्ट करने को प्रोत्साहित किया जायेगा वो चाहे उस घटना के पीड़ित / पीड़िता हो या उस घटना के गवाह।
4. संस्था के स्तर से रैगिंग पर प्रतिबन्ध लगाने हेतु उपाय।
- सभी शैक्षिक संस्था को केंद्रीय सरकार व् राज्य सरकार के कानून जो हो उनका अनुपालन करना अनिवार्य होगा। रेप और अन्य गंभीर अपराधों की तरह रैगिंग एक संज्ञेय अपराध माना जायेगा। महिलाओ के साथ होने वाले अत्याचारों व् एस० सी / एस ० टी ० श्रेणी के छात्रों के साथ दुर्व्यवहार करना और किसी भी तरह से रैगिंग करना पूरी तरह से प्रतिबंधित होगा।
- सम्पूर्ण संस्था के भीतर या बाहर यहाँ तक कि विभाग, निर्वाचन क्षेत्र, शैक्षिक परिसर, खेल के परिसर, कैंटीन आदि क्षेत्र और यातायात के किसी भी साधन में वह चाहे सार्वजानिक हो या सरकारी, रैगिंग पूर्णतः प्रतिबंधित होगी।
- यदि कोई भी रैगिंग करता या कराता हुआ दोषी पाया जाता है तो संस्था उस दोषी व्यक्ति के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही करेगा।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के तहत रैगिंग के दोषी व्यक्ति के लिए दंड के प्रावधान क्या है ?
संस्था की एंटी रैगिंग कमेटी द्वारा अपराध की प्रकृति और गंभीरता को देखते हुए संस्था के स्तर पर रैगिंग के दोषी पाए जाने वाले को दण्डित किये जाने का प्रावधान किया गया है, जो कि निम्न प्रकार से है :-
- रैगिंग के दोषी विद्यार्थी को कक्षा में उपस्थित होने और शैक्षिक विशेषाधिकार से निलंबित कर दिया जायेगा।
- शैक्षिक संस्था से मिलने वाली छात्रवृत्ति और अन्य लाभों रोक दिया जायेगा या वापस ले लिया जायेगा।
- शैक्षिक संस्था में होने वाली किसी भी परीक्षा या अन्य मूल्यांकन पर रोक लगा दी जाएगी।
- विद्यार्थी के शैक्षिक परिणाम पर रोक लगा दी जाएगी।
- किसी क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बैठक, प्रतियोगित, युवा उत्सव में विद्यार्थी पर संस्था का प्रतिनिधत्व करने पर रोक लगा दी जाएगी।
- रैगिंग दोषी विद्यार्थी को हॉस्टल से निलंबित या निष्कासित कर दिया जायेगा।
- दोषी विद्यार्थी का दाखिला रद्द कर दिया जायेगा।
- रैगिंग की अवधि से 1 से 4 समेस्टर तक संस्था से निष्काषित कर दिया जायेगा।
- रैगिंग के दोषी विद्यार्थी को संस्था से निकाल दिया जायेगा और निश्चित अवधि तक किसी अन्य शैक्षिक संस्था में प्रवेश लेने पर रोक लगा दी जाएगी।
- रैगिंग के दोषी विद्यार्थी पर 25000 रू जुर्माने से लेकर 100000 रु तक जुर्माने तक से दण्डित किया जायेगा।
- समूहिक सजा से दण्डित किया जायेगा जहाँ पर व्यक्ति के द्वारा किये गए रैगिंग के अपराध की पहचान नहीं होती है, वहॉं संस्था सामूहिक दंड का सहारा लेगी।
राज्य द्वारा रैगिंग के सम्बन्ध में पारित कानून व् सजा क्या है ?
देश में रैगिंग की घटनाओँ की संख्या को बढ़ते देख प्रत्येक राज्य की सरकारों ने रैगिंग की रोकथाम के लिए कानून बनाये जहाँ रैगिंग के दोषी को दण्डित किये जाने के सम्बन्ध में प्रावधान बनाये गए।
त्रिपुरा शैक्षणिक संस्था रैगिंग से सुरक्षा अधिनियम 1990 की धारा 4 के तहत रैगिंग के दोषी को 4 वर्ष तक कारावास की सजा से या जुर्माने से या दोनों से दण्डित किया जायेगा।
महाराष्ट्र शैक्षणिक संस्था में रैगिंग प्रतिषेध अधिनियम 1999 की धारा 3 शैक्षिक संस्था के भीतर या बाहर रैगिंग पूर्णतः प्रतिबंधित है, यदि कोई भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संस्था के भीतर या बाहर रैगिंग का दोषी पाया जाता है तो 2 वर्ष तक कारावास की सजा से 10000 रु जुर्माने से दण्डित किया जायेगा।
छत्तीसगढ़ शैक्षणिक संस्था में रैगिंग प्रतिषेध अधिनियम 2001 की धारा 3 कोई भी विद्यार्थी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष किसी भी प्रकार से न तो रैगिंग करेगा और न ही इसमें शामिल होगा। यदि कोई रैगिंग का दोषी पाया जाता है तो 5 साल तक कारावास की सजा या 5000 रु जुर्माने से या दोनों से दण्डित किया जायेगा।
उत्तर प्रदेश शैक्षणिक संस्थाओं में रैगिंग प्रतिषेध अधिनियम , 2010 की धारा 3 के तहत शैक्षणिक संस्था के भीतर या बाहर रैगिंग प्रतिबन्धित है। यदि कोई भी व्यक्ति रैगिंग करता है या शामिल होता है, उकसाता है या प्रचार करता है तो उस दोषी को अधिनियम की धारा 5 के तहत 2 वर्ष तक कारावास की सजा से या 10000 रु तक जुर्माने से या दोनों से दण्डित किया जायेगा।
हरियाणा शैक्षणिक संस्थाओं में रैगिंग प्रतिषेध अधिनियम , 2012 की धारा 3 के तहत रैगिंग शैक्षणिक संस्था के भीतर या बाहर रैगिंग पूर्णतः प्रतिबंधित है। धारा 8 के तहत रैगिंग अपराध के साबित हो जाने पर, चाहे प्रथम रिपोर्ट दायर की गयी हो या नहीं संस्था के प्रमुख रैगिंग के दोषी को दण्डित कर सकता है, जहाँ रैगिंग के दोषी को कम से कम से 2 सेमेस्टर या 1 साल तक शिक्षण पर रोक लगा दी जाएगी या संस्था छात्रवृत्ति या अन्य लाभों को रोक या वापस ले लिया जायेगा या 25000 रु जुर्माने से मामले के अनुसार इन दोनों में से एक या दोनों से दण्डित किया जायेगा
सबसे पहले अपने माता पिता को इसकी सूचना दे साथ ही साथ अपने कॉलेज को भी इसकी सूचना दे ।
ReplyDeleteThank you sir this is very important information for a college student like me
ReplyDeletethanks and keep reading.
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